-मंडलीय हॉस्पिटल में सफाई व्यवस्था ध्वस्त, तीन दिन से मरीज वार्डो में पसरी है गंदगी

-प्राइवेट संस्था के जिम्मे सौंपी गई है हॉस्पिटल की सफाई व्यवस्था, दी गई नोटिस

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गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में चिकित्सा सेवाएं बेहतर बनाने के लिए शासन से लगातार गाइड लाइन मिल रही है। लेकिन फिर भी सेवाएं बेपटरी ही हैं। कुछ ऐसा ही हाल इस समय मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा का है, जहां इन दिनों साफ-सफाई व्यवस्था चरमरा गयी है। तीन दिन से सफाई कर्मी अस्पताल से गायब हैं। लिहाजा वार्ड के टॉयलेट-वॉशरूम में पैर रखना मुश्किल है। यही नहीं, दुर्गध के साथ-साथ वॉश बेसिन में झाडू-बाल्टी रखी है तो उखड़े हुए पॉट देख मरीज बाहर का सुलभ शौचालय यूज करने पर बाध्य हैं। वार्ड नंबर चार और सात में स्थिति बद से बदतर है। अस्पताल में गंदगी के कारण रोग और बढ़ रहे हैं।

18 अप्रैल के बाद नहीं लगा झाड़ू

वार्ड नंबर चार के फिजिशियन वार्ड के टॉयलेट-वॉशरूम की अंतिम बार सफाई 18 अप्रैल के बाद हुई ही नहीं। वॉशरूम के बाहर दीवार पर चस्पा ड्यूटी चार्ट में सफाईकर्मियों की हाजिरी 18 के बाद दर्ज नहीं है। सिर्फ एक महिला सफाई कर्मी के जिम्मे कार्डियो व फिजिशियन वार्ड सौंपा गया है। फ‌र्स्ट फ्लोर व सेकेंड फ्लोर के टॉयलेट-वाशरूम इतने गंदे हैं कि पेशेंट व तीमारदार यूज ही नहीं करते। डैमेज पॉट, टाइल्स, ओवरफ्लो सीवर ने मरीजों व तीमारदारों को संकट में डाल दिया है।

सीवर है जाम

हॉस्पिटल परिसर में चल रहे सीवर लाइन वर्क भी कोढ़ में खाज का काम कर रहा है। सीवर लाइन बाधित होने से हॉस्पिटल के लगभग हर वार्ड का सीवर जाम है। यही वजह है कि एक भी वार्ड के वॉशरूम-टायलेट यूज करने लायक नहीं रह गए हैं। इसे लेकर हॉस्पिटल में हाहाकार मचा है।

गिर रहे हैं बच्चे

न्यू बिल्डिंग के वार्ड नंबर चार में रेलिंग डैमेज होने से अंधेरे में बच्चे और महिलाएं गिरकर घायल हो जा रहे हैं। दो दिन पूर्व दो बच्चे गिरकर गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। जिनका इमरजेंसी वार्ड में चेकअप किया जा रहा है। जबकि इसी रेलिंग को बनवाने में लाखों रुपये खर्च किया गया था।

साफ-सफाई को लेकर मिल रहे पेशेंट के कम्प्लेन के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। सफाई व्यवस्था संभालने वाली संस्था को कई बार नोटिस दी जा चुकी है। संभवत: दो या तीन दिन में सब कुछ क्लीयर हो जाएगा।

डॉ। अरविंद सिंह, एमएस

मंडलीय हॉस्पिटल, कबीरचौरा

मंडलीय हॉस्पिटल में सफाई व्यवस्था ऐसी है कि कोई भी मरीज व तीमारदार टॉयलेट-वॉशरूम यूज ही नहीं करना चाहता।

हिमांशु गिरी, तीमारदार

यहां बीमारियां कम होने की बजायबढ़ती जा रही है। मरीज वार्ड के वॉशरूम टायलेट इतने गंदे हैं कि कोई उसमें जाना ही नहीं चाहता।

विशाल यादव, तीमारदार

साफ-सफाई की ऐसी स्थिति है कि मरीज व तीमारदार को बाहर का सुलभ शौचालय यूज करना पड़ रहा है। कम्प्लेन करने के बाद भी कंडीशन बेहतर नहीं हो पा रही है।

राहुल सेठ, तीमारदार