वायरलेस चार्जिंग का बढ़ रहा चलन
हालाकि भारत में ये तकनीक स्मार्टफोन में अभी नई आई है लेकिन धीरे धीरे वायरलैस चार्जिंग स्मार्टफोन की रेंज बढ़ती जा रही है। हाल के कुछ महीनों में अगर सभी वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट स्मार्टफोन पर नजर डालें तों नोकिया, एलजी के अलावा सैमसंग जैसी कई कंपनियों के स्मार्टफोन उपलब्ध हैं। पोर्टेबल चार्जर फ्लेस लाइट से भी जुड़ सकता है। इसकी 2200 एमएएच की लि-ऑन रिचार्जेबल बैटरी जो कि सभी प्रकार के मोबाइल फोन, म्यूजिक प्लेयर्स, आईपॉड्स, आईफोन और साथ ही गेमिंग डिवाइस को चार्ज करने में सक्षम है।
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कैसे काम करता है वायरलेस चार्जर
वायरलेस चार्जर बेसिकली इंडक्टिव चार्जिंग सिस्टम पर काम करता है। इसका पूरा सिद्धांत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड पर बेस्ड है। वायरलेस चार्जर एक गोल डिस्क के आकार का होता है जिसके ऊपर स्मार्टफोन या अन्य डिवाइस रखते ही वो चार्ज होने लगता है। इस पूरी चार्जिंग प्रोसेस के दो हिस्से होते हैं। पहला हिस्सा जोकि चार्जिंग बेस कहलाता है इसका काम अल्टरनेट करेंट को जनरेट करना है। यह एक पैड या डिस्क के शेप में होता है, इसके अंदर सर्किट लगा होता है। आप जब अपने फोन को इसके ऊपर रखते हैं तो यह करेंट को फोन में लगे सर्किट पर ट्रासंफर कर देता है जिससे आपको फोन चार्ज होने लगता है। ऐसे में आपके फोन और चार्जिंग डिस्क के बीच एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड तैयार हो जाती है जो एसी को डीसी (रिसीवर) तक पहुंचाने में मदद करती है।
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कुछ खामियां भी हैं
अक्सर लोग यही सोचते होंगे कि बिना तार के फोन चार्ज करना ज्यादा सुविधाजनक होता होगा, लेकिन ऐसा है नहीं। जब आप फ़ोन चार्ज करने जाएं तो आपके फोन का चार्जिंग कॉइल और चार्जर के कॉइल का मिला हुआ होना जरूरी है, अगर थोड़ा सा हिल गया तो चार्जिंग रुक जाती है। इसके साथ ही इस वायरलेस चार्जिंग में लंबा प्रोसेस लगता है, यह आम चार्जर की तुलना में काफी देर में आपका फोन चार्ज कर पाता है।
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