लिख रहा हूं मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,

मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा,

मैं रहूं न रहूं पर यह वादा है तुमसे मेरा

कि मेरे बाद वतन पे मरने वालों का सैलाब आएगा

शहीदों की शहादत हमेशा ही लोगों को जीने के लिए एक बड़ी वजह देती है। वो वजह होती है देश और उसका सम्मान। आयुष ने भी देश के लिए शहीद होकर अपने जैसे सैकड़ों युवाओं को जीने की वजह दी है। देश के लिए जीना और देश के लिए मरना, ये हर किसी को नसीब नहीं होता। कानपुर को फख्र है आयुष पर।

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-शहीद कैप्टन आयुष यादव का पार्थिव शरीर शुक्रवार शाम एयरफोर्स के विशेष विमान से शहर लाया गया

-सुबह से ही शहीद के परिजनों को सांत्वना देने वालों का लगा रहा तांता, पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी पहुंचे

-परिजनों सहित हर रिश्तेदार, पड़ोसी की जुबां पर एक ही बात, आतंकियों का अब जड़-मूल के साथ हो सफाया

-शनिवार सुबह अंतिम दर्शन को घर लाया जाएगा शव, इसके बाद सिद्धनाथ घाट पर पूरे सैनिक सम्मान से होगा अंतिम संस्थार

KANPUR: शहीद कैप्टन आयुष यादव का शव फ्राइडे शाम को एयरफोर्स के विशेष विमान से शहर लाया गया। सुबह से ही शहीद के परिवार को सांत्वना और ढांढस देने के लिए लोगों का आना जाना लगा रहा। लेकिन एक मां, एक पिता और बहन के लिए इनका ज्यादा मतलब नहीं है। क्योंकि जिसके घर आने का सबसे ज्यादा इंतजार उन्हें रहता था उसका शव तिरंगे में लिपटा हुआ उन तक पहुंचा है। एक पिता के लिए इससे बड़ा दुख नहीं हो सकता। एक मां के लिए उसके लाल की मृत देह को हाथ लगाने जैसा कष्ट और कोई नहीं हो सकता। लेकिन फिर भी उस मां के देश की सरकार से कुछ सवाल हैं। आखिर कब तक ये आतंकी मां की गोद सूनी करते रहेंगे। कब तक पिता अपने हाथों बेटे का अंतिम संस्कार करने का पहाड़ जैसा दुख उठाते रहेंगे। अब यह खेल बंद होना चाहिए। इनका जूड-मूल से सफाया करना होगा। शहीद आयुष के घर पहुंचे हर शख्स की जुबां पर ऐसे ही सवाल थे।

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आतंक पर नीति बदले सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव शहीद आयुष यादव के घर पहुंचे। पिता अरूण कांत से मुलाकात कर पूर्व सीएम ने उन्हें ढांढस बंधाया। इस दौरान मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सेना के जवानों की इस तरह से शहादत नहीं होनी चाहिए। कश्मीर घाटी के हालात और नक्सलवाद की वजह से लगातार हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। आतंकियों के सफाए के लिए सरकार अपनी नीति बदले और अपने पूरे तंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब नेताजी रक्षामंत्री थे तब शहीदों के लिए एक नीति बनाई थी। अब देखने वाली बात होगी ये सरकार उस नीति को का क्या करती है।

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जिंदाबाद पर सपाई को धप्पड़

पूर्व सीएम अखिलेश यादव जब शहीद के परिजनों से मिल कर बाहर निकल रहे थे। तभी कुछ कार्यकर्ता अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। इस पर घर के अंदर मौजूद शहीद के परिजनों ने आपत्ति जताई। वहीं बाहर भी लोगों ने नाराजगी जताते हुए नारे लगा रहे एक युवक को थप्पड़ जड़ दिया। उधर पूर्व सीएम के शहीद के घर पहुंचने से पहले एक बड़ी सुरक्षा चूक हुई। पूर्व मुख्यमंत्री के काफिले में सपा का झंडा लगी कार अचानक घुसी तो कमांडोज ने उसे घेर लिया। इसके बाद उनका काफिला आगे बढ़ गया।

सिद्धनाथ घाट पर होगा अंतिम संस्कार

शहीद कैप्टन आयुष यादव का शव फ्राईडे शाम 5.20 बजे विशेष विमान से एयरफोर्स स्टेशन लाया गया। इस दौरान कई सीनियर आर्मी ऑफिसर मौजूद रहे। शव को सेवन एयरफोर्स हॉस्पिटल में सुरक्षित रखवा दिया गया है। सैटरडे सुबह शव को डिफेंस कॉलोनी स्थित घर लाया जाएगा। जहां श्रृद्धाजंलि देने के बाद सिद्धनाथ घाट पर सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद के अंतिम संस्कार के लिए सिद्धनाथ घाट के शमशान घाट की विशेष साफ सफाई नगर निगम की ओर से कराई गई है।

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सांसद डा। जोशी ने भेजा अपना प्रतिनिधि

शहीद आयुष यादव को श्रद्धांजलि देने के लिए शहर का हर बड़ा जनप्रतिनिधि उनके घर पहुंचा। सांसद डा। मुरली मनोहर जोशी स्वास्थ्य कारणों से श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंच सके, लेकिन उन्होंने अपने प्रतिनिधि को भेजकर श्रद्धांजलि अर्पित की। भाजपा शहर अध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी ने भी पहुंचकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए, वहीं पूरे दिन वीआईपी लोगों को आना-जाना लगा रहा।