नहीं, पता तो ज़रूर चलेगा। आपके मोबाइल सर्विस ऑपरेटर और जो भी ऐप अपने डाउनलोड किये हुए हैं और जो आपकी ब्राउज़िंग पर नज़र रखते हैं उन्हें भी पता चलेगा।

इसलिए ये आपके लिए सिक्योरिटी और प्राइवेसी का भी मामला है, जिसको अनदेखी नहीं करना चाहिए।

आपकी ऑनलाइन आदतों को कई कंपनियां ट्रैक करती हैं। इनकी ट्रैकिंग की मदद से कंपनियों को ये पता लगता है कि आपके कैसे विज्ञापन ऑनलाइन दिखाए जाने चाहिए।

अगर आपके पोर्न वेबसाइट के बारे में जानकारी किसी को मिल रहा हो तो आपके लिए वो परेशानी का कारण बन सकती है। प्राइवेट ब्राउज़िंग या कुकीज़ डिलीट कर देने से आप ऑनलाइन ट्रैकिंग से बच सकते हैं।

लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार इसमें अब ख़तरा बढ़ता जा रहा है।

मोबाइल पर पोर्न देखने से पहले ज़रा संभलकर

ऐशले मैडिसन नाम के वेबसाइट के डेटा लीक होने के बाद लाखों लोगों के नाम सामने आये जब लोगों ने ऑनलाइन पोर्न का सहारा लिया।

इसमें भारत के भी लोगों के नाम थे. इसके बाद कुछ आत्महत्या के भी मामले सामने आये. कुछ लोगों को ब्लैकमेल का भी सामना करना पड़ा।

जो लोग पोर्न देखने के लिए पैसे देने को तैयार होते हैं उनपर चोर उचक्कों की भी नज़र होती है।

किसी अनजाने वेबसाइट पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड डिटेल दे देंगे तो आपको पता नहीं उसका कैसे कैसे इस्तेमाल हो सकता है।

मोबाइल पर पोर्न देखने से पहले ज़रा संभलकर

कभी कभी ऐसे वेबसाइट पर जाने के बाद एक अंजाना सा फ़ाइल आपके कंप्यूटर पर डाउनलोड हो जाता है जो आपके कंप्यूटर को लॉक कर देता है।

उसके बाद उन्हें पैसे देने पर ही आपके कंप्यूटर का पासवर्ड मिलता है। इस ब्लैकमेल के तरीक़े को रैनसमवेयर कहते हैं।

कई देशों में चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के ख़िलाफ़ क़ानून बहुत सख़्त है। अगर आपके कंप्यूटर पर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के फ़ाइल मिल गए तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं।

आपके जाने बिना, हैकर्स चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी के वीडियो आपके कंप्यूटर पर एक वायरस के ज़रिये स्टोर के सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो परेशानी सिर्फ़ आपको झेलनी पड़ेगी क्योंकि सबूत आपके ख़िलाफ़ होगा।

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