एक मां जब अपने बेटे को जानती है तो वो साथ साथ ये भी सीखती है की पुरुष किस मानसिकता के साथ जीते हैं. इसी तरह एक बेटा मां के साथ बेहतर रिश्ता शेयर करते हुए औरत की इज्जत करने का सलीका सीखता है. आइए जाने मां कैसे बनाये बेटे से खास रिश्ता.  

एक दूसरे का महत्व समझें और सम्मान करें

मां को हमेशा बेटे को ये तो सिखाना ही है कि वो कैसे उसकी बात को समझे और माने पर साथ में उसे ये भी सिखाना है कि वो कैसे उसकी नजरों से औरतों को देखे. मां को अपनी हैसियत से ना बेटे को काबू करना है, ना उसे अपने इशारों पर नचाना है बल्कि उसे मां के सम्मान के साथ अपना सम्मान करना सिखाना है और अपने लिए सम्मान पैदा होता है सही फैसलों से. तो मां को हमेशा बेटे की बात को समझना होगा, उसे महत्व देना होगा साथ में ये भी सीखना होगा कि वो बेटे को गलत को गलत कहने की हिम्मत दे कर खुद में गलत साबित होने पर उसे एक्सेप्ट करने का हौंसला रखे. तभी बेटा उससे दिल से जुड़ेगा. दवाब से गुलाम बनते हैं रिश्ते नहीं इसलिए एक दूसरे पर दवाब ना डालें बल्कि सम्मान दें.

बेटे को सिखायें औरत की कद्र और कीमत

मां ही वो शख्स है जो बेटे को बताती है कि औरत के इमोशंस का क्या मतलब है और वो मर्द की जिंदगी में क्या मुकाम रखती है. बेटे को कब्जे में रखने के लिए उसे कंट्रोल करने की फितरत ना दें. क्योंकी फिर वो आपसे तो दूरी बना ही लेगा औरत को कभी बराबरी का दर्जा देना नहीं सीख पायेगा. वो मां के कंट्रोल में रहेगा और आने वाले वक्त में पत्नी को कंट्रोल करने की कोशिश करेगा. नतीजा बैलेंस बिगड़ेगा और किसी भी रिलेशन में बांडिंग नहीं रहेगी. सम्मान देंगी तो सम्मान लेंगी और प्यार भी.

बेटे को व्याक्तिव बनाने में मदद करें कठपुतली ना बनायें

ये पूरी तरह मां के हाथ में है. हर टाइम नसीहत देकर वो उसके आत्मविश्वास में कमी पैदा करती हैं. बेटे को फैसला करने का मौका दीजिए. ये सच है कि हर मां बेटे को आग से खेलने से बचाना चाहती है क्योंकि उसे अनुभव है कि आग से जल जाते हैं. सो अपने बेटे को अपने अनुभव बताइए पर उसे अपने अनुभव भी कमाने दीजिए और उनसे सीखने दीजिए. परों में बेटे को छुपाने वाली मांए अक्सर भूल जाती है कि उनका बेटा जिस दुनिया का सामने करने घर से बाहर निकलता है वहां, जलना, चोट खाना और रिजेक्ट किया जाना विकास का एक हिस्सा है और उसे ये बात अगर घर में सीखने को नहीं मिलेगी तो बाहर उसके आत्मविश्वास की धज्जियां उड़ जायेंगी और मां बेटे के रिश्ते में भी दूरी आ जायेगी.

बेटे को मौके दें

मांए अक्सर युवा बेटे को ये जताती हैं कि अब तुम अपनी जिम्मेदारी संभालो और हमारे बुढ़ापे का सहारा बनो. ये ठीक नहीं है, पहले बेटे को भी अपनी जिंदगी में मौके देने चाहिएं. उसे रिस्क लेने देना चाहिए कि वो अपने करियर में कुछ अलग ट्राई कर सके. उसे मौका दें कि वो अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी सके. बेटे को क्या चाहिए इसका फैसला उसे करने दें उसके विवेक पर पर भरोसा करें. ये सही है कि इसमें खतरे हैं तो बेटे अकेला ना करें बल्कि उसके साथ रहें. सच तो ये है कि जिंदगी कोई फिल्म नहीं है कि एक लिमिटेड टाइम में सब खत्म करना है. हो सकता है कि बेटा एक आध फैसला गलत ले लेकिन वो टूटेगा नहीं क्योंकि उसके पास सच में मां है जो उसे संभाल लेगी और तब वो आपकी बात भी सुनेगा.

बातचीत ना रोकें, ना नजरअंदाज करें उसकी शरारतों का हिस्सा बनें

ये तीनों बातें एक ही चीज का क्रमबद्ध सिलसिला है. अगर मां को जानना है कि बेटा किस रास्ते पर जा रहा है तो उससे बातें करना कभी बंद ना करे. इस बात को नजरअंदाज ना करे कि युवा हो चुके बेटे की बातों को सुनना उसके लिए जरूरी नहीं है और उसके पास टाइम में शरारतों का हिस्सा बने.  इससे दो बातें होंगी एक तो आप की शेयरिंग बढ़ेगी और बेटा महिलाओं के लिए भी संवेदनशील रहेगा. दूसरा आप भी युवा यानि यंग एट हार्ट फील करेंगी. इसके साथ ही आपका बेटा ऐसी किसी भी हरकत का हिस्सा नहीं बनेगा जो आज हमारी सोसायटी में औरतों के साथ बढ़ते अत्याचार की वजह बन रही हैं क्योंकि वो तो अपनी मां का बेटा है जो एक औरत है.

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