भ्रष्टाचारी को एक थप्पड़ जरूर मारो

वर्मा जी कुछ दिनों से चिड़चिड़े हो गए हैं। उन्हें बात-बात पर गुस्सा आ जाता है। अचानक हमारी मुलाकात उनसे नुक्कड़ वाली चाय की दुकान पर हुई तो सिस्टम पर खीझ निकालना शुरू कर दिया। एक दूध वाला सामने से गुजरा तो उसे गरियाने लगे। बोले, ‘पता नहीं लोग क्यों इन दूधियों से दूध लेते हैं, ये जानते हुए कि वो रोज पानी मिलाकर देता है। मैं तो कहता हूं सबको ऐसे दूध वालों से दूध लेना ही बंद कर देना चाहिए.’ उनके ही दफ्तर में काम करने वाले मिश्रा जी उधर से गुजर रहे थे। वर्मा जी को गरम होते देखा तो वो रुके। समझाने लगे। ‘शांत, शांत शांत हो जाइए वर्मा जी। क्यों गुस्से से फटे जा रहे हो। क्या-क्या बंद कराओगे। दूध वाला, गैस वाला, किराना वाला सब तो जेबें काट रहे हैं। अब तो सिस्टम में ये आम हो चुका है.’

ठग्गू को तमाचा मारें या समझाएं

- दूध वाले से लेकर गैस वाले तक सभी चोरी करते हैं

- वर्मा जी का दर्द तो हर शहरवासी की कहानी है

MEERUT : नुक्कड़ पर वर्मा जी की बातचीत सुनकर लगा कि उनकी तरह हमारे शहर के अमूमन सभी लोग गली-गली के चोरों से परेशान हैं। जो रोज ही हमसे टकराते हैं और हम उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। वर्मा जी ने जो बताया

1. दूध वाला - घर में दो लीटर दूध आता है। इसमें आधे लीटर से ज्यादा तो पानी मिला होता है। दूध वाले को कई बार कहा जाता है लेकिन वो एक ही बात दोहराता है नहीं बाबूजी भगवान कसम। मिलावट नहीं करता। एक बार तो मैंने खुद जाकर अपने सामने भैंस से दूध निकलवाया। उसमें भी मिलावट मिली।

2. सब्जी वाला - हम कई बार अपनी काहिली की वजह से मंडी तक हम नहीं जा पाते। मोहल्ले में रोज आने वाले ठेले वाले से ही सब्जी लेते हैं। सभी को सुबह सब्जी चाहिए। सभी की अपनी अलग-अलग ख्वाहिश। सब्जी वाला हमें सुविधा तो देता है लेकिन उसकी मनमानी कीमत वसूलता है। दस परसेंट भी नहीं पूरे डबल रेट में माल बेचता है। हम मोल भाव करते हैैं तो अपनी आदत से बाज नहीं आता।

3. कुकिंग गैस - वैसे ही गैस सिलेंडरों पर सरकार ने आग लगाई हुई है। जब एजेंसी से समय गैस नहीं पहुंचती तो किसी डिलीवरीमैन से संपर्क करना ही पड़ता है। और फिर ब्लैक में खरीदो। अब आप ही बताइए इतने महंगे सिलेंडर में भी चोरी होने लगे तो कैसा लगेगा।

4. पेट्रोल पंप - पेट्रोल की कीमतों को जितनी तेजी से ऊपर जाते देखा है उससे दोगुनी तेजी से पेट्रोल की क्वालिटी के गिरते स्तर को देखा है। उसके बाद ये पंप वाले मिलीलीटर में टांका लगाते हैं। इनकी चोरी पर भइया, बस नहीं चलता। पेट्रोल की जगह पानी बेचने लगे हैं।

5. किराना दुकान - नुक्कड़ में उस बनिये को तो जानते हो न। अरे वही जो पूरे मोहल्ले में ठग्गू के नाम से मशहूर है। जैसा नाम वैसा काम। अब कोई आसपास सामान खरीदने की दुकान भी तो नहीं है। उससे बड़ा चोर तो मैंने आज तक नहीं देखा। चावल, तेल, दाल सभी में मिलावट। सामान का बिल मांगों तो झगडऩे लगता है। कुछ कहने पर बच्चों के सिर पर हाथ रख लेता है।

6. रेलवे स्टेशन - यहां तो भांति-भांति के चोर मिलेंगे आपको। टिकट काउंटर से लेकर प्लेटफॉर्म और अंदर ट्रेन तक। मुझे हमेशा ब्लैक में टिकट लेनी पड़ती है। प्लेटफॉर्म का सामान इतना महंगा कि पूछो मत। उसके बाद आपके पास आईडेंटी कार्ड नहीं है तो चेकर की मुट्ठी गर्म करो। भइया चोर हमेशा कदम कदम पर हैं।

7. ट्रैफिक पुलिस - इन्हें तो आप लाइव देख सकते हो किसी भी चौराहे पर। चोरों की जमात दुकानों और नुक्कड़ों में ही नहीं रेड लाइट में भी मौजूद हैं। हेलमेट न लगाने वालों का मैंने तो कभी काटते देखा नहीं, बस लोगों को रोकते ही देखा है। उसके बाद चौकी में जाकर अपनी जेबें गर्म करते हैं। अरे भाई चालान काटो। क्यों किसी की जिंदगी से खिलवाड़ करते हो।

8. एडमिशन - हाल में मैंने अपने भतीजे का स्कूल में एडमिशन कराया है। सारा भ्रम उतर गया। कौन कहता है इन्हें शिक्षा का मंदिर? आरटीओ से भी खराब स्थिति है। एडमिशन में डोनेशन के नाम पर लोगों की जेबेंं काटना इनका खुला धंधा बन गया। उसके बाद किसी न किसी बहाने कुछ न कुछ खर्चा कराते ही रहते हैं।

9. यूनिवर्सिटी - यूनिवर्सिटी का हाल तो और भी बुरा है। मेर बेटी ने बीएड किया है। टीईटी में आवेदन करने के लिए प्रोविजनल सर्टिफिकेट की जरुरत थी। फॉर्म जमा करने के एक महीने बाद भी सर्टीफिकेट नहीं मिला। फॉर्म ही गायब कर दिया गया। बाद में कर्मचारी को एक हजार रुपए देकर सर्टीफिकेट बनवाया।

10. मेरा बल्ब - हद तो तब हो गई जब मैंने गली से अंधेरे को मिटाने के लिए बल्ब लगा दिया था। कुछ गलत तो किया नहीं था। सभी आते जाते हैं। एक दो लोगों को चोट भी लग गई थी। डिपार्टमेंट के लोगों ने उसका बिल भी घर के बिल में जोड़ दिया। जब मैंने बिजली विभाग में बात की तो जब तक उन्होंने मुझसे तीन हजार रुपए रिश्वत नहीं ले नी तब तक मेरा पीछा नहीं छोड़ा। भलाई के काम में भी चोरी।

11. बिजली चोरी - देखा फिर लाइट चली गई। एक घंटे पहले ही तीन घंटे बाद तो लाइट आई थी। उनकी लाइट तो कभी जाती नहीं जो चोरी की बिजली यूज करते हैं। जो बिजली का बिल देते हैं, उनके ऊपर ही इनकी तलवार चलती है। बिजली चोरी करने वाले लोगों की वजह से हमारी लाइट में कटौती की जाती है। विभाग उन पर कार्रवाई क्यों करेगा। जेब जो गर्म करते हैं.   

12. दवा में भी मिलावट - अब तो दवा का भी भरोसा नहीं है। कल ही बात है। मैं तुम्हारी भाभी की डायबिटीज की दवा लेकर आया। शुक्र है बेटे की नजर उसकी एक्सपायरी डेट पर पड़ गई। तीन महीने हो चुके थे एक्सपायर हुए। खूब लताड़ा दुकानदार को। कहने लगा कल ही नया स्टॉक निकाला था। अब तुम ही बताओ इन चोरों का क्या किया जाए।

13. रेजगारी - किसी से रेजगारी मांग लो। भाई साहब सच कहता हूं कि नानी मर जाएगी। बस वाला, पान वाला या कोई भी बड़ा शोरूम उसके पास कभी आपको दो से तीन रुपए का बैलेंस वापस नहीं करेगा। दुकानदार तो मझे पैसे लौटाने की जगह टॉफी दे देता है। जबकि आरबीआई ने रेजगारी निकालना बंद नहीं किया है।

14. पार्किंग - रोजाना अपने ऑफिस के बाहर अपना स्कूटर पार्किंग पर लगाता हूं। रिस्क भी मेरा। पार्किंग के चौकीदार की कोई गारंटी नहीं। ऊपर से पूरे दिन के 20 रुपए भी दो। एक दिन मैंने पूछ ही लिया अवैध पार्किंग पर इतने महंगे के रेट। तुम्हें शर्म नहीं आती। उसने जवाब दिया कि तुम्हें गाड़ी पार्क करनी है तो करो वर्ना चलते बनो।

15. हम भी दोषी - अब क्या बताऊं। मैं खुद को भी दोषी (चोर) मानने लगा हूं। हम भी तो कुछ रुपए बचाने के चक्कर में सामान का बिल नहीं लेते। अपने घर का एरिया बढ़ाने के लिए घर के आगे की जमीन कब्जा लेते हैैं। सरकारी जमीन को एंक्रोच करते हैं। ट्रेन में टिकट नहीं लेते और टीटीई आए तो कुछ पैसे देकर बिना टिकट लिए यात्रा कर लेते हैं। बच्चों को चोरी करने की संस्कृति से लैस कर रहे हैं। और क्या-क्या बताऊ? चलता हूं भाई। ठग्गू के यहां से कुछ सामान खरीदना है!

पब्लिक वर्जन

गांव से दूध मंगाता हूं
कभी कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब मैं मिलावट के मामले में दूध वाले को नहीं टोकता। हफ्ते में दो बार उसका दूध खराब ही हो जाता है। एक दिन तो मैं उसके पास खुद दूध लेने चला गया। देखा भैंस को पहले इंजेक्शन लगाया फिर दूध निकाला। इधर-उधर देखा और पानी भी मिला दिया। मैंने तुरंत हिसाब किया और गांव में बड़े भाई से दूध भेजने को कह आया।
- डॉ। राजीव गुप्ता, लालकुर्ती

पेट्रोल से परेशान
इलेक्ट्रिशियन के काम में बाइक से इधर-उधर काफी भागना पड़ता है। भाई साहब मैं तीन महीने में दो बार बाइक का इंजन खुलवा चुका हूं। मैंने कचहरी से दो लीटर पेट्रोल डलवाया। परतापुर पहुंचते ही बाइक बंद हो गई। देखा, पेट्रोल खत्म था। चार किमी। बाइक खींचकर पेट्रोल पंप की तलाश करनी पड़ी।
- मोहित कुमार, बैंक कालोनी

15 दिन चली गैस
मैं तो अपने गैस सिलेंडर वाले से काफी परेशान हो चुकी हूं। सुबह उठी चाय बनाने के लिए पानी ही रखा था कि थोड़ी देर में गैस खत्म हो गई। जबकि अमूमन 20 दिन तो हमारा सिलेंडर चलता ही है। 15 दिन में खत्म होने का तो कोई तुक ही नहीं है। मैंने एजेंसी में शिकायत की। पास में खड़े एक आदमी ने बताया कि मैं भी यहीं शिकायत करने आया हूं। सिलेंडर में गैस चोरी काफी हो रही है।
- एकता, गढ़ रोड

रेजगारी देते ही नहीं
भाई साहब चोरी की न पूछिए। मैं और मेरी बहन शॉपिंग करने के लिए गए थे। टोटल सामान 499 रुपए का हुआ था। मैंने 500 रुपए का नोट दिया। एक रुपया मांगा तो कह दिया खुल्ले नहीं है। मेरी बहन तो झगडऩे लगी। हर बार का ड्रामा है। सरकार ने रेजगारी बंद तो की नहीं। एक-दो रुपए के बकाए को तो कुछ समझते ही नहीं।
- मीनू, रजबन