- स्कूलों में फीस के अलावा अन्य खर्चे भी होते हैं

- नहीं चलते पुराने नोट, कैसे हो पाएगी एक्टिविटी

Meerut- नोटबंदी के बाद सभी सुविधाओं को कैशलेस करने की बात चल रही है। कहीं ऑनलाइन पेमेंट तो कहीं चेक पेमेंट की बातें हो रही हैं। ऐसे में पेरेंट्स को भी चिंता सताने लगी है कि वो स्कूलों की फीस तो खाते में जमा करा देंगे, लेकिन एक्टिविटी व अन्य छोटे खर्चो को वो कैसे बिना कैश के पे कर सकते हैं। आखिर सवाल ये है कि स्कूल कैसे कैशलेस हो सकते हैं।

होते हैं कई सारे खर्चे

स्कूलों की फीस तो बैंकों के खाते में जमा हो सकती है। लेकिन फीस के अलावा स्कूलों में अन्य भी ऐसे खर्चे होते हैं जिनको कैश से ही किया जा सकता है। जैसे स्कूलों में होने वाले एनुअल फंक्शन, स्पोर्ट्स मीट, एल्युमिनाई मीट, कलर्स डे, स्पेशल डेज आदि विभिन्न तरह की एक्टिविटी होती है। जिनके लिए पेरेंट्स से दो सौ से लेकर हजार तक चार्ज किया जाता है। इसके अलावा होने वाले एजुकेशन टूर, एग्जाम व विभिन्न तरह के फॉर्म आदि के लिए भी होने वाले खर्चे स्कूलों की तरफ से लिए जाते हैं। जिसके लिए कैश पेमेंट करना पड़ता है। लेकिन पैसे न होने की वजह से पेरेंट्स को कैश पेमेंट करने में दिक्कतें आ रहीं है।

जल्द निकालेंगे सॉल्यूशन

उधर स्कूल्स का कहना है कि अभी इसके बारे में उन्होंने कोई विचार नहीं किया है। क्योंकि स्कूलों में ऐसी एक्टिविटी अभी कम है। स्कूलों का मानना है कि समयानुसार व सुविधानुसार सॉल्यूशन होगा। वहीं कुछ स्कूलों का कहना है कि वो इसके लिए चेक पेमेंट मांग रहे हैं।

क्या कहते हैं स्कूल्स

अभी इसके बारे में सोचा नहीं है, हो सकता है स्वैप मशीन मंगाई जाएगी। इसके साथ ही पेटीएम पेमेंट भी करवा सकते हैं।

मधु सिरोही, प्रिंसिपल, एमपीजीएस

स्कूल में अभी ऐसी कोई एक्टिविटी नहीं है, अगर होती भी है तो उसके लिए चेक पेमेंट करवाया जाएगा। अगर कोई टूर भी जाता है तो चेक लिया जाएगा।

-प्रेम मेहता, प्रिंसिपल, सिटी वोकेशनल स्कूल

अभी ऐसे कोई खर्चे नहीं हैं, अगर किसी तरह की ऐसी कोई खर्च की बात आती है तो उसका समय व सुविधानुसार सॉल्यूशन किया जाएगा।

-एचएम राउत, प्रिंसिपल, दीवान पब्लिक स्कूल

क्या कहते हैं पेरेंट्स

स्कूलों में विभिन्न एक्टिविटी होती है, जिनमें पांच सौ, छह सौ या हजार तक का खर्च मांगा जाता है। स्कूल्स तो पुराने नोट भी नहीं लेते है।

ज्योति

कई बार एक्टिविटी में बच्चों से पैसा मांगा जाता है। लेकिन अब तो खुल्ले पैसों का झंझट भी रहेगा। यहीं चिंता है कैसे कैशलेस पेमेंट होगा।

संदीप