- हर कश के साथ बॉडी में जाते हैं चार हजार से अधिक केमिकल

- फ्लेवर्ड और हर्बल हुक्का भी है खतरनाक

ALLAHABAD: जब गांव में दद्दा हुक्का गुड़गुड़ाते थे तो लोग उन्हें मना करते थे। समझाते थे, लेकिन वहीं आज दद्दा वाले हुक्का का ही मोडीफाई रूप फ्लेवर्ड और हर्बल हुक्का मार्केट में आ गया है तो पैरेंट्स अपने बच्चों को मना नहीं कर रहे हैं। यहीं नहीं खुद भी बच्चों के साथ मिंट, स्ट्राबेरी या फिर इलाइची फ्लेवर्ड वाला हुक्का गुड़गुड़ा लेते हैं। क्योंकि लोग सोचते हैं कि फ्लेवर्ड और हर्बल हुक्का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं है। डॉक्टर्स और एक्सपर्ट की मानें तो ये फ्लेवर्ड हुक्का भी कम खतरनाक नहीं है। क्योंकि ये तंबाकू नहीं है, लेकिन इसमें शीशा मौजूद है। जिसके जरिये हर कश के साथ बॉडी में चार हजार से अधिक केमिकल जाते हैं, तो हो जाईए सावधान क्योंकि ये शरीर आपका है और इस शरीर को स्वस्थ रखना आपकी जिम्मेदारी है

अरब मुल्क से आया हुक्का बार कल्चर

दुबई, अमेरिका, यूएई और फ्रांस जैसे देशों में प्रतिबंधित हो चुका हुक्का अब इलाहाबाद के आलीशान रेस्टोरेंट्स की पहचान बन चुका है। जिसके निशाने पर मोटी रकम अदा करने वाली युवा पीढ़ी है। विदेशों में जहां इस तरह का नशा मुहैया कराने वालों के खिलाफ एंटी ड्रग्स कानून के तहत कार्रवाई होती है वहीं अपने देश में शातिर हुक्का बार संचालकों ने इसका तोड़ फ्लेवर्ड शीशे के रूप में निकाला है।

हर कश में चार हजार रसायन

डॉक्टरों की मानें तो शीशा के हर कश में चार हजार रसायन होते हैं। इसमें 40 से अधिक रसायनों से कैंसर जैसे जानलेवा रोग होने की संभावना बनी रहती है। जो केवल हुक्का पीने वाले को नहीं बल्कि आसपास बैठे लोगों को भी उतना ही नुकसान करता है। जिससे अस्थमा अटैक, ब्रांकाइटिस, लंग्स कैंसर, पिलिहा कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, हार्ट डिजीज सहित भूलने की बीमारी हो सकती है। प्रेगनेंट लेडीज अगर इस लत की एक्टिव या पैसिव शिकार है तो उसका बच्चा लो बर्थ वेट की चपेट में आ सकता है।

बॉडी में ऐसे जाता है शीशा

मैलेशिश (शीरा) को हुक्के के जार में भरकर ऊपर रखी प्लेट में टेबोनल या मसाल या जर्क डाला जाता है। फिर इसे नीचे बर्नर से गर्म किया जाता है। हुक्का पाइप से यह कश शीरा में होता हुआ सीधे मुंह में पहुंचता है। यही शीशा बॉडी में पहुंचकर खतरनाक रोगों को दावत देता है। आमतौर पर लोगों को बताया जाता है कि हुक्के से कोई नुकसान नहीं होता है।

फैक्ट फाइल

डिफरेंट-डिफरेंट फ्लेवर में मौजूद है हुक्का

मार्केट में ग्राहकों को लुभाने के लिए डिफरेंट फ्लेवर मौजूद हैं। इनमें वनीला, गुलाब, जासमीन, शहद, आम, स्ट्राबेरी, तरबूज, पुदीना, मिंट, चेरी, नारंगी, रसभरी, सेब, एप्रीकोट, चाकलेट, मुलेठी, काफी, अंगूर, पीच, कोला, बबलगम, पाइन एपल

धुएं में होते हैं ये घातक रसायन

एसीटोन, अमोनिया, नैफ्थेलैमिन, मेथोनॉल, पाइरीन, डाई मैथिल, नाइट्रो सैमीन, नफ्थैलीन, केडमियम, कार्बन डाइमोनोआक्साइड, बेंजोपाइरीन, वाइनिल क्लोराइड, हाइड्रोजन साइनायड, टोल्यूडिन, युरेथैन, टल्यूइनस, आर्सेनिक, डाय बैंजो क्रीडीन, फिनोल, ब्यूटेन, पोलोनियम ख्क्0, डीडीटी आदि

बन रहा है स्टेटस सिंबल

सिगरेट के बाद हुक्के का नशा युवाओं के बीच स्टेटस सिंबल बनकर उभरा है। दोपहर से शाम तक शहर के पॉश इलाकों में स्थित हुक्का बार में हल्की रोशनी और म्यूजिक के बीच टीन एजर्स को धुआं उड़ाते देखा जा सकता है। इस नशे की गिरफ्त में ग‌र्ल्स भी कम नहीं हैं। सिविल लाइंस स्थित एक हुक्का बार के संचालक बताते हैं कि अलग-अलग फ्लेवर के हिसाब से हुक्के के दाम तय किए जाते हैं। एक बार आने के बाद कस्टमर्स बार-बार आते हैं। हालांकि, उन्होंने हुक्के में तंबाकू के यूज की बात से इंकार किया है।

आप भी जान लीजिए

- हुक्के की लत से कैंसर, हार्ट डिजीज, नपुंसकता और टीबी जैसे करीब ख्भ् घातक रोगों का खतरा रहता है।

- अमेरिका, दुबई, यूएई, जर्मनी आदि देशों में हुक्के पर बैन है।

- क्भ् वर्ष से कम आयु के क्ब् प्रतिशत बच्चों में धूम्रपान की लत।

- भारत में हर दूसरा पुरुष और हर सातवीं महिला धूम्रपान की लत की शिकार है।

- हेल्थ मिनिस्ट्री के मुताबिक भ्ख् फीसदी बच्चे फिल्म स्टार या विज्ञापन देखकर धूम्रपान के शिकार होते हैं।

शहर में हुक्का बार के रूप में नशे का नया ट्रेंड शुरू हुआ है, जो गली-मोहल्लों में फैलता जा रहा है। खासतौर से युवाओं में हुक्के के प्रति दीवानगी देखी जा रही है। इसके धुएं के जरिए शीशा शरीर को खोखला बना रहा है। जिससे फेफड़े से संबंधित कई घातक बीमारियां हो सकती है। युवाओं का इस लत से दूर रहना चाहिए।

डॉ। आशुतोष गुप्ता, टीबी एंड चेस्ट स्पेशलिस्ट

हुक्के में उपयोग होने वाले फ्लेवर की क्वालिटी की जांच की जानी चाहिए। इसके लिए फूड लाइसेंस का प्रावधान है या नहीं। इसकी जांच की जाएगी। अगर प्रावधान है तो बिना लाइसेंस चलने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

सीएल यादव, चीफ फूड इंस्पेक्टर, खाद्य सुरक्षा विभाग