RANCHI: सात साल की उम्र में ट्रैफिकर उसे गांव से अपने साथ ले गए। उसी उम्र में उसे पंजाब की एक फैक्ट्री में मजदूर के रूप में झोंक दिया। साथ ले जानेवाले ने उसे बेच डाला। क्भ् साल बाद जब वह उस यातना गृह से छूटा, तो पंजाब के ही एक रईस के घर में बंधुआ मजदूर रख लिया गया। यह कहानी है सिमडेगा धांसू टोला के रहनेवाले ख्म् वर्षीय करमू मांझी की, जो अब घर आना चाहता है। बाकी जिंदगी अपनों के साथ बिताना चाहता है। सिमडेगा पुलिस दीया सेवा संस्थान की पहल पर करमू के परिजनों को तलाश रही है। सोमवार को एसपी राजीव रंजन ने संस्थान की सीता स्वांसी को आश्वस्त किया कि जल्द ही करमू को पंजाब से लाया जाएगा।

पिता बचपन में ही गुजर गए

जानकारी के अनुसार, करमू मांझी के पिता बचपन में ही गुजर गए थे। मां दशमी देवी और चार भाइयों बरघर मांझी, रामू मांझी, कृष्णा मांझी के बाद करमू मांझी परिवार में सबसे छोटा है। उसे अब अपनों की तलाश है। वह अपनी मां और भाइयों के साथ बाकी की जिंदगी बिताना चाहता है।

सालों से भरपेट खाना नहीं खाया

करमू मांझी को गांव के पास का ही एक दलाल नौकरी दिलाने के बहाने पंजाब लेकर गया था। पंजाब जाने के बाद उसने उसे एक फैक्ट्री में बेच दिया। करमू मांझी के मुताबिक, उसने सात साल से अब तक ठीक से खाना भी नहीं खाया है। उसने सोचा कि सरदार जी उसे फैक्ट्री से निकालेंगे तो वो उसेअपने पैतृक घर भेज देंगे? पर सब व्यर्थ। अब उसे सरदार जी का खेत संभालना पड़ रहा है। बकौल, करमू मांझी उसे ठीक से खाना तो दूर, एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलती है।