आई फॉलोअप

स्लग: दिल्ली में रांची की नाबालिग बच्ची ने पापा-मम्मी को सुनाई लेडी डॉक्टर के टॉर्चर की दास्तान

-बंदगांव से रांची होते हुए दिल्ली पहुंचे पीडि़ता के माता-पिता

-पश्चिमी सिंहभूम के डीसी ने दिया था एक लाख का चेक

RANCHI(16 Jan): दिल्ली के एक महिला डॉक्टर की प्रताड़ना से प्रताडि़त नाबालिग बच्ची ने मंगलवार को झारखंड भवन में अपने पैरेंट्स को डॉक्टर केक अमानवीय हरकतों की कहानी सुनाई। पीडि़ता के पैरेंट्स उस दिन को कोस रहे थे जब उसके घर में चार माह पहले एक महिला समेत दो लोग आए थे और उनलोगों को पैसे की लालच देकर उनकी बेटी को दिल्ली में लाकर बेच डाला था। बाद में उक्त प्लेसमेंट एजेंसी ने घर पैसे भी नहीं भिजवाए थे। दिल्ली के सीडब्ल्यूसी में भी पैरेंट्स ने पूरे मामले की जानकारी दी।

बेटी से मिलने के बाद छलके आंसू

जब पैरेंट्स वहां पहुंचे तो उनलोगों को देखकर बरबस पीडि़ता की आंखों से आंसू छलक आए। वे अपने माता-पिता से बाबा-बाबा कहकर लिपट गई।

क्या हुआ था झारखंड की बेटी के साथ

गौरतलब हो कि दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में झारखंड की एक नाबालिग घरेलू सहायिका को महिला डॉक्टर निधि (40)चार माह से अपने घर में बंधक बनाकर टॉर्चर कर रही थी। उसे घर में कैद रखा गया था और बात-बात पर उसकी पिटाई की जाती थी। आरोपी डॉक्टर गर्म आयरन से उसके हाथों व उंगलियों को जलाती थी। इससे भी जी नहीं भरता, तो उस पर गर्म पानी फेंक देती थी और खुद ही नहीं बच्चों से भी उस पर थूक फेंकवाती थी। उसकी आंखों पर कैंची से भी वार किया था और गुस्से में जो हाथ में आता था, उसी से मार बैठती थी।

कैसे मुक्त कराई गई बच्ची

आरोपी के पड़ोस में रहने वाले एक शख्स ने दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन नंबर पर इसकी शिकायत की थी। इसके बाद स्थानीय पुलिस व महिला आयोग की टीम ने आरोपी के घर पर छापेमारी कर पीडि़ता को शुक्रवार को मुक्त कराया। मॉडल टाउन थाने में मामला दर्ज कर आरोपी को शनिवार को ही गिरफ्तार कर लिया गया है। उसकी पहचान कल्याण विहार निवासी डॉ। निधि (40) के रूप में हुई है। वह डेंटिस्ट है और अपने घर पर ही क्लीनिक चलाती थी। मुक्त कराई गई लड़की की मेडिकल जांच कराने पर उसके शरीर पर कई जगह जलाने व चोट के निशान मिले हैं।

काम करने दिल्ली गई थी बच्ची

पुलिस के अनुसार, 16 वर्षीया पीडि़ता चाईबासा के बंदगांव की रहनेवाली है। करीब छह माह पूर्व वह झारखंड से दिल्ली काम करने गई थी। चार माह पूर्व ही उसे सरस्वती सर्विस सेंटर नामक प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक राम कुमार ने डॉ। निधि के यहां नौकरी पर रखवाया था। इसके बाद ही उसके साथ लगातार यातना का दौर शुरू हुआ था।

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कई दिनों तक नहीं दिया जाता था खाना

पीडि़ता ने बताया कि पुलिस के आने से एक दिन पूर्व आरोपी डॉक्टर ने उसकी जमकर पिटाई की थी और गुस्से में उसे नीचे गिराकर उस पर बैठ गई और गला दबाने लगी थी। आरोपी उस पर वजन तौलने वाली मशीन से कई वार कर चुकी है। पीडि़ता ने महिला आयोग की टीम को बताया कि उसको कई दिनों तक खाना नहीं दिया जाता था। खाने के नाम पर उसको दो दिन में दो बासी रोटी दी जाती थी। यहां तक कि उसे इस भीषण ठंड में गर्म कपड़े तक पहनने को नहीं देती थी और न ही रात में सोने के दौरान कंबल या रजाई देती थी। वह पिछले चार माह से काम कर रही थी, लेकिन उसे पारिश्रमिक भी नहीं दिया जा रहा था।