पार्टी में मची है खलबली
मंगलवार को पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में कबीर को नोटिस जारी किया था, लेकिन उसे नजरअंदाज कर बुधवार को उन्होंने सीएम और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी पर जमकर भड़ास निकाली. नतीजतन, उन्हें गुरुवार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. पार्टी में बगावत की कोशिश पर बुधवार को वीरभूम जिले के सिउड़ी क्षेत्र के विधायक स्वपन कांति घोष को निलंबित कर दिया था. उन्होंने अपनी ही पार्टी के भ्रष्टाचार को लेकर बुधवार को विधानसभा में धरना दिया था. वहीं मुकुल के करीबियों में शुमार बैरकपुर के विधायक शिलभद्र दत्त से संसदीय सचिव का पद भी छीन लिया गया.

ममता के खिलाफ बयानबाजी
तृणमूल महासचिव व अनुशासन कमेटी के प्रमुख पार्थ चटर्जी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हुमायूं कबीर को पहले शोकॉज नोटिस दिया गया था. इसके बाद भी उन्होंने बुधवार को मुख्यमंत्री के खिलाफ बयानबाजी की. कबीर ने कहा था कि मुकुल को हटाने से ममता बनर्जी को सीएम पद से इस्तीफा देना होगा. साथ ही उन्होंने आरोप लगाया था कि ममता अपने भतीजे को राजा बनाना चाहती है, जो कभी पूरा नहीं होगा. पार्टी की अनुशासन समिति ने दल विरोधी क्रियाकलाप के चलते उन्हें तृणमूल से छह वर्ष के लिए बर्खास्त कर दिया गया है.

पार्टी पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
पार्टी के फैसले पर हुमायूं ने कहा कि इस फैसले से मैं बहुत खुश हूं. तृणमूल कांग्रेस में जारी भ्रष्टाचार व कार्यकर्ताओं के गलत क्रियाकलापों पर वे आगे भी विरोध करते रहेंगे. उन्होंने साफ किया जब तक मैं जीवित रहूंगा अन्याय के खिलाफ लड़ता रहूंगा. सूत्रों का कहना है कि तृणमूल इस समय मुकुल के करीबी नेताओं की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है. दो वर्ष पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी के करीबी कहे जाने वाले मुर्शिदाबाद के रेजीनगर के विधायक हुमायूं कबीर ने कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में शामिल हुए थे. इसके बाद ममता ने उन्हें मंत्री भी बनाया था. परंतु, उपचुनाव में हार जाने के बाद उनका मंत्री पद चला गया था.

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