- कहा, ऑक्सीजन तभी लगाएंगे जब सौ रुपए दोगे

- मामा ने आई नेक्स्ट से कहा मैं कंपाउंडर हूं और जांच कर देखा कि खाली सिलेंडर लगाया

-तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जांच

-बुधवार रात 10.30 बजे की है घटना

-गंभीर बीमारी से पीडि़त था रौशन

PATNA : पीएमसीएच ने एक बच्चे को ऑक्सीजन देने की कीमत सौ रुपए लगाया। रुपए नहीं दिए तो हवा भी नसीब नहीं हुई। मासूम की मौत तड़प-तड़प कर हो गई। जिउतिया के दूसरे ही दिन मां गायत्री देवी के बेटे को पीएमसीएच की व्यवस्था ऐसे छीन लेगी कोई सोच भी नहीं सकता। लेकिन ये हुआ। पीएमसीएच में विश्वकर्मा पूजा की रात बाकी रातों से ज्यादा काली थी।

खाली सिलेंडर ने तड़पाया और फिर ले ली जान

रौशन के पिता सुरेंद्र साव का कहना है कि उसे ऑक्सीजन का खाली सिलेंडर लगाया गया था। रौशन क्म् सितंबर को पीएमसीएच के पेडियाट्रिक वार्ड में एडमिट किया गया था। डाक्टरों के मुताबिक उसे सेप्टीसिमिया की बीमारी थी। बुधवार की मॉर्निग साढ़े दस बजे से उसकी हालत बिगड़ने लगी। इस बात की जानकारी जब उसके पिता ने डॉक्टरों को दी तो उन्हें बताया गया कि उसे सांस लेने में तकलीफ है। उसे ऑक्सीजन का सिलेंडर लगाया गया। लेकिन दिन में करीब ढ़ाई बजे ऑक्सीजन खत्म हो गया। इस बीच दूसरा सिलेंडर लगाने के लिए ऑक्सीजन इंचार्ज सुभाष प्रसाद ने क्00 रुपये की मांग की। लेकिन उसके पिता ने कहा पैसे नहीं देंगे। पिता ने आरोप लगाया है कि खाली सिलेंडर लगाने की वजह से उसके लाडले की सांस हमेशा के लिए थम गई।

शराब के नशे में धुत था सुभाष

बुधवार को जब रौशन की तबीयत बिगड़ने लगी तो रौशन के फैमिली के कई लोग हॉस्पिटल पहुंचे। उसके मामा हीरा लाल गुप्ता ने आई नेक्स्ट को बताया कि मैं जब दूसरा सिलेंडर लाने के लिए गया तो ऑक्सीजन इंचार्ज सुभाष प्रसाद नशे में धुत था। उसने कहा कि मुझे क्00 रुपये दो तब सिलेंडर लगाऊंगा। लेकिन जब मैंने कहा कि गवर्नमेंट हॉस्पिटल में मैं पैसा नहीं दूंगा, तो उसने कुछ नहीं कहा और खाली सिलेंडर लगा दिया। इसके कारण रौशन की मौत बुधवार को रात साढ़े दस बजे हो गयी।

मामा खुद कंपाउंडर हैं

रौशन के मामा ने आई नेक्स्ट से कहा कि मैं सबूत के साथ यह बात कह सकता हूं क्योंकि मैं खुद एक प्राइवेट क्लिनिक में कंपाउंडर का काम करता हूं। मैंने सिलेंडर को पानी से जांचा तो पाया कि उससे कोई बुलबुला नहीं निकला।

खाली सिलेंडर के कारण हुई मौत

रौशन के मामा हीरालाल गुप्ता बार-बार यह दावे के साथ कह रहे हैं कि उसके बेटे की मौत खाली सिलेंडर लगाने के कारण ही हुई है। उसे केवल ज्यादा बुखार था। रौशन की मौत के बाद वहां के डॉक्टरों ने कहा कि बच्चा मर गया है ले जाइए। लेकिन मैंने सबसे पहले इस घटना के दोषी सुभाष प्रसाद के खिलाफ पीरबहोर थाने में मामला दर्ज किया।

नहीं मिली एफआईआर की कांपी

रौशन के मामा हीरा लाल गुप्ता जब एफआईआर करने के लिए पहुंचे तो वहां ड्यूटी पर मौजूद पुलिसकर्मी ने कहा कि हमने मामला दर्ज कर लिया है आप जाइए। लेकिन थाना के पुलिसकर्मियों ने एफआईआर की रीसिविंग नहीं दी। इस बात पर रौशन के मामा ने कहा कि एफआईआर की कांपी दीजिए। जवाब में कहा गया कि हम कानून जानते हैं आप यहां से जाइए। उन्होंने बताया कि जब तक मामले की पुलिस को जानकारी नहीं दी तब तक मैंने सिलेंडर को अपने कब्जे में रखा। वहां से लौटने के बाद पेडियाट्रिक डिपार्टमेंट से डिस्चार्ज पेपर और डेथ सर्टिफिकेट दिया गया। इसके बाद रौशन को पूरी फैमिली ने रात डेढ़ बजे गंगा में प्रवाहित कर दिया।