दर्जनों पुरातत्वविद और उनके सहायकों समेत स्थानीय सरकारी अमला एक साधु को आए सपने के आधार पर सैकड़ों साल पुराने राजाराव रामबक्श के किले के खंडहर पर खुदाई शुरू करेंगे, जो एक पुरातन टीले में तब्दील हो चुका है.

शायद ये पहली बार है जब किसी साधु के सपने के आधार पर भारत में सरकारी अमला खज़ाना ढूंढ़ने की कार्रवाई कर रहा है.

हालांकि भारतीय पुरातत्व विभाग के निदेशक (खोज) सैयद जमाल हसन ने बीबीसी से कहा कि देश की सांस्कृतिक विरासतों को पहचानना और उन्हें सहेजने की दिशा में कदम उठाना भारतीय पुरातत्व विभाग का प्रमुख काम है, न कि खज़ाने की खोज करना.

इस पूरे मामले में केंद्रीय कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री चरण दास महंत की भूमिका की सबसे ज़्यादा चर्चा है.

क्या ये महज़ इत्तेफ़ाक है कि शोभन सरकार को खज़ाने का सपना आने के बाद 22 सितंबर को चरण दास महंत और उनकी पत्नी उन्नाव के उस इलाके में गए और शोभन सरकार से मुलाकात की.

क्या ये भी एक इत्तेफ़ाक है कि चरण दास महंत की शोभन सरकार से मुलाकात के बाद भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण ने उस इलाके का सर्वेक्षण किया और 29 सितंबर को अपनी रिपोर्ट दी?

विरोधाभासी रिपोर्टें

पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट

"प्रारंभिक जांच में यहां इतनी भारी मात्रा में सोना होने के संकेत नहीं मिले. इतिहास भी इस इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि राजाराव रामबक्श के पास कभी इतनी भारी मात्रा में सोना था..."

बीबीसी हिन्दी सेवा ने उन सरकारी ईमेलों के आदान-प्रदान को देखा है जिनसे ये बात स्पष्ट हो जाती है कि चरणदास महंत की उन्नाव यात्रा के बाद उनके निजी सचिव और उन्नाव के डीएम ने इलाके की खुदाई का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा.

भारतीय पुरातत्विक विभाग के सूत्रों के मुताबिक 29 सितंबर को भूगर्भ सर्वेक्षण की रिपोर्ट उनको मिली जिसमें कहा गया, “संबंधित इलाके में सोना, चांदी और अन्य अलौह धातु होने की संभावना के संकेत मिले हैं.”

इस रिपोर्ट के बाद मौके पर गई भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम ने वहां भारी मात्रा में सोना होने की संभावना से इनकार कर दिया.

बीबीसी को दिखाई गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, “प्रारंभिक जांच में यहां भारी मात्रा में सोना होने के संकेत नहीं मिले. इतिहास भी इस इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि राजाराव रामबक्श के पास कभी इतनी भारी मात्रा में सोना था. यहा इतना सोने होने का दावा भारत के दूसरे इलाको के खुदाई के इतिहास से भी मेल नहीं खाता. हालांकि इस इलाके में पुरातन महत्व की चीज़ों या ‘आम खज़ाने’ के बारे में सटीक जानकारी नहीं मिली.”

खुदाई का फैसला

"यह खुदाई केंद्र सरकार ही करवा रही है. हमने अपनी तरफ से कुछ नहीं किया जब भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने सरकार को अपनी रिपोर्ट दी जिसमें बताया गया कि नीचे भारी कंटेंट हैं, उसके बाद ही यह फैसला लिया गया."

-प्रवक्ता, पुरातत्व विभाग

खज़ाने के अस्तित्व पर विरोधाभासी रिपोर्टों होने के बावजूद भारतीय पुरातत्व विभाग ने राजाराव रामबक्श के किले पर खुदाई करवाने का फैसला किया है.

उन्नाव में खुदाई के लिए संभावित राजनीतिक दबाव के बारे में भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रवक्ता बी.आर. मणि ने कहा, "यह खुदाई केंद्र सरकार ही करवा रही है. हमने अपनी तरफ से कुछ नहीं किया जब भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने सरकार को, मंत्री को अपनी रिपोर्ट दी जिसमें बताया गया कि नीचे भारी कंटेंट हैं, उसके बाद ही यह फैसला लिया गया."

वहां खज़ाना मिलेगा या नहीं ये तो खुदाई के बाद ही पता चलेगा, फिलहाल सवाल इस बात पर उठ रहे हैं कि क्या भारतीय पुरातत्व विभाग किसी के सपने को आधार मानकर कार्रवाई कर रही है?

भारतीय पुरातत्व विभाग योजनाबद्ध तरीके से हर साल 100 से 150 साइटों पर खुदाई करवाती है, जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक विरासतों को ढूंढ़ना और सहेजना होता है.

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शोभन सरकार के मामले के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से उन्हें हर रोज़ सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनमें लोग संभावित खज़ाने की खोज के लिए टीम भेजने का आग्रह कर रहे हैं.

International News inextlive from World News Desk