पति की कहानी

रात 12.30 बजे पुलिस को पीयूष के घरवालों ने सूचना दी कि पीयूष अपनी पत्नी के साथ रेस्टोरेंट से लौट रहे थे। कंपनीबाग और रावतपुर के बीच में छह बाइक पर सवार युवकों से पीयूष की झड़प हुई। बाइक सवार बदमाशों ने कार लूटी और पीयूष की पत्नी ज्योति का उसी में अपहरण करके ले गए। एक घंटे बाद ही पुलिस ने सूचना पर कार बरामद की। पिछली सीट पर ज्योति की लाश थी। कानपुर में जिंदगी खतरों के बीच ही सड़कों पर चलती है। लेकिन ऐसी अंधेर। कलेजा तो दहलना ही था। इस सनसनीखेज वारदात की सूचना पर खुद आईजी आशुतोष पांडेय जिले के तमाम आला अधिकारियों के साथ जांच में जुटे रहे। हर संभव एंगिल देखा गया, सुबूत खंगाले गए। पुलिस अपनी लाइन पर काम कर रही है।

आई नेक्स्ट की तफ्तीश: कदम दर कदम

मोटिव : किसी भी वारदात का एक मोटिव होता है। उद्देश्य। इस घटना को लेकर पीयूष की कहानी के मुताबिक पहले बदमाशों के हर संभव मोटिव को खंगालते हैं।

बदमाशों की नजर से

1. अगर मामला रोडरेज का है, तो बदमाशों ने पति पीयूष को क्यों छोड़ दिया। झड़प तो पीयूष से हुई थी, जिसे एक खरोंच तक नहीं आई।

2. अगर मामला लूट का है, तो बदमाशों ने बीस लाख की गाड़ी, मोबाइल क्यों छोड़ दिया। एक अंगूठी के अलावा कुछ गायब नहीं।

3. अगर बदमाशों का मोटिव सेक्सुअल था, तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है कोई सेक्सुअल असाल्ट नहीं हुआ। कोई जोर-जबरदस्ती तक का सुबूत नहीं।

अब बाकी

1. लाश की हालत बताती है कि कातिल मकतूल से बेपनाह नफरत के हवाले था। तो क्या कत्ल का उद्देश्य दिल में जल रही नफरत की आग को ठंडा करना था।

2. नफरत इस कदर कि चेहरे तक को देखने के काबिल नहीं छोड़ना चाहता था। तभी तो गर्दन से ऊपर 12 वार चेहरे पर किए गए।

3. लाश की एक उंगली गायब है। और उस उंगली के साथ वेडिंग रिंग। उंगली असल में वेडिंग रिंग लिए ही काटी गई। कातिल बिल्कुल नहीं चाहता था कि ज्योति विवाह की ये निशानी, पीयूष के नाम की ये अंगूठी पहने हुए दुनिया से रुख्सत हो।

सुबूतों का ढेर

क्या हुआ था रेस्टोरेंट में

पति-पत्नी रात साढ़े ग्यारह बजे तक कार्निवाल रेस्टोरेंट में थे। रेस्टोरेंट ग्यारह बजे बंद हो जाता है। लेकिन संडे की रात रश होने के कारण इसके बंद होते-होते साड़े ग्यारह बज गए। सीसीटीवी का फुटेज और कई चश्मदीदों ने आई नेक्स्ट को बताया कि ज्योति और पीयूष के बीच रेस्टोरेंट में तीखी झड़प हुई थी। दोनों की रेस्टोरेंट से रवानगी भी असामान्य थी। इसलिए कई चश्मदीदों को याद है। पीयूष अपनी पत्नी ज्योति को हाथ पकड़कर लगभग खींचते हुए कार तक ले गया। कार वहां से रवाना हो गई।

पांच सौ मीटर दूर

पीयूष का कहना है कि छह बाइकों पर सवार बदमाशों ने उसे ओवरटेक किया। इस दौरान उसकी झड़प हुई। बाइक सवार हमलावर हो गए। चाकुओं के दम पर उसे कार के बाहर निकाला। कार लूटी और उसी में पत्नी का अपहरण करके ले गए। ये रोड थोड़ी सुनसान रहती है। लेकिन इतनी भी नहीं कि सरे सड़क इतना सब हो जाए, कोई देखे तक न। और अगर इत्तफाक हो भी गया, तो ऐसी घटना के बाद बदहवास आदमी हर आते-जाते को रोकता है। मदद मांगता है। पुलिस तक ये खबर पलक झपकते पहुंचाने की उम्मीद दिल में बांधे हर संभव कोशिश करता है। लेकिन पीयूष ने न तो किसी को रोका, न शोर मचाया, न किसी से मदद मांगी। पत्नी के अपहरण की सूचना पुलिस तक पहुंचाने में उसे एक घंटा लग गया।

टीशर्ट की कहानी

सीसीटीवी फुटेज बताती है कि रेस्टोरेंट में पीयूष ने जो टीशर्ट पहनी थी, वो टीशर्ट वारदात के समय जादू के जोर पर बदल गई। मतलब ये कि घटना की सूचना पर जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो टीशर्ट दूसरी थी। आखिर क्या जरूरत पड़ी थी टीशर्ट बदलने की। जरा वारदात के तरीके पर गौर कीजिए। समझ जाएंगे। मकतूल पर चाकू से ताबड़तोड़ वार हुए हैं। ऐसे में खून के छींटे कातिल के दामन पर आना जाहिर है।

जख्म एक जैसे

पोस्टमार्टम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सभी जख्म एक जैसे हैं। मायने कि आला ए कत्ल एक ही था। और बहुत स्वाभाविक है कि मारने वाला भी एक ही था।

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