भारत के एक गांव की कहानी
दिल्ली के पास एक गांव में 63 साल का महेश ठाकुर और उसकी 61 साल की पत्नी शीला बाई रहते थे। कुछ दिन पहले बीमार चल रहे महेश की तबियत ज्यादा बिगड़ गयी और उसकी मौत हो गई। इस जुदाई को उसकी पत्नी शीला सह नहीं सकी और उसके शव पर फूट फूट कर रोने लगी। रोते रोते ही बेहाल शीला की सांसे रुक गयीं और उसने भी वहीं दम तोड़ दिया। नतीजा ये हुआ कि घर से एक साथ दोनों पति पत्नी के शव निकले और उनका साथ ही में अंतिम संस्कार किया गया।


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शव यात्रा में उमड़े लोग
कहते हैं कि गरीब दंपत्ति महेश और शीला के गहरे प्यार से पूरा इलाका वाकिफ था। मेहनत मजदूरी करके अपना गुजारा करने वाला ये जोड़ा एक दूसरे के साथ बेहद खुश और संतुष्ट था। इसीलिए जब महेश के बाद शीला की भी मृत्यु हो गयी तो लोगों को कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि वे जानते थे कि वे एक दूसरे के बिना रह ही नहीं सकते। दोनों की शव यात्रा में उनके ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों से भी लोग उमड़ पड़े थे।

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