- थर्सडे को नई दिल्ली में आयोजित हुई अपर यमुना रिव्यू कमेटी की बैठक

- उत्तराखंड, यूपी, हरियाणा, राजस्थान व हिमाचल ने की बैठक में शिरकत

>DEHRADUN: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने थर्सडे को नई दिल्ली में विज्ञान भवन में अपर यमुना रिव्यू कमेटी की बैठक में प्रतिभाग किया। बैठक केन्द्रीय जल संसाधन विकास मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में हुई। बैठक में उत्तराखंड सहित यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान व हिमाचल प्रदेश ने भी प्रतिभाग किया। इस दौरान सीएम ने उत्तराखंड की लखवाड़ व किशाऊ बहुद्देश्यीय हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर राज्य का पक्ष प्रमुखता से रखा।

सभी राज्यों ने जताई सहमति

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना में ऊर्जा उत्पादन का पूरा खर्च उत्तराखंड द्वारा वहन किया जा रहा है। इस परियोजना के सभी सामाजिक पर्यावरणीय प्रभाव भी उत्तराखंड द्वारा ही वहन किये जाएंगे। ऐसे में लखवाड़ परियोजना द्वारा उत्पादित कुल 300 मेगावाट बिजली पर उत्तराखंड का ही अधिकार बनता है। इस पर सभी राज्यों द्वारा सहमति व्यक्त की गई है। बैठक में यह तय हुआ कि लखवाड़ परियोजना के जल का वितरण वर्ष 1994 में हुए समझौते के आधार पर होगा। सभी संबंधित राज्य इस समझौते पर अपनी सहमति शीघ्र जारी करेंगे। इसी प्रकार किशाऊ जल विद्युत परियोजना के संबंध में भी मुख्यमंत्री ने बिजली और पानी का बंटवारा लखवाड़ के अनुसार ही करने की मांग रखी।

राज्य को मिलेगी 300 मेगावाट बिजली

बैठक में मुख्यमंत्री ने लखवाड़ बहुद्देशीय परियोजना के संदर्भ में राजस्थान सरकार द्वारा परियोजना के क्रियान्वयन में की जा रही रुकावट को दूर किया। इसके साथ ही लखवाड़ परियोजना के लिए वित्तीय सहायता को लेकर भारत सरकार से त्वरित स्वीकृति प्रदान किये जाने का भी निर्णय लिया गया। इसके बाद परियोजना पर निर्माण कार्य की प्रक्रिया शीघ्र शुरू हो सकेगी और राज्य को 300 मेगावाट बिजली मिलेगी। मुख्यमंत्री द्वारा किशाऊ बहुद्देश्यीय परियोजना के संबंध में किए गये विशेष अनुरोध पर बैठक में निर्णय लिया गया कि किशाऊ परियोजना में भी जल घटक (वॉटर कम्पोनेन्ट)व ऊर्जा घटक (पॉवर कंपोनेन्ट) के अनुसार बंटवारा किया जायेगा। इससे परियोजना के ऊर्जा घटक की लागत कम होगी और राज्य सरकार पर भी परियोजना निर्माण के लिए वित्तीय भार कम होगा। इस दौरान केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने भी योजनाओं के संबंध में व्यापक चर्चा की।

1994 से नहीं बनी थी सहमति

दरअसल, यमुना घाटी स्थित किशाऊ, लखवाड़ व रेणुका बहुद्देश्यीय परियोजना से जल बंटवारे के लिए 1994 में हुए समझौते पर सहभागी राज्यों की सहमति लंबे समय से नहीं बन सकी थी। थर्सडे की बैठक के बाद सभी राज्यों द्वारा समझौता प्रपत्र पर हस्ताक्षर करने का निर्णय लिया गया।