कृपया मेरे काम का बोझ ना बढ़ाएं

किसी आईएएस ऑफिसर से मिलने जाते वक्त अगर कमरे के बाहर लगे बोर्ड में लिखा हो कि आईएएस ऑफिसर अपना कमरा स्वयं साफ करते हैं तो आप सहसा विश्वास नही करेंगे. आईएएस ऑफिसर से मिलने वाले लोगों का एक बड़ा तबका इसे एक महज पब्लिसिटी स्टंट भी मान सकता है. लेकिन अगर आप इन चश्मों को उतार कर देखें तो आपको आईएएस अजय पांडे की सफाई के प्रति कमिटमेंट साफ दिखेगा. दरअसल उत्तरप्रदेश कैडर के आईएएस ऑफिसर अजय पांडे ने 1993 से अपने कमरे की सफाई करने का बीड़ा उठाया जब वह यूपी की इतमदपुर तहसील में एक सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त हुए थे.

कहीं साहब नाराज तो नही

अजय पांडे के साथ काम करने वाले स्टेनोग्राफर एसटी शर्मा का कहना है कि जब साहब को सफाई करते देखा तो लगा कि साहब नाराज हैं इसलिए अपने कमरे की सफाई कर रहे हैं. इसके बाद स्टाफ ने अधिकारी अजय पांडे से निवेदन किया कि वे सफाई कर्मचारियों को सफाई करने दें. लेकिन अधिकारी के मना करने पर पता चला कि वह सफाई करना पसंद करते हैं. शर्मा कहते हैं कि इससे पहले कई मेहनती अधिकारियों को मेहनत से काम करते देखा है लेकिन अपने कमरे की स्वयं सफाई करने वाले अधिकारी को पहली बार देखा है.

झाड़ू से खत्म की थी हड़ताल

इलेक्शन ऑब्जर्बर की ड्यूटी में बिजी होने के कारण अजय पांडे से कोई बात नही हो सकी. लेकिन उनके एक पुराने सहयोगी ने बताया कि जब अजय ने इतमदपुर तहसील जॉइन की थी तो अचानक से सारे सफाईकर्मचारी हड़ताल पर चले गए. हड़ताल के हफ्ते भर चलने के बाद जब कोई समाधान नही निकला तो अजय पांडे अपनी जनता के साथ खुद ही सफाई करने निकल पड़े. इसके बाद से सफाई करने का यह सिलसिला अभी तक चल रहा है.

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