बैंक में कर्ज देने की प्रक्रिया है पुख्ता

नई दिल्ली (प्रेट्र)। अपने एक बयान में निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड ने कहा कि उन्होंने कर्ज को मंजूरी देने की आंतरिक प्रक्रिया की समीक्षा की और पाया कि व्यवस्था एकदम पुख्ता है। एक वेबसाइट पर कुछ रिपोर्ट आई थी कि चंदा कोचर और उनके परिवार के सदस्य वीडियोकॉन ग्रुप को बैंक से कर्ज दिलाने के एवज में अवैध तरीके से उपकृत हुए थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि चंदा कोचर के खिलाफ कार्रवाई के लिए उनकी शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्यों को की गई है।

चंदा के पति को भी मामले में घसीटा

रिपोर्ट में चंदा के पति द्वारा संचालित एनयूपॉवर रिन्यूएबल्स और वीडियोकॉन ग्रुप के ट्रांजेक्शन पर भी अंगुली उठाई गई थी। बोर्ड इस नतीजे पर पहुंचा कि वीडियोकॉन को कर्ज देने में कोई मिलीभगत शामिल नहीं हैं। आरोप अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं है। बोर्ड को अपने एमडी व सीईओ चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है। ये सभी अफवाहें बैंक और उसके टॉप मैनेजमेंट को बदनाम करने के लिए फैलाए जा रहे हैं। वीडियोकॉन को कर्ज देने के मामले पर बोर्ड ने कहा कि यह सब बैंक ने सिंडीकेट कंसोर्टियम अरेंजमेंट के तहत किया है।

बैंक ने दिया सिर्फ अपना हिस्सा

सिंडीकेट कंसोर्टियम अरेंजमेंट के तहत वीडियोकॉन को जो कर्ज दिया गया था उसमें आईसीआईसीआई बैक लीडर नहीं था। बैंक ने सिर्फ अपने हिस्से के 3250 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी। यह राशि अप्रैल 2012 में कुल कंसोर्टियम फैसिलिटी का 10 फीसदी से भी कम था। 2016 के मध्य में इसी तरह की अफवाहें सामने आई थीं, जिन पर बैंक ने तत्काल सफाई पेश कर दी थी। फिर से उसी तरह की अफवाहें सामने आईं तो बोर्ड ने वीडियोकॉन ग्रुप के मामले में बैंक के आंतरिक प्रक्रिया की समीक्षा एक बार फिर से की। बोर्ड ने पाया कि मंजूरी से पहले सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। साथ ही बैंक ने यह भी साफ कर दिया है कि एनयूपॉवर के किसी निवेशक ने आईसीआईसीआई बैंक से कोई कर्ज नहीं लिया है।

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