वासवानी का यह है तर्क
इंदौर में रहने वाले 43 वर्षीय कमलेश वासवानी ने 2013 में पोर्न साइट के खिलाफ पीआईएल दाखिल की थी। जिसके चलते आज भारत में इस तरह की 857 वेबसाइट पर बैन लगा दिया गया है। ढाई साल तक चली इस लड़ाई में वासवानी ने अपने कई तर्क दिए। उनके मुताबिक, इंटरनेट पर एडल्ट कंटेंट एड्स को बढ़ावा देता है। जिससे कई जानें जाती हैं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के आंकड़ों पर नजर डालें तो एड्स से अब तक 39 मिलियन लोग मर चुके हैं लेकिन इन्हें यह कौन बताए कि, इनमें से लाखों मौतें मेडिकल फैसेलिटी में कमी के चलते हुईं। वैसे वासवानी की पीआईएल के अनुसार, पोर्न रेप को बढ़ावा देता है और बच्चों को इससे दूर रखना चाहिए। अब भला इन्हें कौन बताए कि देश में होने वाली सभी रेप की घटनाओं में क्या बच्चे शामिल होते हैं?

इसलिए बैन पर उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले को ध्यान से देखा जाए तो यह मामला आईटी डिपार्टमेंट का नहीं बल्िक हेल्थ से जुड़ा है। इसमें हेल्थ मिनिस्ट्री को आकर दखल देनी चाहिए थी। खैर जहां हम नेट न्यूट्रेलिटी को लेकर अपनी आवाज उठाते हैं वहीं उसी देश में हमें अपनी इच्छानुसार कोई चीज देखने की इजाजत नहीं। अगर चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर यह यह कदम उठाया गया है, तो यह बैन लगाने का फैसला शायद ही सही साबित हो। क्योंकि जितनी 857 वेबसाइट बैन की गईं हैं, उनमें से अधिकांश चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट को नहीं दिखाती हैं। ऐसे में इन्हें बैन करने से कितना फायदा मिलेगा, यह वासवानी जी ही बता सकते हैं।

विदेशों में क्या हैं हाल...
(1) United States :- यूएस में चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर नियम काफी सख्त हैं। हालांकि यहां पोर्न साइट बैन नहीं है लेकिन इनकी निगरानी जरूर रखी जाती है। यूएस में माइनर और एडल्ट को अलग-अलग तरीके से ट्रीट किया जाता है। यानी कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा हर मामला एक सिरियस क्राइम के तहत आता है। यहां अगर कोई व्यक्ित चाइल्ड पोर्नोग्राफी बनाता हुआ पकड़ा गया तो उसे 15 से 30 साल की जेल होती है जबकि इसमें शामिल अन्य सदस्य को 5 से 20 साल तक की जेल हो सकती है।

(2) Canada :- कनाडा ने चाइल्ड एब्यूस से निपटने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लिया है। 10 साल पहले कनाडा की अर्थारिटी ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर एक सॉफ्टवेयर तैयार किया था, जोकि चाइल्ड पोर्नोग्राफी को रोकने में मदद करता है। यह सॉफ्टवेयर इस तरह की वेबसाइट के ट्रैफिक पर नजर रखता है और पकड़ में आते ही जेल पहुंच जाता है। किस जगह और कहां ऐसी साइट खोली गईं इसकी जानकारी पुलिस तक आसानी से पहुंच जाती है।

(3) United Kingdom :- प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन एक्ट 1978 के तहत यूके में 18 साल से कम आयु के बच्चों की इललीगल तस्वीरें इंटरनेट पर डालना कानूनन जुर्म है। ऐसे में पकड़े जाने पर कड़ी से कड़ी सजा मिल सकती है।

(4) Germany :-
चाइल्ड पोर्नोग्राफी को लेकर जर्मनी भी काफी सख्त है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यहां पर भी कोई भी बच्चों से जुड़ा कोई आपत्तिजनक कंटेंट खोलने पर कड़ी सजा मिलती है।

(5) Australia :- ऑस्ट्रेलिया में एक मैकेनिज्म तैयार किया गया है, जिसमें चाइल्ड पोर्न पर नजर रखता है। जैसे ही कोई संदिग्ध मामला नजर आता है उसे तुरंत कैच करके पुलिस के हवाले कर दिया जाता है।

Courtesy : firstpost.com

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