- हिंदी उर्दू आपस में बहन, बातचीत में पता ही नहीं चलता

- जनता साथ दे तो लखनऊ बन सकता है सबसे सुंदर शहर

- आर्ट, कल्चर, ट्रेडिशन, फूड का सेंटर बन सकता है लखनऊ

LUCKNOW: हिंदी और उर्दू बहनें हैं। बोलचाल में दोनों के बीच का फर्क पता नहीं चलता है। लेकिन अगर समाजवादी पार्टी उर्दू को बढ़ावा देने की बात करे तो विरोधियों को मुश्किल होने लगती है। ऑल इंडिया कैफी आजमी अकादमी की ओर से बुधवार को संगीत नाटक अकादमी में आयोजित पुरस्कार वितरण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ये बात कही। कहा कि लखनऊ केवल राजनीति की राजधानी नहीं है। जनता साथ दे तो इसे सबसे सुंदर शहर बनाया जा सकता है। यह आर्ट, कल्चर, ट्रेडिशन, फूड जैसी कई खूबियों का सेंटर बन सकता है। इस अवसर पर उन्होंने मशहूर थियेटर आर्टिस्ट नादिरा बब्बर, साहित्यकार रवीन्द्र वर्मा व उर्दू व हिंदी भाषा के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वालीं रक्षंदा जलील को कैफी आजमी अवार्ड देकर सम्मानित किया।

बंद हो गया था अवॉर्ड बंटना

अखिलेश ने कहा कि प्रदेश में एक समय ऐसा भी आया था जब अवॉर्ड बंटना बंद हो गये थे। हिंदी संस्थान के लोग इसे बेहतर जानते हैं। हम सत्ता में आए तो अवॉर्ड देना फिर शुरू हुआ। हमने उर्दू के साथ संस्कृत जैसी भाषा को भी सम्मान दिया। कैफी आजमी ने यूपी और आजमगढ़ का सम्मान बढ़ाया है। उनकी शायरी ने भाईचारा, सद्भावना और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा दिया। अब सरकार की जिम्मेदारी है कि उनकी मुहिम को आगे बढ़ाये। उन्होंने आश्वासन दिया कि कैफी आजमी अकादमी में ऑडिटोरियम के निर्माण का कार्य कैफी आजमी की दस मई को पड़ने वाली पुण्यतिथि से पहले पूरा करा लिया जाएगा। दुनिया कैफी आजमी के बारे में जानेगी तो आपसी भाईचारा और मोहब्बत बढ़ेगी। सरकार अवॉर्ड की धनराशि बढ़ाने में भी मदद करेगी। उन्होंने इस अवसर पर शबाना आजमी की फिल्म चॉक एंड डस्टर को टैक्स फ्री करने की घोषणा भी की।

कल्चरल एक्टिविटी का हब बनेगी अकादमी

मशहूर अदाकारा व कैफी आजमी की बेटी शबाना आजमी ने कहा कि यूपी के तमाम लोग अपने हुनर को आजमाने मुंबई आते हैं। उनका सपना है कि मुंबई के पृथ्वी थियेटर की तरह कैफी आजमी अकादमी को कल्चरल एक्टिविटी का हब बनाया जाए। कला ही एक ऐसा जरिया है जिससे सामाजिक बदलाव लाया जा सकता है। वहीं सही मायने में समाज की तरक्की तभी हो सकती है जब वहां महिला सशक्तीकरण हो। कैफी आजमी ने 70 साल पहले अपनी नज्म 'औरत' में महिला सशक्तिकरण की पुरजोर वकालत की थी।

मंच पर नहीं आए राज बब्बर

नादिरा बब्बर को कैफी आजमी अवॉर्ड दिए जाने के दौरान मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राज बब्बर को भी मंच पर आने का न्योता दिया, लेकिन वे नहीं आये। बाद में मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि पुराना झगड़ा होने की वजह से राज बब्बर मंच पर नहीं आ रहे हैं। जब मैं पहली बार मुंबई गया था तो उनके जूहू स्थित आवास पर ही ठहरा था। कार्यक्रम में मुख्य सचिव आलोक रंजन, वरिष्ठ कलाकार विलायत जाफरी समेत तमाम लोग मौजूद थे।

सम्मान पाकर खिले चेहरे

तीनों विभूतियों को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र व एक लाख रुपये की चेक देकर सम्मानित किया। सम्मानित होने के बाद उन्होंने अपने उद़्गार भी व्यक्त किए।

1. नादिरा बब्बर: मैं अपना अवार्ड लखनऊ को समर्पित करती हूं। इस शहर ने मुझे वफा, इंसानियत, उसूल, ईमानदारी की सीख दी। यहां हर कोई मुझे अपना लगता है। बचपन की यादें भी बावस्ता है। लामार्ट स्कूल में तीन साल पढ़ी। बाद में ज्यादा फीस होने की वजह से स्कूल छोड़ना पड़ा।

2. रवीन्द्र वर्मा- कैफी अकादमी अकादमी से जुड़ने पर मुझे खुशी है। नौकरी के दौरान चंडीगढ़ और लखनऊ चुनने को कहा गया तो मैंने भाषा के इस शहर को ही चुना। मैं अपना अवॉर्ड भाषा और गंगा जमुनी तहजीब को समर्पित करता हूं। मैं झांसी में रहता हूं लेकिन लखनऊ आने में हमेशा सुख मिलता है।

3. रक्षंदा जलील- मैं दोबारा उर्दू भाषा पर ही फोकस करना चाहती हूं। उर्दू और उससे जुड़ी तहजीब पर बात होनी चाहिए। उर्दू अभी खत्म नहीं हुई है। उसका दायरा जरूर कम हुआ है। हमें हर बात पर सरकार से उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। शुरुआत अपने बच्चों को उर्दू की तालीम देकर भी की जा सकती है। साथ ही उर्दूभाषियों को भी हिंदी और अंग्रेजी से दूरी नहीं बनानी चाहिए।