-आईआईटी कानपुर की पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी

-एनटीपीसी रायपुर की कैश वैन में लूट की थी योजना, चढ़े एसटीएफ के हत्थे

-कार्बाइन खरीदने के लिए आए थे इलाहाबाद, दो अब भी वांटेड

ALLAHABAD: इंजीनियरिंग की फील्ड करियर बनाने की सोचने के बाद हर स्टूडेंट का सपना होता है कि आईआईटी में एडमिशन मिल जाए। मगर, एक स्टूडेंट ऐसा भी निकला जिसने कानपुर आईआईटी जैसे व‌र्ल्ड लेवल इंस्टीट्यूट को छोड़ अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। दरअसल, उसका भाई जेल में बंद था, जिसे छुड़ाने के लिए उसे पैसे की जरूरत थी और इसीलिए उसने जरायम का रास्ता चुन लिया।

पांच सेमेस्टर कर चुका पास

आईआईटी कानपुर से पांच सेमेस्टर पास करने के बाद चित्रकूट मऊ का भूपेंद्र मिश्रा लुटेरा बन गया। उसने उड़ीसा के जेल में 2004 से बंद अपने भाई राजन मिश्रा को छुड़ाने के लिए पोंटी चड्ढा गु्रप के कैश्यिर से एक करोड़ 60 लाख रुपए की लूट की थी। उसके हिस्से में 55 लाख रुपए थे। उसने अधिवक्ता की फीस के 30 लाख रुपए अदा कर दिए थे, लेकिन उसकी रिहाई नहीं हो सकी। फिर से फीस जुटाने के लिए उसने रायपुर एनटीपीसी की कैश वैन में लूट की योजना बना डाली। वह कार्बाइन खरीदने के लिए इलाहाबाद आया और बुधवार रात लालगोपालगंज क्रासिंग के पास एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। उसके साथ लूट में शामिल रहा मानधाता प्रतापगढ़ का दिवेश सिंह भी था। दिवेश वही शख्स है जिसे लूट के वक्त सभी दीवानजी कह रहे थे। दोनों पर पांच-पांच हजार रुपए का ईनाम घोषित था।

चार आरोपी पकड़े जा चुके हैं

चड्ढा गु्रप के कैशियर से लूट पिछले साल 26 सितंबर को हुई थी। एसटीएफ ने बड़ी मशक्कत के बाद मामले को खोला था। अब तक चार आरोपी पकड़े जा चुके हैं। कुछ ही देर पहले एक युवक ने सरेंडर भी किया था। इस मामले में विधायक व अतुल वांटेड हैं। सीओ एसटीएफ प्रवीण सिंह चौहान ने बताया कि सर्विलांस प्रभारी अजय सिंह को भनक लगी थी कि भूपेंद्र इलाहाबाद आने वाला है। इसी के आधार पर घेराबंदी की गई थी। उसके पास 1,52,000 रुपए, बिना नंबर की बोलेरो, एक पिस्टल, एक तमंचा व 9 सेलफोन बरामद हुए। सीओ के मुताबिक लूट के पैसे से ही भूपेंद्र ने बोलेरो, वरना कार व पिस्टल खरीदी थी। कैशियर के साथ लूट का वही मास्टर माइंड है। उसने बताया कि वह हर पेशी पर सुप्रीम कोर्ट के एक अधिवक्ता को 60 हजार रुपए आने जाने का खर्च भी देता था।

अपहरण के मामले में है बंद

भूपेंद्र का भाई राजन मिश्रा सांवरमल गड़ोरिया के किडनैपिंग के मामले में 2004 से कटक जेल में बंद है। उसके खिलाफ कई एविडेंस पुलिस के पास हैं। इसी वजह से उसे बेल नहीं मिल रही है। हालांकि भूपेंद्र ने अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। उसे एक करोड़ रुपए से अधिक की जरूरत थी। इसके लिए उसने रायपुर एनटीपीसी में लूट की योजना बनाई थी। इसके लिए उसे पुलिस से लूटी कार्बाइन की जरूरत थी। इसीलिए वह अतुल से मिलने आया था। सीओ के मुताबिक प्लानिंग थी कि अगर इस बार भी उसका भाई नहीं छूटता तो वह सांवरमल का मर्डर कर देगा। इस गिरोह के अतुल पांडेय के दुश्मन गर्ग ब्रदर्स के भी हत्या की प्लानिंग थी। अतुल के पिता नारायण पांडेय की हत्या का गर्ग ब्रदर्स पर आरोप है।

-पोंटी चड्ढा गु्रप के कैशियर से लूट के लिए गाड़ी की जरूरत थी। इसके लिए 7 जुलाई 2014 को तरुण सांवला से तीन लाख रुपए की लूट की गई थी

- लूट की योजना में पुराना ड्राइवर पवन मिश्रा, अतुल, संदीप दुबे, आशीष उर्फ कन्हैया शामिल थे। बोलेरो पर नीली बत्ती भी लगाई गई थी

- लूट के रुपए में से 55 लाख भूपेंद्र, संदीप व अतुल को 45-45 लाख रुपए मिले थे। बाकी के हिस्से में दो-दो लाख रुपए आए थे

- एनटीपीसी में लूट के लिए उसने वीरेंद्र जायसवाल, रोहित उर्फ रैबिट, आशीष, अतुल पांडेय व विपिन सिंह को तैयार किया था

- वेतन के लिए कैश लेकर आने वाली वैन को घेरकर लूटने की योजना थी। रेकी कर ली गई थी। कार्बाइन मिलने के बाद कभी हो सकती थी घटना