-देवी की उपासना के दिनों में भी सामने आया समाज का वहशी चेहरा

-तालकटोरा के मिनी स्टेडियम में बैग में पैक कर फेंक दिया कन्या का शव

-पुलिस फेंकने वाले की तलाश में जुटी

LUCKNOW: हे मांइस कन्या के कातिलों को सजा देना! राजाजीपुरम के एफ ब्लॉक में वह नजारा जिसने देखा उसके मुंह से बरबस यही शब्द फूट पड़े। नवरात्रि की सप्तमी पर हमारे समाज का वहशी चेहरा एक बार फिर सामने आया। दरअसल, तालकटोरा एरिया में गुरुवार सुबह कूड़े में पड़े एक बैग के भीतर नवजात बच्ची का शव मिलने पर हड़कंप मच गया। सुबह मंदिरों में पूजा करने जा रहे लोगों ने जब संदिग्ध हालत में पड़े बैग को खोलकर देखा तो उनके होश उड़ गए। लोगों ने इसकी इंफॉर्मेशन लोकल पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया है। फिलहाल पुलिस का कहना है कि शव को फेंकने वाले का सुराग लगाने की कोशिश की जा रही है।

जगह: राजाजीपुरम एफ ब्लॉक मिनी स्टेडियम

समय: गुरुवार सुबह 7 बजे

तालकटोरा के राजाजीपुरम में एफ ब्लॉक स्थित मिनी स्टेडियम के पास रहने लोग सप्तमी की पूजा करने गुरुवार सुबह मंदिर जा रहे थे। इसी दौरान उनकी नजर नाली के किनारे कूड़े के ढेर पर संदिग्ध हालत में पड़े बैग पर पड़ी। जब लोगों ने बैग को खोलकर उसके भीतर झांका तो उनके होश उड़ गए। बैग में एक नवजात बच्ची का शव पैक किया गया था। यह देख वे लोग दहल उठे और उन्होंने शोर मचाकर आसपास के लोगों को वहां बुलाया। शोर सुनते ही वहां पर लोगों का जमावड़ा लग गया। लोगों ने फौरन इसकी इंफॉर्मेशन पुलिस कंट्रोल रूम को दी। जानकारी मिलने पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया।

प्राइवेट हॉस्पिटल्स पर शक

लोगों का कहना है कि आस-पास निजी हॉस्पिटल मौजूद हैं। जहां पर नियमों को ताक पर रखकर डिलीवरी कराई जाती हैं। लोकलाज के भय से लोग भू्रण आसपास के एरिया में कूड़े के ढेर में फेंक देते हैं। अब तक मिले इन भ्रूणों की खास बात यह है कि इनमें बच्चियों की संख्या सर्वाधिक होती है।

न गर्भ में और न घर में सुरक्षित हैं बेटियां

गर्भ में तो बेटी असुरक्षित है ही पर, जिन बेटियों ने जन्म ले भी लिया उनकी भी हालत को बेहतर नहीं कहा जा सकता। आलम यह है कि घरेलू हिंसा के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं और इनके आंकड़ों में दिन-दूनी, रात चौगुनी तरक्की हो रही है। आंकड़ों में होते इजाफे की बात कोई मनगढ़ंत नहीं बल्कि इसकी गवाही वूमेन पावर लाइन के आंकड़े खुद-ब-खुद दे रहे हैं। वूमेन पावर लाइन के प्रभारी कुंवर राघवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि टेलीफोनिक छेड़खानी के मामलों को अगर छोड़ दिया जाए तो वूमेन पावर लाइन को अब तक महिलाओं के साथ हो रहे अपराधों की कुल क्फ् हजार फ्फ्8 शिकायतें मिली हैं। इनमें से भ् हजार क्8ब् पीडि़ताओं ने अपने संग घरेलू हिंसा की शिकायत की है। यह आंकड़े बताते हैं कि न तो बेटियां गर्भ में सुरक्षित हैं और न ही घर में। महिला अधिकारों के लिये काम करने वाली नलिनी गर्ग कहती हैं कि महिलाओं पर बढ़ रहे अपराधों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, अब समाज के सोचने का वक्त आ गया है कि अगर इंसान को जन्म देने वाली नारी के संग अत्याचार बंद न हुए तो कहीं, मानव जाति ही न विलुप्त हो जाए।

हमारे पुरुष प्रधान समाज में नारियों के प्रति जो हीन भावना उत्पन्न हो रही है वह बताती है कि, दरअसल, नारियों की तरक्की पुरुषों को हजम नहीं हो रही। ऐसे में वह गर्भ में, घर में या फिर सड़क पर बदले की नीयत से अत्याचार करते हैं।

मधु गर्ग

सचिव, एडवा