- बनाने वाले की होती है तमंचे की खेप पहुंचाने की जिम्मेदारी

- मुजफ्फरनगर में भी जिंदा कारतूस और खोखे बरामद हुए

- यूपी में तमंचा बनाने का कारोबार करोड़ों में होता है

Meerut : प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज होने लगी है। ऐसे में मौत का सामान बनाने वाले भी सक्रिय हो गए हैं। बुधवार को संवेदनशील जनपद मेरठ के खरखौदा थाना क्षेत्र के गांव हुमायूं नगर में पुलिस ने अवैध हथियारों का जखीरा और तमंचे बना रही फैक्ट्री को पकड़ा। वहीं मुजफ्फरनगर में बड़ी तादात में जिंदा कारतूस और खोखे बरामद हुए हैं। मेरठ शहर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से देसी तमंचे से लेकर रिवाल्वर और राइफल तक तैयार किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि मौत के इस सामान की खरीद फरोख्त गंगा से लगे खादर क्षेत्रों में खूब होती है। ऐसा नहीं है कि पुलिस अवैध हथियारों के कारोबार से अनजान है, गिरफ्तारियां होती रहती हैं, किंतु फैक्ट्रियां चलती रहती हैं।

यूपी से बिहार तक फैला काम

सफेदपोशों के साथ ही खाकी पर भी इसमें शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। फिलहाल यूपी से लेकर बिहार तक चुनावों को देखते हुए हथियारों के सौदागरों के पास भारी डिमांड है। जानकारों के मुताबिक यूपी में तमंचा बनाने का कारोबार करोड़ों का है। वेस्ट यूपी में सहारनपुर, शामली, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, हापुड़, अलीगढ़, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बदायूं, बरेली, एटा, आगरा, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर में कारोबार फैला हुआ है।

हथियारों की कीमत

4000-12 बोर, लंबी नाल

1500-2000-12 बोर, छोटी नाल

2000-5000-15 बोर

8000-10000-देशी रिवाल्वर, 38 बोर

15000-22000-पिस्टल, दर्रा

कारतूस के रेट

110 रुपये-315 बोर

90 रुपये-12 बोर

80 रुपये-32 बोर

110 रुपये-पिस्टल का कारतूस

चुनाव से पहले बढ़ी डिमांड

खुफिया विभाग ने पंचायत चुनावों को लेकर यूपी में अलर्ट जारी किया है। वेस्ट यूपी में चुनावी सुगबुगाहट के साथ ही अवैध हथियारों की सप्लाई करने वालों की चहलकदमी साफ नजर आ रही है। फैक्ट्रियां चुनाव से पहले ऑर्डरों की तैयारी में लगी हैं। खुफिया विभाग ने भी तमंचा सौदागरों की जांच में सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।

बड़े गैंग मैदान में

बुधवार को हुमायूं नगर की छापामार कार्यवाही में पुलिस ने ऊधम सिंह गैंग के दो शार्प शूटर को पकड़ा है। पुलिस के मुताबिक यह शूटर हथियारों के जानकार हैं और गैंग के लिए हथियारों की खेप लेने आए थे। इसके अलावा मुकीम काला, बदन सिंह बद्दो आदि कुख्यात गैंग को भी यहां से बड़े पैमाने पर अवैध हथियार सप्लाई किए जाते थे।

डिमांड पर मिलते हैं तमंचे

पुलिस और प्रशासन के तमाम दावों के बाद भी आसानी से मिल जाते हैं। फैक्ट्री मालिक और उनके गुर्गे इलाके में अपना नेटवर्क फैलाए रहते हैं। जिसे जैसी जरूरत होती है, उसे वैसा तमंचे सप्लाई कर दिए जाते है।

ऐसे होती है सप्लाई

तमंचे की खेप पहुंचाने की जिम्मेदारी तमंचा बनाने वाले की होती है। नदी पार जाने के लिए नाव का इस्तेमाल करते हैं तो वहीं रोडवेज बस और ट्रकों से भी सप्लाई की जाती है। इसके लिए अलग-अलग से पेमेंट मिलता है। पुलिस आमतौर पर रोडवेज बसों की चेकिंग नहीं करती है तो वहीं ट्रक में बैठी सवारियां भी असानी से पुलिस की आंख में धूल झोंककर सप्लाई का धंधा कर रही हैं।