- आरटीओ की अनुकंपा पर खूब चल रहे ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट

- मानक कापालन कराने में बंद हो जाएंगे ड्राइविंग स्कूल

GORAKHPUR: शहर के ड्राइविंग स्कूलों में वाहन चलाना सीखना जान जोखिम में डालने के बराबर साबित हो सकता है। एक तो ड्राइविंग स्कूलों में गाइडलाइन का कोई पालन नहीं कराया जा रहा। दूसरी ओर वाहन चलाना सिखाने के लिए खटारा हो चुकी कारों का इस्तेमाल किया जाता है। सीखने के काम आने वाले वाहनों के इंश्योरेंस और वैलिडिटी की जांच भी रामभरोसे है। हद तो ये कि शहर में चलने वाले ड्राइविंग स्कूलों की सही जानकारी आरटीओ अधिकारियों को नहीं है। आरटीओ प्रशासन का कहना है कि गाइडलाइन का पालन न करने वाले मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

धड़ाधड़ खुल रहे ड्राइविंग स्कूल

शहर में लगातार मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खुलते जा रहे हैं। जहां-तहां गलियों में जगह मिलते ही कुछ लोग ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल की नींव डाल दे रहे हैं। एक दर्जन से अधिक स्कूलों में तीन हजार से 35 सौ रुपए में ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी जाती है। इन स्कूलों के ट्रेनर्स 15 से तीन माह के भीतर सबको वाहन चलाना सिखा देते हैं। शहर के भीतर दिनभर ड्राइविंग स्कूलों की गाडि़यां घूमती रहती हैं। वाहन चलाना सीखने वालों द्वारा कायदे कानून का ठीक से पालन न किए जाने से गवर्नमेंट की मंशा पूरी नहीं हो पा रही। प्रॉपर ट्रेनिंग के अभाव में प्रशिक्षण लेने वाले कई बार परेशान हो जाते हैं। सरकार की मंशा होती है कि अच्छे ट्रेनर से लोगों को वाहन चलाना सिखाया जाए। इससे ज्यादा से ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकेगी। लेकिन गाइडलाइन के अनुसार कोई भी वाहन ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल संचालित नहीं हो पाएगा।

ये हैं गाइडलाइन, नहीं करते पालन

- ड्राइविंग स्कूल के संचालक, ट्रेनर कम से कम हाई स्कूल पास हों।

- केंद्र, राज्य सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त मोटर मैकेनिक्स, मैकेनिकल ऑटो मोबाइल इंजीनियरिंग में आईटीआई, डिप्लोमा होना चाहिए।

- स्कूल चलाने वाले संचालक की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होनी चाहिए।

- ट्रेनिंग के अधिकृत ड्राइविंग स्कूल में प्रशिक्षण वाली श्रेणी के एक-एक वाहन होने चाहिए। जिसका मालिक स्कूल संचालक होगा।

- ट्रेनिंग वाले सभी वाहन टैक्सी में रजिस्टर्ड होंगे। इन वाहनों का बीमा, फिटेनस और लाइफ टाइम टैक्स जमा होना चाहिए।

- स्कूल में ब्लैक बोर्ड, ट्रैफिक के सभी संकेतक, रोड प्लान बोर्ड, ट्रैफिक पुलिस का संकेत चार्ट मौजूद होने चाहिए।

- ट्रेनिंग स्कूल में मोटर वाहन के सभी पार्ट-पुरजों की जानकारी देने वाला चार्ट भी लगा होना चाहिए।

- मोटर वाहन के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले जरूरी औजार भी रखे जाएंगे।

- इंस्टीट्यूट में पर्याप्त फर्नीचर, ड्राइविंग इंस्ट्रक्शन मैन्युअल, ऑटोमोबाइल मैकेनिज्म, ड्राइविंग रोड सेफ्टी, रोड एंड ट्रैफिक रेग्युलेशन, मोटर व्हीकल लॉ संबंधी किताबें होनी चाहिए।

- पंक्चर किट, टायर लीवर, व्हील, ब्रेस, जैक व टायर प्रेशर गेज हो।

- आपातकाल से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र, फ‌र्स्ट एड बॉक्स होना भी जरूरी है।

- जिस वाहन के प्रशिक्षण के लिए अधिकृत किया गया है। उसे चलाने का पांच साल का अनुभव भी होना चाहिए।

- रोड रेग्युलेशन की पूरी जानकारी होनी चाहिए।

- स्कूल संचालक, उनके कर्मचारियों के नाम-पते, नियुक्ति प्रमाण पत्र और स्कूल का लाइसेंस दिखाई देना चाहिए।

- ट्रेनिंग लेने वाले सभी लोगों की डिटेल, मोबाइल नंबर सहित लिस्ट में मौजूद होनी चाहिए।

- प्रशिक्षण में यूज होने वाले वाहनों पर नाम-पता, मोबाइल भी दर्ज होना चाहिए।

मोबाइल गुमटी, कमरे में चल रहे स्कूल

ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में रिसेप्शन, ऑफिस, क्लास रूम, चार्ट और मॉडल रूम के साथ-साथ वर्कशॉप होना जरूरी है। इसके लिए कम से कम पांच रूम चाहिए। शहर में इस तरह कोई मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल नजर नहीं आएगा। ज्यादातर स्कूल एक कमरे के दुकान या तो गुमटी में चलाए जा रहे हैं। शहर में संचालित होने वाले एक दर्जन से अधिक इंस्टीट्यूट की हालत से इस बात का अंदाजा लग जाता है कि आरटीओ की मेहरबानी से यहां पर स्कूल चल रहे हैं। आरटीओ के अधिकारी इन स्कूलों की कभी जांच पड़ताल नहीं करते हैं। आरटीओ से जुड़े लोगों का कहना है कि शहर में सात लोगों को मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट चलाने की अनुमति दी गई है। इनमें से पांच को छोटे वाहन चलाना सिखाने के लिए अधिकृत किया गया है।

वर्जन

मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों के संचालन के लिए उप परिवहन आयुक्त परिक्षेत्र वाराणसी से मान्यता दी जाती है। नियम-कानूनों का पालन कराने के लिए समय-समय पर जांच पड़ताल की जाती है। इसकी दोबारा जांच कराई जाएगी। अगर कोई गड़बड़ी सामने आई तो कार्रवाई की जाएगी।

- एसआर पाल, एआरटीओ प्रशासन