DEHRADUN: सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट रिस्पना से ऋषिपर्णा को लेकर पूरी सरकारी मशीनरी दिन रात एक कर काम पर जुटी है। रिस्पना नदी को पुनर्जीवन देने के लिए कई संगठन भी आगे आए हैं, लेकिन रिस्पना के सोर्स पर ही एक बिल्डर ने इस मुहिम के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। दरअसल रिस्पना के उद्गम के पास एक प्राइवेट बिल्डर द्वारा प्लॉटिंग की गई है और इसके लिए रोड डेवलप किया जा रहा है, जिसके कारण रिस्पना के लिए खतरा बढ़ गया है। इसे लेकर एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी से शिकायत की है।

 

रिस्पना के लिए खतरा

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सिटीजंस फॉर ग्रीन दून द्वारा रिस्पना के कैचमेंट एरिया में एक प्राइवेट बिल्डर द्वारा प्लॉटिंग और रोड निर्माण को रिस्पना के रिवाइवल के लिए खतरा बताया है। बाकायदा इसकी शिकायत संस्था द्वारा मसूरी डीएफओ से की गई थी, लेकिन शिकायत पर कोई एक्शन न लिए जाने के बाद अब संस्था ने मामले की शिकायत सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कमेटी से की है। कमेटी के मेंबर फ्लोरेंस पांधी को इस संबंध में संस्था द्वारा लिखित शिकायत दी गई है।

 

ब्लॉक हो जाएगी रिस्पना की धारा

संस्था द्वारा बताया गया है कि रिस्पना के कैचमेंट एरिया में तारा पर्वत के पास चलांग गांव में एक प्राइवेट बिल्डर द्वारा सड़क बनाई जा रही है। यहां घने जंगल के अलावा लाइमस्टोन का भंडार है। इस इलाके में प्राइवेट प्रॉपर्टी भी है, इसी प्रॉपर्टी पर बिल्डर द्वारा सड़क तैयार की जा रही है। संस्था ने आशंका जताई है कि इस तरह के निर्माण कार्य के चलते रिस्पना के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो सकता है, निर्माण कार्य के चलते निकलने वाले मलबे के कारण नदी की जलधाराएं ब्लॉक हो सकती हैं। ऐसे में रिस्पना को कैसे रिवाइव किया जा सकता है।

 

पेड़-पौधे जलाए गए

संस्था ने सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटेरिंग कमेटी को यह भी कहा है कि इस इलाके को डीम्ड फॉरेस्ट घोषित किया जाए। आरोप है कि डीएफओ मसूरी को भी करीब दो हफ्ते पहले लिखित तौर पर इसकी शिकायत की गई, लेकिन अब तक शिकायत को कोई जवाब नहीं आया। जिस कारण मजबूर होकर उसने सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटेरिंग कमेटी को पत्र सौंपा है। संस्था का कहना है कि इस स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध भी किया। जबकि इस इलाके में सड़क निर्माण के लिए कई पेड़-पौधे भी जलाए दिये गए हैं।

 

 

सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी को इस प्रकरण की लिखित शिकायत थर्सडे को सौंपी गई है। इससे पहले वन विभाग से शिकायत की थी, कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। रिस्पना के कैचमेंट एरिया में इस निर्माण कार्य से वाइल्डलाइफ को भी खतरा है और रिस्पना को पुनर्जीवित करने की योजना भी इससे प्रभावित हो सकती है।

डॉ। नितिन पांडे, चीफ कॉर्डिनेटर, सिटीजंस फॉर ग्रीन दून.