ठीक समय पर मीटिंग में पहुंचे केवल दो स्कूल

लेट पहुंचे डीआईओएस और सिटी मजिस्ट्रेट

Meerut : स्कूलों की बढ़ती मनमानी को रोकने के लिए गुरुवार को सीसीएसयू में स्कूलों की मीटिंग बुलाई गई थी। इस मीटिंग में डीआईओएस ने सौ स्कूलों के प्रिंसिपल को बुलाने का दावा किया था। मीटिंग में प्रिंसिपल्स की बात छोडि़ए आलाधिकारी खुद ही समय पर नहीं पहुंच पाए। जब मीटिंग हुई तो वो भी केवल औपचारिकता के लिए। बीस मिनट में ही मीटिंग समाप्त हो गई। साफ जाहिर है कि ये मीटिंग नहीं मजाक है।

गिनाए सुप्रीम कोर्ट के नियम

मीटिंग में भारतीय किसान आंदोलन से उपस्थित कुलदीप त्यागी ने कहा कि पहले भी मीटिंग हुई है, लेकिन उनका कोई फायदा नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर चर्चा करते हुए कुलदीप ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों के लिए तीन साल में फीस बढ़ाने का नियम बनाया है, लेकिन स्कूल लगातार फीस बढ़ाते हैं। नियमों की अवेहलना करते हैं।

देंगे एक लाख का सर्टिफिकेट

एडवोकेट पुष्पेंद्र ने कहा कि गरीब बच्चों के कोटे के लिए स्कूल एक लाख इनकम का सर्टिफिकेट दिखाने की बात कर एडमिशन टाल देते हैं। लेकिन हम पेरेंटस अब स्कूलों को सर्टिफिकेट भी उपलब्ध करवाएंगे। पुष्पेंद्र ने कहा कि कोर्ट के नियमों को और सीबीएसई के नियमों को कोई स्कूल नहीं मानता है।

हमें बुला लिया, अधिकारी नहीं आए

कुछ प्रिंसिपल्स का यह भी सवाल था कि उन्हें तो मीटिंग में 12:30 बजे आलाधिकारियों ने बुला लिया। उसके लिए भी सुबह नौ बजे ही शार्ट नोटिस दिया गया था। ऐसे में स्कूलों में जन्माष्टमी और टीचर्स डे कार्यक्रम छोड़कर अरजेंट आना पड़ा, लेकिन मीटिंग में खुद आलाधिकारी लेट पहुंचे।

गरमा-गरमी का माहौल

जैसे ही सीबीएसई की मीटिंग खत्म हुई वैसे ही सीसीएसयू के बृहस्पति भवन के बाहर गरमा-गरमी का माहौल बन गया। जहां पेरेंट्स ने प्रिंसिपल्स से अपनी शिकायतें कहीं, वहीं कुछ प्रिंसिपल्स ने भी इस विषय पर नाराजगी जताई की यह सब सवाल उनसे क्यों होते हैं, मैनजेमेंट से क्यों नहीं। कुछ प्रिंसिपल्स का कहना था कि एनसीईआरटी की बुक्स नहीं मिलती तो ऐसे में स्कूल प्राइवेट बुक्स न लगाए तो और क्या करें।

ये लिए गए फैसले

- स्कूलों में पांच साल बाद ही यूनिफॉर्म बदली जाए, अगर उससे पहले किसी स्कूल को यूनिफॉर्म बदलनी है तो पहले उसका नोटिस देकर अनुमति लेंगे।

- स्कूलों को एक प्रफोर्मा दिया गया, जिसमें स्कूलों को बुक्स के नाम, प्रकाशक के नाम और बुक सेलर के नाम की जानकारी भरनी है।

- प्री नर्सरी से लेकर इंटर तक स्कूल कितनी फीस, एडमिशन चार्ज, एनुअल चार्ज, मंथली फीस, डवलेपमेंट व कम्प्यूटर फीस, स्मार्ट क्लास फीस आदि फीस ले रहे हैं। स्कूलों के फीस गिनवाते हुए डीआईओएस ने स्कूलों को प्रपत्र थमाया, जिसमें प्रिंसिपल्स से एक हफ्ते में पिछले पांच साल का फीस का ब्यौरा मांगा गया।

- अक्सर ऐसी शिकायतें आती है, स्कूल टीचर्स की सेलरी कुछ और देते हैं उनसे साइन किसी ओर सेलरी पर होते हैं, इसलिए स्कूल टीचर्स की सेलरी का भी ब्यौरा दें।

- 29 सितंबर को अगली मीटिंग दोपहर तीन बजे की जाएगी।

- अगली मीटिंग में स्कूलों की मैनेजमेंट को भी मौजूद होना पड़ेगा।

ऐसे मिलेगा शिक्षा का अधिकार?

जहां स्कूलों में बढ़ती फीस, गरीब कोटे के तहत एडमिशन, ड्रेस व बुक्स कमीशन आदि जैसे विषयों पर मीटिंग हुई। पूरी मीटिंग में आलाधिकारी और स्कूलों के प्रिंसिपल और पेरेंट्स के बीच शिक्षा के अधिकार अधिनियम की लड़ाई चली। वहीं 13 साल का सोनू मीटिंग में चाय बांटता रहा। उसकी आंखों में भी बस यहीं इंतजार था कि शायद कोई उस पर नजर डाले और उसको शिक्षा का अधिकार दिलाने की बात करे, लेकिन सोनू की बदकिस्मती से न तो किसी प्रिंसिपल ने उस पर ध्यान दिया न हीं किसी शिक्षा विभाग के मुखिया की उसपर नजर गई। सभी को ध्यान था बस उसके हाथ में पकड़े हुई चाय का और उसे पीने का।