कल्पना से बनता है रंग
पहली बार प्रयोगशाला में तितली के पंखों का रंग बदलने में कामयाबी हासिल की है. अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भूरे रंग के पंखों वाली तितली के पंखों को बैंगनी में बदल दिया. यूनिवर्सिटी में परिस्थिति विज्ञान और विकासमूलक जीवविज्ञान के पूर्व प्रोफेसर एंटोनिया मोंतेरो के मुताबिक, हमने बिना यह जाने कि तितली के पंखों के लिए यह रंग पाया जा सकता है या नहीं, उसके लिए एक रंग की कल्पना की और फिर इसके लिए क्रमानुसार तितलियों का चयन किया. मोंतेरो और उनकी टीम ने बाइसाइकल्स एनायनना के पंखों का रंग भूरे से बैंगनी किया.

कलर की होती है नकल
वैज्ञानिकों ने अपनी लैब में तितली के पंखों का रंग तो बदल दिया था, लेकिन क्या आपको पता है कि यह एक्सपेरिमेंट सब तितलियों में नहीं किया जा सकता. इस तितली का चयन इसलिए किया गया क्योंकि इसकी कजन स्पेसीज में स्वतंत्र तौर पर दो बार बैंगनी रंग पाया गया था. अभी इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि प्रकृति में रंग कैसे पैदा होता है, हालांकि शोधकर्ताओं ने हाल के वर्षों में विस्तृत रूप से इस प्रक्रिया का अध्ययन किया है. रंग बदलने की प्रक्रिया के तरीकों में ज्यादातर वैज्ञानिक पहले प्रकृति में एक मनचाहा रंग पाने का प्रयास करते हैं और बाद में लैब में इसकी नकल करते हैं.

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