तेज गेंदबाजी करना मेरे जीवन का लक्ष्य है
साल 2016-17 में उमेश यादव ने उन विकट्स पर 30 विकेट लिए जो खासतौर पर रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन के लिए तैयार किए गए थे। इस दौरान उन्होंने 12 टेस्ट मैच खेले और उसके बावजूद वह हमेशा फिट नजर आए। उमेश यादव को पेस से ज्यादा कुछ और रोमांचक नहीं लगता। वह तेज गेंदबाजी करने के लिए पैदा हुए और वह इसे अपना पेशा बनाकर खुश हैं। इंडियन डॉमेस्टिक क्रिकेट में ऐसे कई गेंदबाज हैं जो 130 से 135 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं लेकिन मेरे पास तेज गेंदबाजी करने की क्षमता थी जिसका मैने भरपूर प्रयोग किया।

आसान नहीं रहा उमेश यादव का सफर
उमेश की यात्रा कभी आसान नहीं रही। वह चोटिल भी रहे। एक बार लगा कि वह भी अन्य टैलेंटेड पेसर्स की तरह गर्दिश में खो जाएंगे लेकिन उन्हें इसी बीच कोई समझने वाला मिल गया और उनकी गाड़ी ट्रैक पर आ गई। शुरुआत में पेस और फिटनेस को बरकरार रखना आसान था। अपने शरीर का ख्याल रखना जरूरी होता है और मैंने सोचा कि लंबे समय तक खेलना है तो अपने आपको मजबूत करना बहुत जरूरी है। उमेश यादव आजकल टीम इंडिया की तेज गेंदबाजी की मोहम्मद शमी के साथ अगुआई करते हैं। जब टीम इंडिया आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका का दौरा करेगी तब इन गेंदबाजों पर नजरें होंगी।

लेदर की गेंद पर बनाइ पकड़
क्रिकेट में आने से पहले उमेश रबड़ और टेनिस की गेंद से गेंदबाजी किया करते थे। 20 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार लेदर की गेंद से क्रिकेट खेली और महज दो सालों में ही वह राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज बल्लेबाजों को दिलीप ट्रॉफी में गेंदें फेंकने लगे। रबड़ बॉल के बाद लेदर गेंद को फेंकना शुरू करना आसान था। उन्होंने बताया कि लेदर बॉल ज्यादातर व्यवहार करती है। स्विंग ज्यादा होती है और बल्लेबाज से दूर भागती है। उमेश ने बताया मैं बहुत शॉर्ट गेंदें फेंका करता था। इसलिए मुझे अपने बाएं हाथ को रोकने को कहा गया। मेरा हाई-आर्म एक्शन हुआ करता था। इसके बाद मैंने अपना एक्शन सुधारा।

 

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