ALLAHABAD: गुरूवार को हिन्दी दिवस है। जिले में इसे लेकर खूब बड़ी बातें की जाएंगी, जगह-जगह आयोजन होंगे। सम्मान का आदान-प्रदान होगा। नाश्ते-पानी का दौर चलेगा, हिंदी को जन-जन की भाषा बनाने के दावे होंगे। शाम को समाचार पत्र कार्यालयों में भीड़ जुटेगी, सभी अपने आयोजन को अखबार में थोड़ी जगह दिलवाने को बेचैन होंगे। और फिर इस तरह मन जाएगी हिंदी दिवस। राजभाषा को उचित सम्मान भी मिल जाएगा और शुक्रवार से फिर अगले हिंदी दिवस तक के लिए हिंदी को भूला दिया जाएगा। यह तो वह था जो हिंदी दिवस पर होगा, लेकिन आज दैनिक जागरण आई नेक्स्ट आपको बताने जा रहा है कि असलियत में हिंदी आफलाइन ही नहीं बल्कि ऑनलाइन भी उपेक्षित हो रही है। हिंदी की बेवसाइटों को सिर्फ कोरम पूरा करने के लिए बनाया गया है, उन्हें अपडेट करने में लगभग हर विभाग काफी पीछे है।

 

हिन्दी के लिये स्पष्ट दिशा-निर्देश

केंद्र और प्रदेश सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि सरकारी कामकाज में हिन्दी को बढ़ावा दिया जाए। लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। तो आईए आज चेक करते हैं प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों की वेबसाइटों को। इसके लिए प्रदेश सरकार ने up.gov.in नाम से लिंक दे रखा है। इसमें स्टेट में स्थापित कुल 98 विभागों की वेबसाइट एक ही जगह पर देखी जा सकती हैं। यहां लगभग सभी के लिंक मौजूद हैं। यहां आप किसी भी विभाग की वेबसाइट का लिंक पा सकते हैं और उस पर क्लिक करते ही आपके जरूरत की जानकारी सामने होगी।

 

काफी पुरानी जानकारी उपलब्ध

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर इन वेबसाइटों को चेक करने का निर्णय लिया। पता चला कई पर हिंदी वेबसाइट का लिंक ही नहीं है तो कई पर लिंक पर क्लिक करने के बाद जो जानकारी सामने आ रही है वह काफी पुरानी है।

 

हिंदी के नाम पर केवल खानापुरी

वेबसाइटों पर राजभाषा हिन्दी के प्रचार प्रसार को बढ़ावा देने के नाम पर केवल खानापूरी की गई है। इन महत्वपूर्ण वेबसाइटों में इन्फार्मेशन एंड पब्लिक रिलेशन, मेडिकल हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, पंचायती राज, प्लानिंग, डिपार्टमेंट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, बेसिक एजुकेशन, सेकेंडरी एजुकेशन, मदरसा बोर्ड, यूपी स्टेट एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग बोर्ड, यूपी पुलिस आदि की महत्वपूर्ण वेबसाइटें शामिल हैं।

 

कैसे फायदा उठाएगा गांव का किसान

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हिन्दी विभाग से रिसर्च पूरी कर चुके परवेज कहते हैं कि सरकार यदि किसानों से जुड़ी जानकारी अंग्रेजी में अपडेट करेगी तो गांव का किसान उसे कैसे समझेगा? पुलिस विभाग की वेबसाइट पर अंग्रेजी की सूचनाओं को कम पढ़ा लिखा व्यक्ति कैसे समझेगा। परवेज बताते हैं कि उच्च शिक्षा, शिक्षण संस्थानो और रोजगार से जुड़ी वेबसाइट का भी यही हाल है। इसके लिये एसएससी, यूपीपीएससी, यूपीएससी, आईबीपीएस, एमएचआरडी, यूजीसी जैसी वेबसाइट का अवलोकन कर राजभाषा की तरक्की का अनुमान लगाया जा सकता है।

 

1949 में बनी राजभाषा

हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में 14 सितम्बर सन 1949 को स्वीकार किया गया। संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा के सम्बन्ध में व्यवस्था की गयी। इसकी स्मृति को ताजा रखने के लिये 14 सितम्बर का दिन प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। धारा 343 (1) के अनुसार भारतीय संघ की राजभाषा हिन्दी एवं लिपि देवनागरी है। संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं। किन प्रयोजनों के लिए केवल हिंदी का प्रयोग किया जाना है, किनके लिए हिंदी और अंग्रेजी दोनों का प्रयोग आवश्यक है? यह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा नियम 1976 और समय-समय पर राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय की ओर से जारी निर्देशों द्वारा निर्धारित किया गया है।

 

 

आज कई हिन्दी ब्लाग, वेबसाइट और न्यूज चैनल्स के हिन्दी पोर्टल हिट हैं। सरकारी महकमा जब तक इसे लेकर गंभीर नहीं होंगे, तब स्थिति नहीं बदलेगी। इसके लिये मजबूत इच्छाशक्ति की जरूरत है।

डॉ। धनंजय चोपड़ा, लेखक

 

आज विकसित राष्ट्र अपनी भाषा में काम कर रहे हैं। उनके लिये इंग्लिश इम्पार्टेट नहीं। मैं अंग्रेजी की स्वीकार्यता का पक्षधर हूं। लेकिन राष्ट्र निर्माण के लिये हिन्दी की प्रासंगिकता को समझना होगा।

सूर्यनारायण, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

 

प्रत्येक वेबसाइट पर ऐसा आटोमेशन जेनरेट करना होगा, जिसमें अपने आप हिन्दी या क्षेत्रीय भाषा में ट्रांसलेशन हो जाये। जब आपके पास हिन्दी में कन्टेंट ही नहीं होगा तो उसे वेबसाइट पर कैसे अपडेट कर सकेंगे?

अपूर्व अग्रवाल, साफ्टवेयर डेवलपर