10 सेकण्ड के लिए देखती

गुजरात के आणंद गांव में आज सरोगेट मांओ का अस्पताल चल रहा है। यहां पर डॉक्टर नयन पटेल इसकी देखरेख करती हैं। वह सरोगेट मांओ की देखभाल से लेकर उनकी डिलीवरी तक सबकुछ कराती हैं। इस संबंध में उनका कहना है कि यह अस्पताल नहीं बल्कि आश्रम के रूप में देखा जाता है। यहां पर गरीब परिवारों की औरते आती हैं। जो अपना परिवार चलाने के लिए अपनी कोख किराए पर देती हैं। जिसके एवज में उन्हें लाखों रुपये भी मिलते हैं और इससे उनके परिवार का खर्च भी निकलता है। हालांकि इस दौरान वे बच्चे के जन्म होने तक अपने घर नहीं जाती हैं। यहां पर उनकी पूरी देखभाल की जाती हैं। अस्पताल का नर्सिंग स्टाफ इन महिलाओं को समय-समय पर खाना, विटामिन और अन्य दवाएं देने का काम करता है। सबसे खास बात तो यह है कि महिलाएं यहां पर अपनी स्वेच्छा से आती हैं। बेबी पैदा करने के बाद बस वह बच्चा उन्हें एक बार 10  सेकण्ड के लिए दिखाया जाता हैं।

18 लाख रुपये लिए जाते

इसके अलावा उन्हें यहां पर शुरुआती महीनों में कढाई, बुनाई, सिलाई जैसे हुनर भी सिखाए जाते हैं। जिससे कि वह आत्मनिर्भर बन सकें। आज यहां पर इन महिलाओं की मदद से तमाम परिवारों में बच्चों की किलकारियां गूंज रही हैं। वर्तमान में इस अस्पताल में करीब 100 से अधिक सेरोगेट मांओं को एकसाथ रहने की व्यवस्था है। यहां पर सरोगेट बेबी के प्रॉसेस की फीस भी व रुल फिक्स हैं। सबसे पहले तो कोई महिला तीन बार ही सरोगेट मां बन सकती है। इसके अलावा यहां पर सक्सेज सरोगेसी के लिए अस्पताल दंपत्ित से करीब 18 लाख रुपये लेता है। सबसे खास बात तो यह है कि अगर कोई मां जुड़वा बच्चे को जन्म देती है, तो उसे करीब सवा छह लाख रुपये दिए जाते हैं। वहीं अगर किसी वजह से मिसकैरेज आदि हो जाए तो उस महिला को सिर्फ 38,000 रुपये दिए जाते हैं।

आत्म निर्भर बन जाती

बेबी व मां के साथ अगर कोई अनहोनी होती है तो अस्पताल की कोई जिम्मेदारी नही होती हैं। डॉक्टर नयन पटेल का कहना है कि उनका यह कदम जहां समाज में कुछ लोगों को खुशियां दे रहा है। हाल ही में इस सरोगेसी तकनीकि के तहत ही अभिनेता तुषार कपूर भी सरोगेट बेबी के पिता बने हैं। इसके अलावा कई बॉलीवुड सेलेब्स भी इस तकनीकि को अपना चुके हैं। वहीं कुछ लोग उनके इस आश्रम पर उंगलियां उठा रहे हैं। लोग यहां से बाहर जाने वाली महिलाओं को खराब नजरों से देखते हैं लेकिन उन महिलाओं पर कोई असर नहीं पड़ता हैं। वे अपने परिवार की खुशियों के लिए उठाए गए कदम और यहां से मिली जागरुकता को अपना आधार मानने लगती हैं। इतना ही नहीं उनका कहना है कि कई लोग तो इस आश्रम को बेबी फैक्ट्री नाम से भी बुलाते हैं। हालांकि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्हें खुशी है कि आज यहां पर सिर्फ देश से ही नहीं विदेशों से भी दंपत्ति सरोगेट बेबी लेने आ रहे हैं।

Weird News inextlive from Odd News Desk

Weird News inextlive from Odd News Desk