-महज चार साल में फूलपुर में अर्श से फर्श पर पहुंची भाजपा

 

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ALLAHABAD: सियासत की बिसात पर शह और मात कब हो जाए, कोई नहीं बता सकता। फूलपुर में भाजपा के बदले सियासी समीकरण यही बता रहे हैं। पिछले चुनाव में फूलपुर की सीट पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद ने जितने मतों से रिकार्ड जीत हासिल की थी, उतने तो उनके प्रत्याशी को उपचुनाव में भी नहीं मिले।

 

काफूर हो गई जीत की खुशी

2014 आम चुनाव में फूलपुर में भाजपा को पहली बार जीत मिली थी। केशव प्रसाद मौर्य ने जीत का खाता खोलते हुए रिकार्ड जीत हासिल की थी। उन्होंने 1984 के उस रिकार्ड को भी ध्वस्त कर दिया था जिसमें बालीवु्रड सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा को दो लाख से अधिक वोटों से हरा दिया था। केशव ने सपा के धर्मराज सिंह पटेल को 3 लाख 8 हजार 308 वोटों से शिकस्त दी थी। जीत के इस नशे को उपचुनाव की हार ने चूर-चूर कर दिया।

 

गिरा भाजपा के वोटों का ग्राफ

उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी कौशलेंद्र सिंह को कुल 2 लाख 83 हजार 462 वोट मिले हैं। जबकि सपा के प्रत्याशी नागेंद्र सिंह को 3 लाख 42 हजार 922 वोट मिले। उन्होंने भाजपा को 59 हजार 460 वोट से हरा दिया। जबकि पिछले चुनाव में केशव प्रसाद को कुल 5 लाख 3 हजार 564 वोट मिले थे। देखा जाए तो चार साल में भाजपा का वोट बैंक काफी तेजी से नीचे आया है। जिसकी भरपाई करने के लिए पार्टी के पास महज नौ माह का समय है। क्योंकि जल्द ही लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।

 

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तापमान कम और वोटर भी कम?

हालांकि, इस हार का दोषी कौन है यह कहना मुश्किल होगा। क्योंकि 2014 में सात मई को मतदान हुआ था और इस दिन 40 डिग्री सेल्सियस तापमान था। भीषण गर्मी के बावजूद 54.4 फीसदी मतदाताओं ने घर से निकलकर वोट डाले थे। उपचुनाव का मतदान 11 मार्च को हुआ और तापमान 33 डिग्री था। बावजूद इसके केवल 37 फीसदी वोटर ही बाहर निकले। कारण चाहे जो भी लेकिन यह हार बीजेपी के फूलपुर लोकसभा से जुड़ी पिछली उपलब्धियों पर पानी फेरने के लिए काफी कही जा सकती है।