हर साल यहां पर लाए जाते

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में भंगाराम देवी मंदिर काफी मशहूर हो चुका है। यहां पर हर साल भादवे के महीने में जात्रा नाम का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। भंगाराम देवी इलाके के 55 राजस्व ग्रामो में स्थापित सैकड़ों देवी देवताओं की आराध्या देवी के रूप में जानी जाती हैं। जिससे जात्रा में हर गांव के देवी देवता हर साल यहां पर लाए जाते हैं। इसके बाद यहां पर देवी-देवताओं की अदालत लगाई जाती हैं। यहां न्यायाधीश के रूप में भंगाराम देवी बैठी होती हैं। यहां पर प्रतिनिधियों के रूप में पुजारी, ग्राम प्रमुख, मांझी मुखिया, पटेल उपस्थित रहते हैं। इसके बाद यहां सुबह से लेकर शाम तक ग्रामीण भंगाराम देवी के सामने शिकायत सुनाते हैं। जिसमें ग्रामीणों की मन्नतें पूरी न करने, गांव में दुख मुसीबत लाने, फसलों के नुकसान जैसी शिकायतें होती हैं।

गलती न करने की लेते श्ापथ

इसके बाद शाम को मां भंगाराम देवी इन देवी देवताओं को सजा देती हैं। जिसमें यहां के मंदिरों में बने खुली जेलों में उन देवी-देवताओं को कैद कर लिया जाता है। इसके बाद जब इनकी सजा पूरी होती है तब इन्हें भेजा जाता है। इस दौराना ये देवी देवता आगे से ऐसी कोई गलती न करने की शपथ भी लेते हैं। कई देवी देवतओं का तो निलंबन बर्खास्तगी की प्रक्रिया के अलावा उनकी मान्यता तक समाप्त कर दी जाती है। इतना ही नहीं जिन पर आरोप बेबुनियाद साबित होते हैं उन्हें ससम्मान जात्रा समाप्त होने के बाद भेज दिया जाता है। सबसे खास बात तो यह है कि इस जात्रा मेले में महिआओं के प्रवेश पर बैन है। इतना ही नहीं वे वहां का प्रसाद भी नहीं खा सकती हैं।

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