- बचपन से जवानी तक हर फरमाइश होती रही पूरी, पत्नी का कत्ल करके माशूका के साथ जिंदगी बिताना भी समझा आसान

- पढ़ाई से ज्यादा फैशन पर रहता था ध्यान, महंगे गैजेट्स, कारों और लड़कियों से दोस्ती का शौकीन

- अय्याशी के चक्कर में हो गई जिंदगी तबाह, मनचाहा प्यार नहीं मिला तो करवा दिया बीवी का कत्ल

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KANPUR : पीयूष श्यामदासानी उम्र करीब ख्8 साल। रंग गोरा कद भ् फुट भ् इंच पेशा-बिजनेसमैन। यह प्रोफाइल है ज्योति के हत्यारे पति और शहर के एक रसूखदार बिजनेसमैन के अय्याश-आवारा और बिगड़ैल बेटे का पैदा हुआ तो चारों तरफ दौलत ही दौलत दिखी मुंह से कोई भी फरमाइश निकली मां-बाप ने पूरी की मगर, उन्हें क्या पता था कि जिस बेटे की हर ख्वाहिश पूरी करने में वह सबकुछ न्यौछावर कर रहे हैं, वही कुपूत बनकर सालों में कमाई इज्जत मिट्टी में मिला देगा श्यामदासानी परिवार के पीयूष का अपराध तो उजागर हो गया। मगर, दौलत के समुंदर में पैदा होने वाले ऐसे कई रईसजादे हैं जो पीयूष बनने की दहलीज पर खड़े हैं पैरेंट्स कुछ बातों का ध्यान रखें तो अपने बच्चे को 'पीयूष' बनने से बचा सकते हैं।

हर फरमाइश हुई पूरी

पीयूष की शायद ही कोई ऐसी फरमाइश होगी, जिसे उसके घरवालों ने पूरा न किया हो। फिर वो चाहे बचपन में अलग खिलौने खरीदने की जिद हो या स्कूल जाने के लिए अलग रेंजर साइकिल की डिमांड भाई की साइकिल छूनी तक नहीं खास ओकेजन पर नए कपड़े नहीं आये तो घर पर बवाल मचाना बिजनेस में अप-डाउन भी चल रहे थे। फिर भी घरवालों ने किसी तरह दूसरे खर्चो में कटौती करके अपने लख्त-ए-जिगर की फरमाइशों को पूरा किया।

पढ़ाई से ज्यादा फैशन पर ध्यान

स्कूलिंग के दिनों में पीयूष के फ्रेंड सर्किल में ज्यादा रिच फैमिली से ताल्लुक रखने वाले दोस्त नहीं थे। दोस्तों पर रौब जमाने के लिए पीयूष कोई कसर नहीं छोड़ता। महंगे-महंगे पैंट-शर्ट, घडि़यां, जूते और खाने-पीने के लिए मां से ऐंठे रूपए लड़का इकलौता था और अपना था इसलिए मां-बाप ने भी कभी हाथ नहीं खींचा। जेबखर्च के लिए रोज खूब पैसे देते, जिन्हें पीयूष अपने दोस्तों के साथ पार्टी, मौज-मस्ती में उड़ा दिया करता था। स्कूल के इस डेली शिड्यूल की वजह से पढ़ाई तो किनारे हो गई सारा फोकस फैशन, स्टाइल, गर्लफ्रेंड्स और स्टेटस मेंटेन करने पर हो गया।

महंगे गैजेट्स और गाडि़यां

आईटी एरा में पीयूष के शौक भी बढ़ने लगे। महंगे-महंगे मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक आईटम्स में भी उसकी दिलचस्पी बढ़ने लगी। मार्केट में मोबाइल का कोई भी नया मॉडल आता। कुछ समय बाद वह पीयूष के पास होता इतना ही नहीं महंगी बाइक्स और कार ड्राइविंग भी उसके कई शौक में एक है। शोरूम में कोई भी नई गाड़ी आती, टेस्ट ड्राइव किये बगैर उसका मन नहीं भरता।

पार्टी अभी बाकी है

बॉलीवुड मूवी का यह गाना पीयूष की जिंदगी पर एकदम सटीक बैठता है। पार्टी फ्रीक पीयूष का फ्रेंड सर्किल भी कुछ ऐसा ही था पार्टी का बहाना चाहिए होता था बस इन सबको छोटे से छोटे सेलीब्रेशन में भी हजारों का खर्चा खाना-पीना भी ब्रांडेड होटल-रेस्टोरेंट्स में देर रात पार्टी शुरू जरूर होती थी, लेकिन खत्म होने का कोई टाइम फिक्स नहीं था शादी होने के बाद भी पीयूष की यह लाइफ स्टाइल बदस्तूर जारी रही। कभी दोस्तों के साथ तो कभी अपनी माशूकाओं के साथ

डेली की पॉकेट मनी क्0 हजार!

पीयूष को करीब से जानने वाले लोगों ने बताया कि पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं लगा तो घरवालों ने सोचा कि बिजनेस में ही एक्सपर्ट हो जाए। इसी उम्मीद के साथ पिता ओमप्रकाश ने उसे बिजनेस की बारीकियां सिखानी शुरू कीं। मगर, ऐसा करते ही उसके खर्चे भी कई गुना बढ़ गए। जानकारी के मुताबिक फैशनपरस्त, ब्रांड कांशस पीयूष एक दिन में क्0-क्0 हजार रूपए तक खर्च करने लगा था। पैसों की चिंता नहीं थी, आखिर घर में मां-बाप और उसके बाद बिजनेस का खजाना तो खुला ही हुआ था

अय्याशी में जिंदगी तबाह

क्राइम की दुनिया तक दूर-दूर तक पीयूष का कोई लेना देना नहीं था। मगर, महिलाओं से नजदीकियों ने उसे एक नंबर का अय्याश बना दिया। ऐसा नहीं था कि घरवालों को अंदेशा नहीं था। शक जरूर था मां-बाप को इसीलिए शादी जबलपुर की खूबसूरत लड़की से तय की। सोचा, शादी के बाद बेटे की आदतें सुधर जाएंगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं बेटा सुधरा तो नहीं, शादी का सर्टीफिकेट मिलने के बाद अय्याशी के दलदल में धंसता ही चला गया

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आपके घर में कोई पियूष तो नहीं बन रहा.?

साइकियाट्रिस्ट डॉ। उन्नति कुमार ने बताया कि अगर कुछ खास बातों पर ध्यान रखा जाए तो पैरेंट्स अपने बच्चों को 'पीयूष' बनने से बचा सकते हैं

लक्षण :

- ऐसे बच्चे अपनी भावना और विवेक पर नियंत्रण नहीं रख पाते।

- जिसे चाहते हैं बहुत चाहते हैं। नफरत करते हैं तो बेइंतहा नफरत।

- जो नियंत्रण कर ले जाते हैं और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की आदत डेवलप कर लेता है, वो सुधर जाता है।

- बहुत जिद्दी होते हैं, जो चाहिए होता है मतलब चाहिए अगर नहीं मिले तो जब वह चीज मिल नहीं जाती, चैन से नहीं बैठते

- जब मन की बात पूरी नहीं होती तो आखिरी निष्कर्ष निकालते हैं। बिना सही-गलत, बड़ा-छोटा और अपना-पराया सोचे-समझे।

- ऐसे बच्चों की यही कम्प्लेंट होती है कि वह सही हैं और सामने वाला हमेशा उन्हें गलत समझ रहा है।

- खुद को बेचारा टाइप समझते रहते हैं.दूसरों की गलती निकालते रहते हैं।

- बात-बात पर जिद्दीपन दिखाना और धमकी देने के अंदाज में बात करना।

- पुरानी बातों से निकल नहीं पाते। जैसे पिता ने बच्चे को अगर बाइक दिलवाने का वायदा किया और एक साल बाद बाइक दिलवाई तो वह यही कम्प्लेंट करेगा कि एक साल बाद बाइक दिलवा रहे है।

- कभी-कभी बहुत बचकानी हरकतें करते हैं।

- भावनात्मक अस्थिरता के चक्कर में तरह-तरह का नशा करने लगते हैं।

- बात-बात पर मरने-मारने की बात करता हैं।

- फ्रेंड्स सर्किल में खूब पॉपुलर होते हैं, लेकिन जिम्मेदारियों से हमेशा बचते हैं।

आप के घर में कोई ये सब करता हो तो संभल जाएं

क्। देर रात सबके सोने के बाद घर लौटना

ख्। सुबह बहुत देर से जागना

फ्। घर वाले नहीं जानते लड़का कब आता है और कब जाता है।

ब्। उसकी पैसों की डिमांड हमेशा पूरी कर दी जाती है।

भ्। वो पढ़ने में कमजोर रहा है और नकल करके पास होता रहा है फिर भी खुद को बहुत काबिल समझता है।

म्। उसके दोस्त-यारों में कभी कोई पढ़ने में अच्छा नहीं रहा है

7. वो गुंडों से अपनी दोस्ती बड़ी शान से बताता है

7. उसे हर वो सुविधा हासिल है जिसे वो डिजर्व नहीं करता जैसे मंहगी गाड़ी, महंगा फोन वगैरह।

8. उससे पैसों का हिसाब नहीं लिया जाता और वो देता भी नहीं।

9. उसने अपनी काबिलियत से आज तक कुछ हासिल नहीं किया।

क्0. घर वाले समझते हैं कि वो नेता बन जाएगा जबकि आज तक वो कोई सफलता हासिल नहीं कर सका।

अगर ये लक्षण आपके घर में किसी लड़के के हैं तो सावधान हो जाइए। आप उसे लाड़ नहीं कर रहे बल्कि बरबादी की ओर ढकेल रहे हैं। बिना किसी क्राइम की बैकग्राउंड के वो कभी भी किसी मुसीबत में फंस सकता है। वो अपराधी नहीं है इसलिए अगर आप जागरूक हो गए तो वो बच जाएगा।