- अरबों की संपत्ति के मालिक अखिलेश दास राजनीति में भी खूब चमके

- राज्यसभा जाने की कोशिश में जुटे थे, बसपा के बाद कांग्रेस का थामा दामन

- राजधानी में भी स्थापित किया था बड़ा साम्राज्य, कई प्रतिष्ठानों के थे मालिक

LUCKNOW(12 April):

यूं तो अखिलेश दास अरबों की संपत्ति के मालिक थे, लेकिन राजधानी का सांसद बनने की उनकी चाह अधूरी ही रही। पूर्व मुख्यमंत्री बाबू बनारसी दास के पुत्र अखिलेश दास ने राजनीति में कई उतार-चढ़ाव भी देखे। कांग्रेस सरकार में केंद्रीय इस्पात मंत्री बनने के बाद उनके सितारे कुछ गर्दिश में आए और कांग्रेस से बरसों पुराना उनका साथ टूट गया। मंत्री पद जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़कर बसपा का रुख किया, लेकिन वहां भी लंबे समय तक नहीं टिक पाए। वर्तमान में उन्होंने कुछ दिन पहले ही दोबारा कांग्रेस ज्वाइन की थी। वे फिर से राज्यसभा जाने की जुगत में थे, लेकिन उससे पहले उनका निधन हो गया।

सभी दलों के नेताओं से अच्छे रिश्ते

अखिलेश दास के सभी दलों के नेताओं से अच्छे रिश्ते थे लिहाजा उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, राज बब्बर समेत तमाम राजनेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। दरअसल अखिलेश दास ने लखनऊ का मेयर रहने के बाद राजनीति की कई ऊंचाईयों को भी छुआ। प्रदेश कांग्रेस कमेटी में उनका खासा दखल था और वे हमेशा आम जनता से जुड़े रहते थे। राजनीति से इतर वे सामाजिक कार्यो में भी खासी रुचि दिखाते थे। उन्होंने खेलों से अपने जुड़ाव को भी समाप्त नहीं किया और बैंडमिंटन अकादमी की स्थापना की। राजधानी की सड़कों पर उनके नाम से चलने वाली एंबुलेंस ने हजाराें लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान भी बचाई। उन्होंने शिक्षा जगत में भी अपनी धमक जमाते हुए राजधानी में बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी की स्थापना की।

राजधानी में होटल, गाडि़यों का शोरूम

अखिलेश दास के कारोबार की जड़े भी गहरी थी। राजधानी में उन्होंने कई होटल और कार का शोरूम खोला। साथ ही फैजाबाद रोड पर एक बड़ी टाउनशिप की स्थापना भी की। उनके कारोबार का दायरा विदेशों में भी फैला था जिसके लिए अक्सर वे बाहर भी जाते रहते थे। हाल ही में उनके सपा में जाने की चर्चा भी फैली जिसे उन्होंने नकार दिया और बाद में कांग्रेस में दोबारा वापसी की। उनकी असमय मृत्यु से यूपी में दोबारा अपनी जड़े जमाने में जुटी कांग्रेस को गहरा झटका लगा है।

फैक्ट फाइल

- लखनऊ यूनिवर्सिटी से एमबीए, एलएलबी और डिप्लोमा इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन करने के बाद आगरा यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की

- 12 मई 1993 से 30 नवंबर 1995 तक लखनऊ के मेयर रहे

- करीब 18 साल तक राज्यसभा के तीन बार सदस्य रहे

- 2006 से 2008 तक केंद्रीय इस्पात मंत्री रहे

- एम्स, एआईसीटीई के सदस्य भी रहे अखिलेश दास

- इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन, बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, यूपी ओलंपिक एसोसिएशन, बैडमिंटन एशिया कांफेडेरेशन और बैंडमिंटन व‌र्ल्ड फेडरेशन में कई पदों पर रहे

-बीबीडी यूनिवर्सिटी के चांसलर और बीबीडी ग्रुप ऑफ एजूकेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन के पद पर रहे।