- कंक्रीट के जंगल में बदला शहर तो बिगड़ी आबो-हवा

- सिकुड़कर एक परसेंट पहुंच गई शहर की हरियाली

GORAKHPUR: शहर की हरियाली छीनती गई और आबादी बढ़ने के साथ यह कंक्रीट के जंगल में बदलता चला गया। हालत यह है कि इस समय गोरखपुर का सघन वन क्षेत्र सिकुड़कर एक परसेंट पर पहुंच गया है। सिटी में पॉपुलेशन का प्रेशर बढ़ने से एयर पाल्यूशन भी लगातार बढ़ रहा है। हर साल वाहनों की संख्या बढ़ने से वायु प्रदूषण को रोकना मुश्किल हो चला है। सिटी में एयर क्वालिटी इंडेक्स मॉडरेटली पाल्युटेड कैटेगरी में है। एक्सपटर्स का कहना है कि सिटी में पेड़-पौधों की कमी की वजह से यह नौबत आई है। इस कंडीशन से निपटने के लिए क्षेत्रफल के हिसाब से कम से कम 33 फीसदी हरियाली जरूरी है लेकिन लगातार मकानों के निर्माण से पेड़-पौधे घटते चले जा रहे हैं। ऊंची इमारतें, वाहनों की बढ़ती संख्या सांस लेने की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

फैक्ट फीगर

शहर में कुल मकान - 137961

शहर की कुल जनसंख्या- 836129

आबादी में पुरुषों की संख्या- 439051

शहर के भीतर महिलाओं की संख्या- 397078

गोरखपुर नगर का कुल क्षेत्रफल- 147 वर्ग किलोमीटर

फ्रेश एयर के लिए हरियाली की जरूरत- 50 वर्ग किलोमीटर

एयर क्वालिटी इंडेक्स

कैटेगरी लेवल इफेक्ट

00 से 50 गुड मिनिमल इम्पैक्ट

51 से 100 सैटिस्फेक्ट्री संवेदनशील लोगों के सांस लेने में मामूली परेशानी

101 से 200 मॉडरेटली पाल्युटेड सांस में लेने में परेशानी, अस्थमा, हार्ट पेशेंट्स को प्राब्लम, बच्चों को सांस में दिक्कत

201 से 300 पूअर सांस लेने में परमानेंटली प्रॉब्लम, हार्ट पेशेंट्स के लिए हरदम समस्याएं

301 से 400 वेरी पूअर सांसों की परेशानी, लंग और हार्ट डिजीज वालों को ज्यादा नुकसान

401 से 500 सेवरे स्वस्थ व्यक्तियों में सांस लेने की दिक्कत, सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों में सीरियस इम्पैक्ट।

चाहिए फ्रेश एयर तो लगाइए एक पेड़

पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि शहर की आबो-हवा खराब हो चली है। शहर में हर व्यक्ति को फ्रेश एयर के लिए कम से कम एक पेड़ की आवश्यकता है। प्रति व्यक्ति के हिसाब से एक पेड़ लगाए जाएं तो एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार मिनिमल इम्पैक्ट का इफेक्ट रहेगा। लेकिन शहर में एयर क्वालिटी का लेवल मॉडरेटली पाल्युटेड हो चुका है। यदि मकानों का निर्माण रोककर हरियाली नहीं बढ़ाई गई तो स्थिति खराब होती चली जाएगी।

एक्सप‌र्ट्स व्यू

कुल क्षेत्रफल का कम से कम 33 फीसदी हिस्सा हरियाली से आच्छादित होना चाहिए। सिटी में बिल्डिंग्स के कंस्ट्रक्शन से यह एक फीसदी तक पहुंच चुका है। कई अध्ययनों में सामने आया है कि शहर के इंडस्ट्रीयल, कॉमर्शियल और रिहायशी इलाकों में पेड़ों की कमी से पॉल्यूशन की मात्रा बढ़ती जा रही है।

- प्रोफेसर गोविंद पांडेय, पर्यावरणविद्