-पेशेंट्स को दिखानी होगी यूनिक आईडी

-सभी एआरटी सेंटर पर दवाओं के स्टॉक, खपत, एक्सपायरी डेट की होगी मॉनीटरिंग

>BAREILLY: देश भर के एड्स पीडि़त मरीजों के लिए राहत की खबर है। एंटी रेट्रो वायरल, एआरटी सेंटर से रजिस्टर्ड एड्स के मरीज जल्द ही देश के किसी भी कोने से दवाएं पा सकेंगे। व‌र्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के सहयोग से नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन देश भर के सभी एआरटी सेंटर में एक नया सॉफ्टवेयर लागू करने जा रहा है। आईएमएस यानि इंवेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम नाम के इस सॉफ्टवेयर से एआरटी सेंटर में मिलने वाली दवाओं का रिकार्ड ऑनलाइन होगा। इससे एड्स के मरीज को देश के किसी भी हिस्से में एआरटी सेंटर पर दवा मिल सकेगी।

दिखानी होगी यूिनक आईडी

एआरटी सेंटर में रजिस्टर्ड होने वाले सभी एड्स व एचआईवी मरीजों को एक यूनिक आईडी कोड दिया जाता है। इस कोड में मरीज का नाम, उम्र, पता और उसे इलाज में दी जा रही दवाओं का रिकॉर्ड दर्ज होता है। आईएमएस सॉफ्टवेयर शुरू होते ही एड्स मरीज दूसरे राज्य के एआरटी सेंटर से दवा सिर्फ अपना यूनिक आईडी कोड दिखाकर ले सकेंगे।

डब्ल्यूएचओ की रहेगी नजर

नए सॉफ्टवेयर में सभी एआरटी सेंटर में रजिस्टर्ड मरीजों का मेडिसिन डिस्पेंस मरीजों को दी जा रही दवाओं का पूरा ब्योरा ऑनलाइन दर्ज होगा। सभी एआरटी नई सेंटर सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था में एक दूसरे से जुड़ जाएंगे। साथ ही एक दूसरे के मरीजों के इलाज से जुड़े दवाओं के रिकॉर्ड साझा कर सकेंगे। देश भर में जहां कुल ब्फ्ख् एआरटी सेंटर हैं। वहीं यूपी में फिलहाल फ्0 शहरों में एआरटी सेंटर है। नई व्यवस्था में हर एआरटी सेंटर पर मरीजों की तादाद, उनका हर महीने होने वाला फॉलो-अप और हर महीने फॉलो-अप से मिस होने वाले मरीजों का रिकार्ड भी दर्ज होगा। जिस पर डब्ल्यूएचओ की टीम मॉनीटर करेगी।

जीरो शॉर्टेज टारगेट की कवायद

एड्स के इलाज में एक-दो दिन भी दवाओं का यूज न करने से मरीज की इम्यूनिटी पॉवर कमजोर होने की आशंका बढ़ जाती है। अब सभी एआरटी सेंटर पर अवेलेबल दवाओं का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा। इसमें एआरटी सेंटर पर मुहैया दवाओं के नाम, बैच नम्बर, स्टॉक की जानकारी, हर महीने दवाओं की खपत और स्टॉक में मौजूद दवाओं की एक्सपायरी डेट का रिकार्ड भी ऑनलाइन होगा। इसका मकसद एआरटी सेंटर्स पर शॉर्टेज टारगेट जीरो करना है।

क् जून को होगा आइर्एमएस लॉन्च

सभी एआरटी सेंटर में लागू होने जा रहा सॉफ्टवेयर आईएमएस एक जून ख्0क्भ् को लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए डब्ल्यूएचओ व नाको के अधिकारियों की अगुवाई में क्ख् व क्फ् अप्रैल को लखनऊ में एक बैठक बुलाई गई थी। जिसमें सभी एआरटी सेंटर के डाटा मैनेजर व फार्मासिस्ट की नए सॉफ्टवेयर से जुड़ी ट्रेनिंग कराई गई। बरेली एआरटी सेंटर में सॉफ्टवेयर की डमी कॉपी भेजी गई है। जिसमें सभी रजिस्टर्ड एड्स मरीजों का डाटा भेजा जा रहा है।

सभी एआरटी सेंटर पर नया सॉफ्टवेयर आईएमएस शुरू होने जा रहा है। जिसमें सभी एआरटी सेंटर के मरीजों व दवाओं का रिकार्ड ऑनलाइन दर्ज होगा। इससे मरीज देश के किसी भी हिस्से में एआरटी सेंटर दवाएं आसानी से पा सकेंगे।

मनोज वर्मा, डाटा मैनेजर, एआरटी बरेली