खाने-पीने की चीजें खरीदने में जुटे रहे लोग

इधर, स्टेडियम के भीतर स्मिथ और मैक्सवेल की जोड़ी की बेहद थका देने वाली पारी चल रही है। लोग मैच का लुत्फ उठाने से ज्यादा पानी और खाने-पीने की चीजें खरीदने में जुटे हैं। कमेंट्री बॉक्स के दाईं ओर हिल स्टैंड के बगल वाले पैवेलियन से रह-रह कर आवाज आती है: जीतेगा भई जीतेगा, इंडिया जीतेगा। इसी बीच किसी ने नारा लगाना शुरू किया : भारत माता की किसी ने जय नहीं कहा, तो फिर से आवाज आईभारत माता की इस बार कुछ लोग जय की आवाज लगाकर उस उत्साहित बंदे का साथ देते हैं।

बाहर गए, तो दोबारा नो इंट्री

इसी बीच एक बज रहे हैं। स्टेडियम के भीतर खाने-पीने की चीजें महंगी होने के कारण कुछ लोग बाहर जा कर खाना खाने की च्च्छा जताते हैं। निकलने से पहले एक पुलिस वाले से कुछ यूं तस्दीक करते हैं : ऐं भइया, एक बाहर बाहरे चल जाएंगे, तो भीतर ढुकने दीजिएगा। पुलिस वाला ना में सिर हिला कर मना करता है। इस पर लोगों की हिम्मत पस्त हो जाती है। आपस में बातें करने लगते हैं - 'बताओ यार, एक तो ढाई सौ का टिकट लो और 15 रुपया पीस सिंघाड़ा खाओ। घरवा बगले में है, तुरते भात खा के आ जाते, लेकिन दोबारा घुसने नहीं देगा। छोडि़ए, अब शामे को खाएंगे खाना, भूखो नै लग रहा है अभिए, बैठिए भइया.'

 

स्कूलीच्बच्चों ने पेट भर पीया पानी

कई स्कूलों को दिए गए फ्री लेकर वहां के स्टूडेंट्स आए हैं। लाइन लगकर भीतर जा रहे हैं। तभी किसी ने बताया कि पानी का बोतल भीतर ले जाने नहीं दिया जा रहा है। इस सूचना सच् बच्चों में मायूसी छा जाती है। अब एक-एक कर सभी अपने वाटर बॉटल से पानी पीने लगते हैं। जल्दी-जल्दी पानी खत्म कर सभी अंदर जाते हैं।

 

कोहली की चोट रही चर्चा में

शाम चार-बजते-बजते भीड़ आधी रह जाती है। जो लोग बचे हैं, उन्हें फिक्र है कि अब कल क्या होगा? लोग बात कर रहे हैं : 'ई ठुकुर-ठुकर खेलिए के तीस सौ पहुंचा दिया। अ उधर कोहलियो गिर के चोटा गिया है। लग रहा हउ कि मैचवा तीने दिन में हार जइतउ रे', इस पर साथी का जवाब आता है : 'तोर मुंहच्से अच्छा बात सुनले केतना दिन बीत गेलउ, यादे नै रे भइवा। चुप रहल कर रे'