क्या है दावा?

इस रिर्पोट के अनुसार सॉलिड फ्यूल, रेल मोबाइल अग्नि-2 मिसाइल (जो अग्नी-1 का इंप्रूवमेंट है) 2 हजार किलोमीटर दूर स्थित निशाने तक न्यूक्लियर वॉर कर सकती है। उसकी जद में संभवत: पश्चिम, मध्य और दक्षिण चीन हैं। आर्टिकल के अनुसार अग्नि-4 मिसाइल नॉर्थ ईस्ट इंडिया से पूरे चीन को निशाना बनाने में सक्षम है। इसमें यह भी कहा गया है कि इंडिया सॉलिड फ्यूल, रेल मोबाइल इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल भी विकसित कर रहा है 5000 किमी दूर तक निशाना साध सकती है। साथ ही, इंडिया अग्नि-5 के जरिए भी चीन को पूरी तरह टारगेट करने में सक्षम है।

राहत वाली जगह पर चीन की नजर

और भी हैं तथ्य

हैंस क्रिस्टेन्सन और रॉबर्ट नोरी के इंडियन न्यूक्लियर फोर्सेस टायटल के साथ लिखे आर्टिकल में कहा गया है कि इंडिया के पास 150-200 परमाणु हथियार बनाने के लिए प्लुटोनियम है लेकिन उसने अब तक 120-130 हथियार ही बनाए हैं. दोनों के अनुसार इंडिया की परमाणु हथियारों को लेकर परंपरा रही है कि वो पाकिस्तान पर फोकस रही है लेकिन उस के परमाणु हथियारों को मॉडर्नाइज करने को देखकर लगता है कि वो चीन के साथ भविष्य में अपने रिश्तों को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रहा है। इसका परिणाम यह होगा कि इंडिया अगले दशक के भीतर खासी नई क्षमताएं पैदा कर लेगा, जिनसे यह भी तय होगा कि वह पाकिस्तान के खिलाफ न्यूक्लियर वॉरफेयर की भूमिका को कैसे देखता है।

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इंडिया की क्षमता

इंडिया द्वारा न्यूक्लियर वेपंस की मॉर्डनाइजेशन किए जाने पर ध्यान आकर्षित करते हुए दोनों एक्सपर्ट ने कहा है कि दिल्ली के पास सात परमाणु सक्षम सिस्टम हैं, जिनमें दो एयरक्राफ्ट, चार बैलेस्टिक मिसाइल और एक समुद्र बेस्ड बैलेस्टिक मिसाइल है। एक्सपट्र्स ने दावा किया है कि इंडिया फिलहाल कम से कम 4

सिस्टम और डेवलप कर रहा है। यह डेवलपमेंट अभी डायनामिक फेज में पहुंच चुका है और अगले दशक के भीतर जमीन से जमीन और समुद्र में मार करने वाली न्यूक्लियर मिसाइल तैनात हो जाएगी। आर्टिकल के अनुसार इंडिया ने 600 किलो प्लुटोनियम पैदा करने में सफलता पाई है जिससे कम से कम 150-200 न्यूक्लियर वेपंस बन सकते हैं। हालांकि इस पूरे प्लुटोनियम से हथियार नहीं बनाए गए हैं।

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