irnss-1g : तस्‍वीरों में देखें,अंतरिक्ष में भारत की ऐतिहासिक उड़ान

आइआरएनएसएस- 1G सेटेलाइट को सतीश धवन स्पेस रिसर्च सेंटर से दोपहर 12.50 पर प्रक्षेपित कर दिया गया। सेटेलाइट को धरती की कक्षा में स्थापित करने के लिए पीएसएलवी सी-33 की मदद ली गई।

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आइआरएनएसएस 1जी सेटेलाइट पर दो पे-लोड तैनात हैं। जिसमें नेवीगेशनल और रेंजिंग पे-लोड शामिल हैं। इस सेटेलाइट की अवधि 12 साल है। इससे पहले प्रक्षेपित आइआरएनएसएस सीरीज के छ सेटेलाइट के काम शुरू करने के साथ ही भारत के पास भी जीपीएस जैसी खुद की सुविधा उपलब्ध होगी।

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इस सीरीज के पूरे होने के बाद हम किसी भी जगह की सटीक जानकारी हासिल कर सकेंगे। यही नहीं भारत की भौगोलिक सीमा से 1500 किमी दूर की जगहों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।

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राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने नेविगेशनल सेटेलाइट के सफल प्रक्षेपण पर वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत के सातों नेविगेशनल सेटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो चुके हैं। पीएम ने सेटेलाइट के सफल प्रक्षेपण को खुद देखा।

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आइआरएनएसएस अमेरिका के जीपीएस, रूस के ग्लानोस, यूरोप के गैलीलियो और चीन के बीडोउ के समान है। आइआरएनएसएस शृंखला का पहला सेटेलाइट जुलाई 2013 में लांच किया गया था।

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