कमजोरी बनी ताकत
भारतीय क्रिकेट टीम की ताकत उनकी बल्लेबाजी रही है। सुनील गावस्कर से लेकर सचिन और फिर विराट कोहली, दशक बदलते गए लेकिन टीम इंडिया में बल्लेबाजों का हुनर कम नहीं हुआ। यही वजह है कि विरोधी टीम भारत के खिलाफ मैच जीतती है तो उन्हें पूरी भारतीय टीम को ऑलआउट करना पड़ता है। भारत और साउथ अफ्रीका टेस्ट सीरीज के दौरान ऐसा ही कुछ देखने को मिला। बल्लेबाज फ्लॉप क्या हुए हम दोनों मैच हार गए। इस दौरान एक बात अच्छी रही जोकि भारतीय टीम के हित में है वो है गेंदबाजी।
बेबस नजर आए अफ्रीकी बल्लेबाज
भारतीय टीम के पास विश्वस्तरीय गेंदबाजों की कमी तो नहीं रही लेकिन उन्हें वो मुकाम नहीं मिला जो अन्य टीमों के गेंदबाजों के पास है। खासतौर से तेज गेंदबाजी आक्रमण की बात की जाए, तो कुछ गिने-चुने नाम ही याद आते हैं लेकिन मौजूदा भारत-द.अफ्रीका सीरीज में कुछ अलग देखने को मिला। साउथ अफ्रीका जैसी तेज और उछाल वाली पिचों पर अफ्रीकी बैट्समैनों को दोनों पारियों में ऑलआउट करना आसान काम नहीं है। भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी ने बड़े-बड़े अफ्रीकी बल्लेबाजों को घुटने पर ला दिया।
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सात साल पहले किया था अफ्रीका को ऑलआउट
साउथ अफ्रीका को उन्हीं के घर पर ऑलआउट करे लंबा वक्त हो गया है। मौजूदा फ्रीडम ट्रॉफी को छोड़ दिया जाए तो पिछली बार भारतीय गेंदबाजों ने जनवरी 2011 में प्रोटीज को दोनों पारियों में ऑलआउट किया था। मेजबान साउथ अफ्रीका पहली पारी में 362 और दूसरी में 341 रन ही बना सकी थी। उस वक्त तेज गेंदबाज एस श्रीसंत और टर्बनेटर हरभजन सिंह ने अफ्रीकी बल्लेबाजों को खूब छकाया था।
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हर तरफ हो रही प्रशंसा
इस मैच को करीब 7 साल हो गए। अब श्रीसंत और हरभजन तो नहीं लेकिन भारतीय टीम में बुमराह और भुवनेश्वर कुमार हैं जिनकी गेंदों के आगे प्रोटीज बल्लेबाज बेबस नजर आ रहे हैं। हाशिम अमला से लेकर एबी डविलियर्स तक कोई भी अफ्रीकी बल्लेबाज लंबी पारी नहीं खेल सका। बस यही वो बात है जिसे देख कप्तान विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री खुश हैं। भारतीय टीम के पूर्व गेंदबाजी कोच एरिक सिमंस ने भी गेंदबाजों के इस प्रदर्शन को सराहा है। उन्होंने भारतीय गेंदबाजों की तुलना दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों से की है। सिमंस ने कहा कि भारतीय गेंदबाज अब विदेशों में पहले से काफी अधिक विकेट ले रहे हैं।
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