श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने बैटिंग करने से किया मना
साल 2009 की बात है, श्रीलंका टीम पांच मैचों की वनडे सीरीज खेलने भारत आई थी। शुरुआत के चार मैच तो सही गुजरे लेकिन आखिरी मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेला गया। मैच अपने निर्धारित समय पर शुरु हुआ, भारत ने टॉस जीता और पहले फील्डिंग का निर्णय लिया। श्रीलंकाई ओपनर उपुल थरंगा और दिलशान क्रीज पर बैटिंग करने उतरे, पहली गेंद पर थरंगा को जहीर खान ने बोल्ड कर दिया। टीम का कुल योग 63 रन हुआ कि आधी श्रीलंकाई टीम पवेलियन लौट गए। बल्लेबाजों ने बैटिंग करने से मना कर दिया, बात भारतीय कप्तान तक पहुंची। अंपायरों को बीच में आना पड़ा और खेल रोक दिया गया।
क्या थी वजह
यह सब कुछ तब हुआ, जब श्रीलंकाई पारी के 23.3 ओवर पूरे हो चुके थे। बल्लेबाजी करना मुश्किल हो गया था, क्योंकि पिच पर असमान उछाल था। कभी गेंद बहुत ऊपर उठ जा रही थी, तो कभी बल्लेबाज को बहुत नीचे झुककर शॉट मारना पड़ रहा था। अंपायरों ने रेफरी से सलाह ली और कोटला पिच को 'खराब' घोषित कर दिया। डीडीसीए के लिए यह काफी अपमानजनक था, पिच बैटिंग लायक बिल्कुल नहीं थी। आखिरकार मैच को रद्द कर दिया गया।
एक साल के लिए लगा था बैन
एक अंतरर्राष्ट्रीय मैच में बेहतरीन पिच के कुछ मानक होते हैं। कोटला की पिच उन मानकों पर खरी नहीं उतरी। इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। मामला आईसीसी तक पहुंचा और जांच-पड़ताल के बाद कोटला पिच पर एक साल के लिए बैन लगा दिया गया। 2010 में यहां कोई भी इंटरनेशनल मैच नहीं खेला गया। हालांकि बाद में यहां फिर कई बड़े-बड़े मैच आयोजित किए गए।
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