आजादी से पहले वायसराय या गवर्नर जनरल करते थे प्रयोग

आजादी से पहले इस बग्घी का इस्तेमाल भारत के वायसराय या गवर्नर जनरल किया करते थे। आजादी के मौके पर जब देश के दो टुकड़े हुए तो इस बग्घी पर भारत और पाकिस्तान दोनों अपना दावा जता रहे थे। बाद में वायसराय की अंगरक्षक टुकड़ी के तत्कालीन कमांडेंट और उनके डिप्टी के बीच सिक्का उछालकर इस बग्घी पर निर्णय हुआ। सिक्का उछालने के इस निर्णय में भारत को जीत मिली और पाकिस्तान की हार हुई। इससे पहले राष्ट्रपति की ओर से इस प्रसिद्ध बग्घी का इस्तेमाल 1984 तक लगातार होता था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से इस बग्घी का इस्तेमाल रोक दिया गया था।

ये है इस बग्घी का रोचक इतिहास

भारत में संविधान लागू होने के बाद 1950 में हुए पहले गणतंत्र दिवस समारोह में देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद बग्घी पर ही सवार होकर गणतंत्र दिवस समारोह में पहुंचे थे। पहला गणतंत्र दिवस समारोह नई दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में हुआ था। इसका नाम अब मेजर ध्यान चंद्र स्टेडियम है। यह बग्घी करीब 35 साल पुरानी थी तब 6 ऑस्ट्रेलियाई घोड़े इसे खींच रहे थे।इस बग्घी में इस्तेमाल होने वाले घोड़े भी विशेष नस्ल के होते हैं। इसे खींचने के लिए भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई मिक्स ब्रीड के घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल भारतीय नस्ल के घोड़ों की ऊंचाई ज्यादा होती है जबकि यह मिक्स ब्रीड इस बग्घी की ऊंचाई पर एकदम फिट बैठती है। यही कारण है कि इसे खींचने के लिए इन्हीं नस्ल के घोड़ों का इस्तेमाल होता है।

मर्सडीज बेंज से बग्घी तक सब से झलकती है शान

राष्ट्रपति के आवागमन के लिए काले रंग की मर्सडीज बेंज S600 (W221) Pullman Guard कार का इस्तेमाल होता है। इसमें बहुत ही हाईक्लास सिक्युरिटी फीचर्स यूज किए जाते हैं। हल्के हथियारों और धमाकों के हमलों को झेलने में यह पूरी तरह सक्षम होती है। राष्ट्रपति की कार का कोई नंबर नहीं होता है। नंबर प्लेट की जगह भारत के राष्ट्रीय चिह्नअशोक स्तंभ का इस्तेमाल किया जाता है। इस कार को खास तरीके से डिजाइन किया जाता है। यही कारण है कि यह कार आम मर्सडीज कारों से अलग होती है। आखिरी बार तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की ओर से सार्वजनिक समारोह के लिए इस बग्घी का प्रयोग किया गया था। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से इस बग्घी का इस्तेमाल इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए भी किया जा चुका है।

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