परिजनों को डर, कहीं हो न जाएं संक्रमित
परिवार के लोगों को डर है कि शव के संपर्क में आने पर वह भी मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) से संक्रमित हो सकते हैं. इस कारण्ा से वह अपने परिजन के शव का अंतिम संस्कार करने के लिए भी उसे लेना नहीं चाहते.

सतैह जेद्दा की बड़ी कंपनी में करता था काम
अरब न्यूज की खबर के अनुसार तेलंगाना का रहने वाला दशरती सतैह जेद्दा में रखरखाव का काम करने वाली एक बड़ी कंपनी में काम करता था. विषाणु की चपेट में आकर गत 20 जून को उसकी मौत हो गई थी. समाचार पत्र ने अपने सूत्रों के हवाले से कहा कि सतैह के परिवार को उसकी मौत की जानकारी दी गई, लेकिन भारत में उसके रिश्तेदारों ने उन्हें विषाणु के बारे में गलत जानकारी दी और कहा कि शव को छूने पर वह भी बीमारी से ग्रस्त हो सकते हैं. मर्स एक विषाणु जनित सन संबंधी बीमारी है. संक्रमित लोगों को सांस लेने में गंभीर तकलीफ होती है. उन्हें बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मर्स संक्रमण के 837 मामलों और कम से कम 291 मौतों की पृष्टि की है. अधिकतर मामले सऊदी अरब में सामने आए हैं.

एक अन्य घटना भी आई सामने    
एक दूसरी घटना में पंजाब निवासी अकरीम सिंह की जेद्दा में लंबी बीमारी के बाद मौत हो गई. समाचारपत्र की खबर के अनुसार शव को वापस भेजने की औपचारिकताएं पूरी हो चुकी थीं लेकिन सिंह के मर्स विषाणु से संक्रमित होने के संदेह की वजह से इसमें देरी हुई. हालांकि जांच में पता चला कि उसकी मौत का कारण मर्स नहीं था. शव को आखिरकार भारत भेज दिया गया.

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