ये दूसरा मौका है जब यह आयोजना भारत में हो रहा है। इसके पहले साल 2001 में मुंबई में फ़्लीट रिव्यू हुआ था।

इसमें चीन और अमरीका समेत 50 से ज़्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं।

बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय ने रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और सोसाइटी फॉर पॉलिसी स्टडीज के डॉयरेक्टर उदय भास्कर से बात की और समझना चाहा कि इंटरनेशनल फ़्लीट रिव्यू दरअसल है क्या?

दुनिया देखेगी भारतीय नौसेना की ताक़त

विशाखापत्तनम में इंटरनेशनल फ़्लीट रिव्यू में शामिल होने आए अमरीकी नौसेना प्रमुख जॉन रिचर्डसन (बीच में) ऑस्ट्रेलियाई नौसेना प्रमुख टिमोथी बैरेट (बाएं) से बात करते हुए।

हर वह देश जिसके पास नौसेना है, बाक़ी देशों को आमंत्रित करता हैं कि वे आकर अपनी नौसेना की क्षमता का प्रदर्शन करें। यह परंपरा क़रीब 600 साल पहले ब्रिटेन में शुरू हुई थी।

भारत का संविधान बनने के बाद हर राष्ट्रपति के कार्यकाल में एक बार फ़्लीट रिव्यू होता है, जिसमें सिर्फ़ भारत के जहाज़ शामिल होते हैं।

वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में, साल 2001 में अन्य देशों को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था और मुंबई में भारत का पहला इंटरनेशनल फ़्लीट रिव्यू आयोजित हुआ।

इस आयोजन का मकसद क्या है?

आयोजक देश अपनी नौसेना की क्षमता के बारे में दुनिया को बताना चाहता है।

दुनिया देखेगी भारतीय नौसेना की ताक़त

भारतीय विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत

नौसेना की ताक़त सीमा पार के लिए होती है। यह विडंबना ही है कि इस परंपरा की शुरुआत करने वाले ब्रिटेन की नौसैनिक क्षमता घट गई है।

अब उनके पास इतने जहाज़ नहीं हैं कि वह इसका आयोजन कर सके। अब ऐसी दो ही नौसेना हैं जो अपना विस्तार कर रही हैं- चीन और भारत।

इस इंटरनेशनल फ़्लीट रिव्यू में चीन के शामिल होने का क्या अर्थ है?

पंद्रह साल पहले मुंबई में हुए इंटरनेशनल फ़्लीट रिव्यू में भी भारत ने चीन को आमंत्रित किया था लेकिन तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से वह नहीं आया था।

इस बार चीनी नौसेना के दो जहाज़ इसमें शामिल हो रहे हैं। दोनों देशों के लिए यह एक सकारात्मक मौका है।

दुनिया देखेगी भारतीय नौसेना की ताक़त

चीन प्रशांत महासागर में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है और वहां उसे काफ़ी चुनौतियां भी मिल रही हैं। दक्षिणी चीन सागर में उसका आसियान देशों और जापान से तनाव बढ़ रहा है।

चीन अब हिंद महासागर में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहता है और इसके लिए उसने क़दम भी बढ़ाए हैं।

पाकिस्तान पिछली बार भी नहीं आया था और जब तक राजनीतिक परिस्थितियां अनुकूल नहीं हो जातीं, लगता नहीं कि वह आएगा।

भारतीय नौसेना को क्या हासिल होगा?

किसी भी देश की नौसेना उसकी सार्वजनिक और सैन्य कूटनीति को विस्तार देती है। हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना को सबको सुरक्षा देने वाला कहा जाता है। नवंबर, 2004 में जब सुनामी आई थी तब हमने यह साबित किया था।

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हालांकि भारतीय नौसेना देश की थल सेना और वायु सेना की तुलना में सबसे छोटी है लेकिन इसका महत्व कम नहीं।

भारतीय समुद्री सीमा और उसके आगे भी सैन्य ताक़त के लिए यह महत्वपूर्ण है और ये फ़्लीट रिव्यू इसे पहचान दिलाने का बहुत बड़ा मौका है।

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