यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल 'दरबार स्क्वॉयर' मलबे में तब्दील हो चुका है. मशहूर धरहरा टॉवर धाराशायी हो गया है.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

मशहूर धरहरा टॉवर के प्रथम प्रधानमंत्री भीमसेन थापा ने बनवाई थी.

नेपाल में अक्सर भूकंप आते रहते हैं. यह दुनिया के सबसे सक्रिय भूकंप क्षेत्र में आता है.

इसे समझने के लिए हिमालय की संरचना और पृथ्वी के अंदर की हलचल पर नज़र दौड़ानी पड़ेगी.

टेक्टोनिक प्लेट

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

ऐवरेस्ट बेसकम्प पूरी तरह नष्ट हो चुका है.

दरअसल भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के यूरेशिनय टेक्टोनिक प्लेट (मध्य एशियाई) के नीचे दबते जाने के कारण हिमालय बना है.

पृथ्वी की सतह की ये दो बड़ी प्लेटें क़रीब चार से पांच सेंटीमीटर प्रति वर्ष की गति से एक दूसरे की ओर आ रही हैं.

इन प्लेटों की गति के कारण पैदा होने वाले भूकंप की वजह से ही एवरेस्ट और इसके साथ के पहाड़ ऊंचे होते गए.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

विज्ञान मामलों के जानकार पल्लव बागला के अनुसार, हिमालय के पहाड़ हर साल क़रीब पांच मिलीमीटर ऊपर उठते जा रहे हैं.

इंग्लैंड में ओपन यूनीवर्सिटी में प्लेनेटरी जियोसाइंसेज़ के प्रोफ़ेसर डेविड रोथरी का कहना है, “भारतीय प्लेट के ऊपर हिमालय का दबाव बढ़ रहा है, मुख्यतः इस तरह के दो या तीन फ़ॉल्ट हैं. इन्हीं में किसी प्लेट के खिसकने से यह ताज़ा भूकंप आया होगा.”

बड़े से बड़े भूकंप में भी नुकसान के शुरुआती आंकड़े बहुत कम होते हैं और बाद में ये बढ़ता जाता है.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

आशंका इस बात की है कि इस भूकंप के मामले में भी मरने वालों की संख्या बहुत ज़्यादा होगी.

नेपाल के लिए डर

यह सिर्फ इसलिए नहीं है कि भूकंप की तीव्रता बड़ी थी- रिक्टर स्केल पर 7.8 की तीव्रता.

बल्कि चिंता इस बात की है कि इस भूकंप का केंद्र बहुत उथला था- लगभग 10 से 15 किलोमीटर नीचे.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

इसके कारण सतह पर कंपन और गंभीर महसूस होता है.

विनाशकारी भूकंप के बाद कम से कम 14 हल्के झटके आए थे. इनमें से अधिकांश चार से पांच की तीव्रता के थे. इसमें एक 6.6 तीव्रता का भी झटका शामिल है.

याद रहे कि रिक्टर स्केल पर तीव्रता में हरेक अंक की कमी का मतलब है, बड़े भूकंप से 30 फ़ीसदी कम उर्जा का मुक्त होना.

लेकिन जब इमारतें पहले से ही जर्जर होती हैं तो एक छोटे से छोटा झटका भी किसी ढांचे को ज़मीदोज़ करने के लिए पर्याप्त होता है.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

अनुमान यह है कि इस इलाक़े की अधिकांश आबादी ऐसे घरों में रह रही है, जो किसी भी भूकंप के लिए सबसे ज़्यादा ख़तरनाक़ हैं.

भूस्खलन का ख़तरा

पहले के अनुभवों को देखते हुए सबसे बड़ी चिंता होगी भूस्खलन की आशंका.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

हो सकता है कि इस पहाड़ी क्षेत्र में कोई गांव मुख्य आबादी से कट गया हो या ऊपर से गिरने वाले पत्थरों या कीचड़ में दफ़न हो गया हो.

आपातकालीन घटना से निपटने में व्यस्त प्रशासन के लिए यह एक और चुनौती होगी और इसका मतलब होगा कि सूचना धीरे-धीरे सामने आएगी और आपस में विरोधाभासी होगी.

हिमालयी क्षेत्र पर नज़र डालें तो पता चलता है कि, 1934 में बिहार में 8.1 तीव्रता का भूकंप आया था.

वर्ष 1905 में 7.5 तीव्रता का भूकंप कांगड़ा में आया और वर्ष 2005 में 7.6 तीव्रता का भूकंप कश्मीर में आया था.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?

भूकंप के बाद पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद का नज़ारा

उपरोक्त, बाद के दो भूकंप काफ़ी विनाशकारी थे. इनमें 1,00,000 लोग मारे गए और दसियों लाख बेघर हो गए थे.

दिल्ली तक होता असर

पल्लव बागला का कहना है कि 7.9 तीव्रता का भूकंप एक बड़ा भूकंप है और वैज्ञानिक ऐसे किसी बड़े भूकंप का पहले से ही अनुमान लगा रहे थे, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि यह कब आएगा.

इससे भी बड़ा भूकंप आ सकता है?उनके अनुसार, इस इलाक़े में पिछले पांच सौ सालों से प्लेटों के बीच तनाव बढ़ रहा था. वैज्ञानिक आठ से अधिक तीव्रता के भूकंप की आशंका जता रहे थे.

बागला के मुताबिक़, अगर इसकी तीव्रता आठ तक होती तो इसका असर दिल्ली तक होता.

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