छात्रों के सवाल का बेहद सावधानी से दिया जवाब

यूनिवर्सिटी पहुंचकर इंटरनेशनल स्टडी की एक छात्रा के चीन के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब नरेंद्र मोदी ने बड़ी ही चतुराई के साथ दिया. छात्रा ने उनसे पूछा कि चीन को अलग-थलग रखकर दुनिया में शांति और विकास की बात भला कैसे हो सकती है.  इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भारत और जापान दोनों लोकतांत्रिक देश हैं. ये दोनों देश जितना सकारात्मक सोचेंगे और लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाएंगे उतना ही दुनिया को फायदा होगा. उन्होंने कहा कि हमें दूसरों पर ध्यान देने के बजाय अपना ध्यान प्रगति और विकास की ओर केंद्रित करना चाहिए. अगर हम अपनी स्थिति पर ध्यान देंगे तो हमारी स्थिति अच्छी होगी.एक अन्य छात्र ने मोदी से पूछा कि चीन के विस्तारवादी प्रयासों के बावजूद एशिया में शांति कैसे रह सकती है. इस पर मोदी मुस्कार कर बोले कि ऐसा लगता है कि आप चीन से बहुत परेशान हैं.

चीन पर सुनाई काल्पनिक कहानी

मोदी ने चीन से जुड़े उनके सवालों पर एक काल्पनिक कहानी भी सुनाई. उन्होंने सुनाया कि कल्पना कीजिए कि एक कमरे में पूरी तरह अंधेरा है. इस अंधेरे को दूर करने के लिए एक व्यक्ति झाड़ू लेकर कमरे में जाता है, लेकिन वह गिर जाएगा. दूसरा व्यक्ति तलवार लेकर अंधेरा दूर करने अंदर जाता है, वह भी गिर जाएगा. एक अन्य व्यक्ति कंबल लेकर अंधेरा दूर करने के लिए अंदर जाता है, वह भी गिर जाएगा. तब एक चतुर आदमी छोटा-सा दीपक लेकर अंदर जाता है और फिर अंधेरा दूर हो जाता है. इसपर उन्होंने बताया कि शांति, समृद्धि और लोकतंत्र का दीपक कभी भी अंधेरे से नहीं डरेगा. हालांकि, इससे पहले सोमवार को मोदी जापान चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यक्रम में इशारों में चीन के विस्तारवादी रवैये की आलोचना करने से नहीं चूके थे. चीनी प्रवक्ता ने यह कहकर इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था कि उन्हें नहीं पता कि मोदी के बोलने का क्या संदर्भ था.

भारत को बताया भगवान बुद्ध की धरती

इसके बाद परमाणु अप्रसार संधि पर भारत के साइन न करने की वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में व्याप्त चिंता को दूर करने की कोशिश करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति और अहिंसा के लिए देश की प्रतिबद्धता भारतीय समाज के डीएनए में रची-बसी है, जो किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि या प्रक्रियाओं से बहुत उपर है. यूनिवर्सिटी के एक छात्र के प्रश्न के जवाब में मोदी ने कहा कि भारत भगवान बुद्ध की धरती है. बुद्ध शांति के लिए जिये और हमेशा शांति का पैगाम दिया. यह संदेश भारत में गहराई तक व्याप्त है.

परमाणु अप्रसार संधि पर बोले मोदी

संवाद के दौरान उनसे पूछा गया था कि परमाणु अप्रसार संधि पर अपना रुख बदले बिना भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय का विश्वास कैसे हासिल करेगा, जबकि परमाणु हथियार रखने के बावजूद भारत इस संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर चुका है. इसपर मोदी ने संधियों से ऊपर उठने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में कुछ प्रक्रियाएं होती हैं, लेकिन समाज की प्रतिबद्धता सबसे ऊपर है. अपनी बात पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में पूरे समाज के साथ अहिंसा के लिए प्रतिबद्ध रहते हुए भारत ने इस तरह स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया कि पूरी दुनिया आश्चर्यचकित रह गई. उन्होंने कहा कि हजारों साल से भारत की आस्था सूत्र वाक्य 'वसुधैव कुटुम्बकम' में रही है. मोदी ने कहा कि जब हम पूरी दुनिया को एक परिवार मानते हैं, तो हम ऐसा कुछ करने की कैसे सोच सकते हैं जिससे किसी को नुकसान हो.

छात्रों को बताया भारत के प्रकृति प्रेम के बारे में

इस दौरान प्रधानमंत्री ने जापानी छात्रों को प्रकृति के संदर्भ में भारतीय लोकाचार के बारे में भी बताया. छात्रों ने उनसे पूछा था कि तेजी से विकास कर रहा भारत ऊर्जा के स्रोतों की दिशा में आगे बढ़ते हुए पारिस्थितिकी का संरक्षण कैसे करेगा. मोदी ने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां लोग प्रकृति से प्यार और संवाद करते हैं. पृथ्वी को मां की तरह सम्मान देते हैं, चंद्रमा को मामा मानाते हैं. सूर्य तथा हिमालय को दादा की तरह, नदियों को मां की तरह माना जाता है और वृक्षों को ईश्वर की तरह पूजा जाता है.

मोदी ने सुनाई अपनी भी कहानी

यूनीवर्सिटी में दौरे के दौरान नरेंद्र मोदी ने छात्रों को अपने जीवन की कहानी भी सुनाई.उन्होंने बताया कि वह बेहद निर्धन परिवार से हैं. उनके चाचा ने एक बार लकड़ी का कारोबार शुरू किया था और उनकी मां पढ़ी-लिखी नहीं हैं, लेकिन उन्होंने चाचा से कहा कि पेडों को काटना अपराध है और इससे रुपये कमाने के बजाय परिवार भूखा रहना पसंद करेगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रकृति के साथ अगर ऐसा व्यवहार किया जाता है, तब तो भारतीय लोग पर्यावरण को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचा सकते. जलवायु परिवर्तन की शब्दावली के बारे में मोदी ने सवाल किया कि क्या यह सही है. उन्होंने कहा कि क्या यह जलवायु परिवर्तन है या आदतों में बदलाव है. हमारी आदतें बदल गईं  हैं और हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं. मोदी ने छात्रों को जलवायु पर लिखी 'कन्वीनिएन्ट ऐक्शन' किताब पढ़ने का सुझाव भी उन्हें दिया.

भारत में महिलाओं की पूजनीय जगह के बारे में बताया

उन्होंने लड़कियों की एक गोष्ठी में भारत में महिलाओं की स्थिति के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं को विभिन्न रूपों में देवी की तरह पूजा जाता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां ईश्वर देवी के रूप में हैं. एक मंत्रिमंडल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का संबंध देवी सरस्वती से, वित्त का संबंध देवी लक्ष्मी से, गृह संबंधी मामलों का सरोकार देवी महाकाली से और खाद्य सुरक्षा का संबंध देवी अन्नपूर्णा से है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत में स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्राप्त है. मोदी ने लड़कियों की शिक्षा के प्रति अपने निजी रुझान के बारे में भी बताया.

नीलामी के 78 करोड़ रुपये लड़कियों के लिए सरकारी कोष में जमा कराए

छात्राओं को उन्होंने बताया कि जब वह प्रधानमंत्री बने तो गुजरात छोड़ते समय उन्होंने अपने 14 साल के मुख्यमंत्रित्व काल में मिले सभी उपहारों की नीलामी की. इस नीलामी से 78 करोड़ रुपये एकत्र हुए और वह राशि लड़कियों की शिक्षा के लिए इस्तेमाल की खातिर सरकारी कोष में जमा कर दी गई.

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