भारतीय विमानन कंपनी इंडिगो के  180 विमान खरीदने से पहले एक और भारतीय कंपनी गो एयर ने एयरबस के साथ ही 72 विमानों का समझौता किया था जिसकी कुल कीमत करीब 290 अरब रुपए बताई जा रही है। इंडिगो को इन 180 विमानों की आपूर्ति 2015 में शुरू हो जाएगी और अगले 10 सालों में पूरी होगी। इससे पहले वर्ष 2005 में इंडिगो ने ही एयरबस को 100 विमानों का ऑर्डर देकर हलचल मचा दी थी। इन विमानों की आपूर्ति 2015 तक पूरी होनी है.

लेकिन अब ये सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या भारतीय विमानन बाज़ार में इतनी तेज़ी से विस्तार हो रहा है कि इन विमानों का सही उपयोग हो पाएगा। इंडिगो प्रमुख आदित्य घोष कहते हैं कि छह साल पहले भारत में विमान यात्रा करने वाले वार्षिक यात्रियों की संख्या 1.8 करोड़ थी और ये आंकड़ा अब 5.5 करोड़ को भी पार कर चुका है। आदित्य कहते हैं कि हर साल विमान में यात्रा करने वालों की तादाद 15-20 फ़ीसदी की रफ़्तार से बढ़ रही है.

आदित्य घोष ने बीबीसी से कहा, "देश की 110 करोड़ की आबादी के लिए सिर्फ़ 400 व्यावसायिक जहाज़ है। फ़िलीपिंस और इंडोनेशिया जैसे देशों में हवाई जहाज़ों की उपलब्धता हिंदुस्तान से बहुत ज़्यादा है। यानि एक तरफ़ जहाँ यात्रियों की तादाद बढ़ रही है, विमानों की उपलब्धता उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ रही है। किराए तभी नीचे रह सकते हैं जब बाज़ार में विमान हों."

आदित्य कहते हैं कि उन्होंने इस खरीदारी से पहले पूरा विश्लेषण किया है लेकिन इस बात की क्या गारंटी कि भविष्य में बाज़ार का विस्तार आपकी सोच के मुताबिक ही हो? आदित्य कहते हैं, "कल अगर तेल के दाम बढ़ जाएँ या यात्रियों की संख्या घट जाए तो हमें भी बदलाव करने पड़ेंगे लेकिन जिस तेज़ी से देश में तरक्की हो रही है, मुझे नहीं लगता कि अगले 10-15 सालों तक इस ट्रेंड में कोई बदलाव होगा."

बुकिंग की कतार

सिविल एविएशन के पूर्व निदेशक कानू गोहेन कहते हैं कि इंडिगो ने ये खरीदारी भविष्य को ध्यान में रखकर की है। वो कहते हैं, "जहाज़ खरीदना कोई दुकानदारी तो है नहीं कि आप पैसा दो और विमान ले आओ। जहाज़ खरीदने के लिए खरीदार को बुकिंग करना पड़ती है। अगर आप बुकिंग की कतार में पीछे हैं तो कोई और आपसे पहले आ जाएगा और आपको जहाज़ मिलने में देरी होगी.

एक सोच ये भी है ये कि इन एयऱलाइनों का ध्यान विदेशों में उड़ान शुरू करने पर हो सकता है जिस वजह से उन्होंने बड़ी संख्या में विमानों का ऑर्डर दिया है या फिर अग़र बाज़ार की मांग में गिरावट दर्ज होती है तो इन विमानों को दूसरी कंपनियों को लीज़ पर भी दिया जा सकता है। आदित्य घोष कहते हैं कि विमानों को लीज़ पर देने का कोई प्रस्ताव नहीं है, लेकिन हाँ, इंडिगो पहली सितंबर से अपनी अंतरराष्ट्रीय उड़ाने शुरू कर देगा.

इंडिगो भारत की तीसरी सबसे बड़ी एयऱलान है और इसका बाज़ार में हिस्सा लगभग 17 फ़ीसदी है। पिछले कुछ सालों में विमान यात्रा के दामों में लगातार गिरावट आ रही है और मंदी के बाद आई इस ख़बर से कुछ चेहरों पर खुशी ज़रूर आएगी। आदित्य कहते हैं कि पेरिस में जहाज़ों की खरीद के दस्तावाज़ों पर हस्ताक्षर करते वक्त उन्हें हिंदुस्तानी होने पर गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि उनकी कंपनी एक ऐसी कंपनी है जो आने वाले 10-15 सालों को अभी से देख रही है.

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