-केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने किया मिशन इंद्रधनुष का शुभारंभ

-बोली, टीकाकरण से बच सकते हैं बच्चे

LUCKNOW: बच्चों की मृत्युदर में कमी लाने के लिए आवश्यक है कि समय से टीकाकरण कराया जाए। गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं को डॉक्टर की सलाह पर सभी टीके लगवाने चाहिए। सरकारी अस्पतालों में यह सारे टीके मुफ्त लगाए जा रहे हैं। जो लोग बच्चों को टीका लगाने से चूक गए हैं उनके लिए ही सरकार ने मिशन इंद्रधनुष शुरू किया है इसलिए लोग घर से निकलकर बच्चों को टीके जरूर लगवाएं। ये अपील संडे को वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय में सघन मिशन इंद्रधनुष के मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, परिवार कल्याण मंत्री डॉ। रीता बहुगुणा जोशी और हेल्थ मिनिस्टर सिद्धार्थ नाथ सिंह ने की।

60 जिलों में लगेंगे टीके

यूपी के 60 जिलों में मिशन इंद्रधनुष शुरू किया गया। इससे पहले 37 जिलों में यह अभियान चलाया गया है। इसके तहत छूटे बच्चों को टीकाकरण करना है। प्रदेश में करीब 11 लाख 82 हजार 725 छूटे बच्चों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। वहीं लखनऊ में यह आंकड़ा 23 हजार 961 बच्चे हैं। साथ ही गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को टिटनेस जैसे जरूरी टीके लगवाने का लक्ष्य रखा गया है। अगले माह से 7 तारीख को छूटे हुए बच्चों के लिए यह अभियान चलाया जाएगा। इस अवसर पर सीएमओ डॉ। जीएस बाजपेई, डॉ। आशुतोष दुबे, डॉ। राजीव लोचन, डॉ। ऋषि सक्सेना, डॉ। सविता भट्ट, सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

2018 में ही हासिल करेंगे लक्ष्य

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री ने बच्चों को पोलियो को दवा पिलाकर अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि 2020 में 90 प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन हमें इस लक्ष्य को 2018 में ही हासिल करना है। इसके लिए सभी की सहभागिता की जरूरत है। इसमें असली जिम्मेदारी पैरेंट्स को ही निभानी होगी।

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आशाओं ने किया प्रदर्शन

कार्यक्रम के बाद डफरिन अस्पताल में आशाओं ने मांगों को लेकर जमकर हंगामा किया। आशाओं ने आरोप लगाया कि सैलरी के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा है। सिर्फ प्रसव कराने पर 600 रुपए दिए जा रहे हैं। जो कि काफी कम है। सरकार महीने में कुछ सैलरी दे तो ही परिवार आसानी से चलाया जा सकता है और सरकारी की योजनाओं को लागू करने में सहयोग किया जा सकता है।

दो लाख की असमय मौत

यूपी में हर वर्ष लगभग 55 लाख बच्चे जन्म लेते हैं, लेकिन इनमें से दो लाख की असमय मौत हो जाती है। जबकि टीकाकरण से ही इनमें से ज्यादातर को बचाया जा सकता है। अकेले खसरा के कारण होने वाली दिक्कतों से 40 हजार बच्चे और डायरिया के कारण 50 हजार बच्चों की मौत हो रही है जबकि 1000 में 80 शिशु अपना पांचवां जन्मदिन नहीं मना पाते।