विदेशी भी हैं संस्कृति के दीवाने, सीख रहे बोलना और उच्चारण

ALLAHABAD: विश्व की सबसे पुरानी भाषा संस्कृत है और यह सभी भाषाओं की जननी है। इसके माध्यम से ही भारत की संस्कृति और उसकी प्राचीन सभ्यता को समझा जा सकता है। यह बात सूचनाधिकारी डॉ। मनोज कुमार ने संस्कृत भारती प्रयाग द्वारा श्रीसच्चा अध्यात्म संस्कृत महाविद्यालय अरैल में आयोजित संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण वर्ग के शुभारंभ सत्र में गुरुवार को कही। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा दोषों से रहित, पवित्र और वैज्ञानिक भाषा है। कम्प्यूटर के लिए यह सबसे उपयुक्त भाषा है।

संस्कृत से हुआ लगाव

स्वीडर से आई हृदय रोग विशेषज्ञ आनंद माता इस वर्ग प्रशिक्षण में संस्कृत पढ़ रही हैं। भारतीय संस्कृति और अध्यात्म से लगाव के कारण व संस्कृत भाषा का अध्ययन कर रही हैं। मुख्य अतिथि डॉ। मनोज का संस्कृत भारतीय के प्रांत मंत्री डॉ। नागेश पांडेय और डॉ। सालिकराम त्रिपाठी ने संस्कृत की पुस्तकें भेंट कर स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन अशोक मिश्र ने किया। आश्रम के स्वामी पूज्य श्रीगोपालजी महाराज एवं प्राचार्य डॉ। चंद्रदेव मिश्र, सीएमपी के प्रो। एसपी सिंह के संरक्षण में संस्कृत भारतीय काशी प्रांत के डॉ। नागेश, प्रदीप शुक्ल, अशोक, हरिओम राय, रीना तिवारी, दिवाकर मिश्र और अतुल शुक्ल इस कार्यक्रम को संचालित कर रहे हैं।