ड्डढ्डद्धद्बह्यद्धद्गद्म.श्चद्ब4ह्वह्यद्ध@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ

छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: शायद ही कोई ऐसा स्टेशन होगा जहां गर्मी में ठंडे पानी की चाहत में यात्रियों से लूटखसोट नहीं मची हो। जबकि रेल मंत्रालय का साफ आदेश है कि ट्रेन या प्लेटफॉर्म पर सिर्फ रेल नीर ही बेची जाए, लेकिन वेंडर्स हैं कि ट्रेन हो या प्लेटफॉर्म हर जगह 15 रुपए की बोतल को 20 रुपए में बेचकर बेधड़क कमाई कर रहे हैं। हैरत तो यह है कि ऐसे मामलों में कार्रवाई का कोई प्रावधान नहीं होने के कारण वेंडर्स की हिम्मत बढ़ते ही जा रही है। पेश हैं इसपर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की लाइव रिपोर्ट।

हाल साउथ-बिहार एक्सप्रेस का

दिन-बुधवार। समय-शाम 6.55 बजे। स्थान-टाटानगर प्लेटफॉर्म नंबर 1. दुर्ग से राजेंद्रनगर पटना को जाने वाली ट्रेन संख्या 13287 साउथ-बिहार एक्सप्रेस खड़ी थी। दर्जनों वेंडर्स ट्रेन में कई कंपनियों का बोतल बंद पानी का कार्टन सवार कर रहे थे। उसी वक्त हमारी टीम ने कोच का मुआयना किया। हर तीसरे बोगी में बाथरुम के पास करीब 10 से 12 कार्टून मिले। जिसमें लोकल ब्रांड का पानी था और सफर के दौरान बेचा जाना था। इसी बीच कोच नंबर-3 के पास कार्टन लोड कर रहे वेंडर्स से रिपोर्टर ने बात की। आइए जानते हैं उसने क्या कहा

रिपोर्टर - इस कार्टन में क्या रखा हुआ है?

वेंडर - साहब, पानी की बोतल है।

रिपोर्टर - लेकिन यह तो लोकल ब्रांड का पानी लग रहा है?

वेंडर - नहींनहीं। ये भी बढि़या ब्रांड है। पानी सही है।

रिपोर्टर- रेलवे का आदेश है कि रेल नीर ही बेचना है?

वेंडर- रेल नीर में उतना फायदा नहीं है। जितना इसमें है।

रिपोर्टर - अच्छा, ये बोतल कितने में दोगे?

वेंडर - 20 रुपए में।

रिपोर्टर - तो क्या रेल नीर नहीं मिल पाएगा?

वेंडर - मिल सकता है। लेकिन ज्यादा तो यही मिलेगा।

रिपोर्टर- लेकिन इस पर तो 15 रुपए प्रिंट है?

वेंडर- 20 में ही मिलेगा। आपको लेना है तो यही मिलेगा।

रिपोर्टर- लोकल पानी बेचने में डर नहीं लगता है?

वेंडर- डर किसका। सब यही करते हैं। साहब लोग भी जानते हैं।

खुलेआम चल रहा है खेल

टाटानगर रेलवे स्टेशन पर लोकल ब्रांड का बोतल बंद पानी एमआरपी से ज्यादा दाम पर बेचने का खेल कोई नया नहीं है। सूत्रों की मानें तो वेंडरों से लेकर, आरपीएफ और कुछ रेल अधिकारी तक इस गोरखधंधे में शामिल हैं। स्टेशन के हर प्लेटफॉर्म पर पानी की कीमत तय से ज्यादा वसूली जा रही है। प्रत्येक बोतल पर 3 से 5 रुपए ज्यादा लेकर रोजाना हजारों रुपए की अतिरक्ति कमाई की जा रही है।

पसंद के ब्रांड की बोतलें गायब

पटना जंक्शन पर विक्रमशिला एक्सप्रेस में सवार होने के लिए खड़ी यात्री अंजलि रावत ने बताया कि अधिक दाम चुकाने के बाद भी पसंदीदा ब्रांड का बोतल बंद पानी नहीं मिलता है। ऐसे में पांच रुपए ज्यादा देने के बाद भी संतोष नहीं मिलता है।

आप भी जानें अपना हक

ट्रेन में लोकल पानी बेचना अपराध है। अगर कोई वेंडर लोकल ब्रांड का पानी बेचता है, तो इसकी शिकायत चलती ट्रेन में रेलवे स्टाफ यानी टीटीई और आरपीएफ या जीआरपी से कर सकते हैं। अगर वह नहीं सुनते हैं तो आप स्टेशन पर स्टेशन मास्टर या फिर रेल मंत्री को ट्विटर के जरिए भी कंप्लेन दर्ज करवा सकते हैं। ट्रेन में प्रिंट रेट से अधिक पर कोई भी पानी नहीं बेच सकता।

ऐसे समझें खेल

200 : ट्रेन करीब रोज गुजरती हैं टाटानगर स्टेशन से

130-140 : बोतल पानी की बिक्री रोजाना एक ट्रेन में

15-16 : कोच औसतन एक ट्रेन में

26,000-28,000

कुल पानी बोतल की खपत

यह है फायदे का गणित

रेल नीर पर प्रिंट रेट : 15 रुपए

प्लांट प्राइस : 10.60 रुपए

वेंडर बेचते हैं : 15 रुपए

लोकल पानी पर प्रिंट रेट : 15 रुपए

वेंडर बेचते हैं : 20 रुपए

डीलर प्राइस : 5.50 रुपए

प्रॉफिट : 14.50 रुपए

ट्रेनों और स्टेशनों पर अवैध तरह से लोकल ब्रांड के पानी की बोतल बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। कई वेंडर्स के पास से लोकल ब्रांड के पानी की बोतल भी जब्त किए गए हैं। आगे भी इस प्रकार की कार्रवाई होती रहेगी।

-छत्रसाल सिंह, डीआरएम, टाटानगर रेलवे स्टेशन